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भारत के अभिषेक सिंह ने इस तरह दिया UN में नवाज को करारा जवाब

संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान द्वारा कश्मीर और नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम उल्लंघन के मुद्दे उठाए जाने के बाद भारत ने इसका कड़ा जवाब देते हुए कहा कि इस्लामाबाद असल में आतंकवाद को पैदा और प्रायोजित...

भारत के अभिषेक सिंह ने इस तरह दिया UN में नवाज को करारा जवाब
एजेंसीThu, 01 Oct 2015 02:16 PM
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संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान द्वारा कश्मीर और नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम उल्लंघन के मुद्दे उठाए जाने के बाद भारत ने इसका कड़ा जवाब देते हुए कहा कि इस्लामाबाद असल में आतंकवाद को पैदा और प्रायोजित करने की अपनी ही नीतियों का पीड़ित है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा के 70वें सत्र में कल आम चर्चा के दौरान जवाब देने के भारत के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई मिशन में प्रथम सचिव अभिषेक सिंह ने कहा कि यह अफसोसनाक है कि पाकिस्तान ने सच्चाई को तोड़ने-मरोड़ने और हमारे क्षेत्र में मौजूद चुनौतियों की गलत तस्वीर पेश करने के लिए एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र के उच्चस्तरीय खंड का दुरुपयोग करने का विकल्प चुना है।

इससे पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने महासभा में अपने संबोधन के दौरान कहा था कि उनका देश आतंकवाद का प्रमुख पीड़ित है।

सिंह ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सच में पाकिस्तान आतंकवाद को पैदा और प्रायोजित करने की अपनी ही नीतियों का पीड़ित है। मामले का केंद्र बिन्दु एक देश है, जो आतंकवाद का इस्तेमाल शासन के वैध औजार के रूप में करता है। विश्व चिंता के साथ देख रहा है, क्योंकि इसके परिणाम इसके तात्कालिक पड़ोसी से परे फैल गए हैं। शरीफ की इस टिप्पणी पर कि जम्मू कश्मीर विदेशी आधिपत्य में है, सिंह ने कहा कि सवालों में कब्जा करने वाला पाकिस्तान है।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री द्वारा नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर संघर्ष विराम उल्लंघन का मुद्दा उठाए जाने के जवाब में सिंह ने कहा कि विश्व जानता है कि गोलीबारी का प्रमुख कारण आतंकवादियों को सीमा पार कराने के लिए ढाल प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रों के लिए यह असामान्य नहीं है कि जब वे गंभीर चुनौतियों का सामना करते हैं तो वे जिम्मेदारी दूसरों पर डालते हैं।

सिंह ने कहा, यही स्थिति पाकिस्तान और आतंकवाद के मामले में है जिससे यह मानने में अक्षमता झलकती है कि यह घर से ही पैदा हुई समस्या है और इसने उसी हाथ को डसना शुरू कर दिया है, जिसने उसे पाला और पोसा। हम इस बात से सहमत हैं कि आतंकवाद के अंतर्निहित कारण हैं- इस मामले में, बुद्धिमानी की कमी और परिणामों के प्रति अज्ञानता। उन्होंने प्रस्तावित चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे को लेकर भारत की आपत्तियों को रेखांकित किया और कहा कि यह पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से कब्जाए गए भारतीय क्षेत्र से होकर गुजरता है।

शरीफ द्वारा यह कहे जाने पर कि जम्मू-कश्मीर का मुद्दा अनसुलझा है और वार्ता आगे नहीं बढ़ी है, सिंह ने कहा, ऐसा इसलिए है क्योंकि पाकिस्तान ने अपने वादों को निभाया नहीं है, फिर चाहे यह वर्ष 1972 का शिमला समझौता हो या फिर आतंकवाद को समाप्त करने के लिए वर्ष 2004 में हुई संयुक्त घोषणा। और ऐसा ही बिल्कुल हालिया वादा उफा में दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच बनी सहमति का रहा है।

सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि भारत ही है, जिसने हर मौके पर दोस्ती का हाथ आगे बढ़ाया है। उन्होंने कहा, भारत आज भी आतंकवाद और हिंसा से मुक्त माहौल में लंबित मुद्दों पर पाकिस्तान के साथ बातचीत करने के लिए तैयार है। इससे पहले विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने भी शरीफ की टिप्पणियों पर तीखी प्रतिक्रिया जताई थी।

शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के मंच का इस्तेमाल भारत के साथ एक चार-सूत्री शांति पहल का प्रस्ताव देने के लिए किया। इसमें कश्मीर का विसैन्यीकरण करने और सियाचिन ग्लेशियर से बिना शर्त पारस्परिक रूप से हट जाने की बात शामिल थी। शरीफ के संबोधन के बाद स्वरूप ने ट्वीट किया था, कश्मीर का विसैन्यीकरण करना कोई हल नहीं है, बल्कि पाकिस्तान से आतंकवाद का खात्मा इसका जवाब है।

शरीफ द्वारा पाकिस्तान को आतंकवाद का प्रमुख पीड़ित बताए जाने पर स्वरूप ने कहा, पाकिस्तान आतंकवाद का प्रमुख पीड़ित नहीं है, बल्कि वह तो अपनी साजिशों से पीड़ित है। असल में वह आतंकवाद का प्रमुख प्रायोजक है।

स्वरूप ने इसके बाद ट्वीट किया कि पाकिस्तान की अस्थिरता इसके द्वारा आतंकियों को पोषित करने से उपजती है। पड़ोसियों को दोष देना कोई हल नहीं है। कश्मीरियों की पीड़ा को फलस्तीनियों की पीड़ा के समान बताते हुए शरीफ ने अपने संबोधन में कहा था कि मुस्लिम दुनिया भर में पीड़ित हो रहे हैं। फलस्तीनियों और कश्मीरियों को विदेशी कब्जे के कारण दबाया जा रहा है, ये अल्पसंख्यक अत्याचारों का सामना कर रहे हैं और अत्याचारों एवं युद्ध से बचकर भाग रहे मुस्लिम शरणार्थियों के खिलाफ भेदभाव हो रहा है।

स्वरूप ने ट्वीट किया कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने विदेशी कब्जे की बात तो सही कही है लेकिन कब्जा करने वाले की पहचान गलत बताई है। हम अपील करते हैं कि पाकिस्तान द्वारा कब्जाए गए कश्मीर को जल्दी मुक्त किया जाए। शरीफ द्वारा सुझाए गए चार कदमों के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने संवाददाताओं से कहा कि वे आज महासभा में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के संबोधन का इंतजार करें। उन्होंने कहा, हमने बार-बार पाकिस्तान के सामने दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। लेकिन इसके साथ ही हमने यह भी कहा है कि सीमा पार से किए जाने वाले किसी भी उकसावे का जवाब दिया जाएगा।

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