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सीमा विवाद सुलझाने के लिए सहमत हुए केकियांग और नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि भारत और चीन सीमा विवाद को सर्वस्वीकार्य ढंग से सुलझाने के लिए सहमत हो गए हैं। मोदी ने चीन के प्रधानमंत्री ली केकियांग के साथ संयुक्त संवादाता सम्मेलन में कहा कि...

सीमा विवाद सुलझाने के लिए सहमत हुए केकियांग और नरेंद्र मोदी
एजेंसीFri, 15 May 2015 12:54 PM
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि भारत और चीन सीमा विवाद को सर्वस्वीकार्य ढंग से सुलझाने के लिए सहमत हो गए हैं। मोदी ने चीन के प्रधानमंत्री ली केकियांग के साथ संयुक्त संवादाता सम्मेलन में कहा कि सीमा के सवाल पर दोनों देश ऐसा हल खोजने पर सहमत हो गए हैं, जो दोनों को स्वीकार्य हो। उन्होंने कहा कि अपने रिश्तों को आगे बढ़ाते हुए हम इस बात पर सहमत हुए हैं कि हमें एक दूसरे के हितों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए और आपसी विश्वास को बढ़ाना चाहिए।

चीन को सबसे अहम रणनीतिक साझीदारों में से एक बताते हुए मोदी ने कहा कि भारत और चीन के उभार तथा उनके रिश्तों से दोनों देशों के साथ इस शताब्दी के भविष्य पर भी असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि हाल के दशकों में दोनों देशों के रिश्ते जटिल रहे हैं, लेकिन हमे इस रिश्ते की एक दूसरे के लिए प्रेरणास्रोत के रूप में जरूरत है, जिससे दुनिया का भला हो। हम एशिया के दो सबसे बड़े देशों को एक नई दिशा में ले जाने के लिए दृढ़संकल्प हैं और राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री ली केकियांग साथ मेरी बातचीत हमारे रिश्तों को उस दिशा में एक कदम आगे ले गयी है।

मोदी ने कहा कि हमारी बातचीत स्पष्ट, रचनात्मक और दोस्ताना रही। हमने अन्य मुद्दों के साथ उन पहलुओं को भी छुआ जो हमारे रिश्तों को आगे बढ़ाने में बाधक हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने चीन के नेताओं को उन मुद्दों पर पुनर्विचार करने को कहा, जो हमारे रिश्तों के आड़े आ रहे हैं। मोदी ने कहा, मैंने चीन को सलाह दी कि उसे हमारे रिश्तों को रणनीतिक और दीर्घकालिक दृष्टिकोण से देखना चाहिए। मैंने पाया कि चीन के नेता भी इस बारे में सोचते हैं।

दोनों देशों के बीच सीमा मुद्दे का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि इस मुद्दे पर दोनों देशों ने एक ऐसा हल खोजने की दिशा में आगे बढ़ने पर सहमति जताई है, जो दोनों पक्षों को स्वीकार हो। दोनों देशों ने सीमा पर शांति और सौहार्द बनाए रखने के लिए हरसंभव प्रयास करने पर प्रतिबद्धता जताई।

उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर चीन ने हमारी चिंताओं पर संवेदनशील रुख दिखाया। मैंने दोनों देशों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा के स्पष्टीकरण की अहमियत पर जोर दिया। साथ ही मैंने वीजा नीति और सीमा के आर पार बहने वाली नदियों पर भी आगे बढ़ने पर जोर दिया। साथ ही मैंने हमारी कुछ क्षेत्रीय चिंताओं पर भी चर्चा की।

प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों ने इस बात पर सहमति जताई कि अपने रिश्तों को आगे बढ़ाते हुए हमें एक दूसरे के हितों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए, आपसी विश्वास को बढ़ाना चाहिए, परिपक्वता दिखाते हुए अपने मतभेदों को सुलझाना चाहिए और मुद्दों का हल खोजना चाहिए।

इस क्षेत्र में रणनीतिक संवाद और सहयोग बढ़ाने के फैसले को अहम बताते हुए मोदी ने कहा कि बातचीत में द्विपक्षीय सहयोग पर काफी जोर रहा। दोनों देशों ने आर्थिक साझेदारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने पर सहमति जताई। दोनों देशों के समक्ष कई समान मौके और चुनौतियां हैं।

मोदी ने कहा कि दोनों देशों ने पिछले साल सितंबर में जिनपिंग की भारत यात्रा के दौरान किए गए समझौतों की प्रगति पर संतोष जताया। इनमें रेलवे के क्षेत्र में सहयोग और गुजरात और महाराष्ट्र में दो औद्योगिक पार्कों की स्थापना शामिल है। उन्होंने कहा कि इस समय दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री उनके साथ हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि चीन के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने मेक इन इंडिया और आधारभूत क्षेत्र में चीन की भागीदारी बढ़ाने पर जोर दिया। शंघाई में कल निजी क्षेत्र में सहयोग के 20 से अधिक समझौते होंगे। उन्होंने कहा कि दोनों नेताओं ने बढ़ते व्यापार घाटे की हमारी चिंताओं पर सकारात्मक रुख दिखाया। हम चाहते हैं कि जल्दी ही इस दिशा में काम हो।

मोदी ने कहा कि दोनों देशों की जनता के बीच संपर्क बढ़ाने को प्राथमिकता दी जाएगी। भारतीय और चीनी लोग एक दूसरे को अच्छी तरह नहीं जानते हैं। पहली बार भारत ने किसी देश में स्टेट लीडर्स फोरम लांच किया है। इस वर्ष चीन में ईयर ऑफ इंडिया मनाया जा रहा है। अगले वर्ष भारत में ईयर ऑफ चाइना मनाया जाएगा। इससे दोनों देशों के बीच पर्यटन बढ़ेगा।

मोदी ने कहा कि भारत शंघाई में गांधीवादी और भारतीय अध्ययन केन्द्र की स्थापना कर रहा है। साथ ही कुनिमग में योग संस्थान और द्विपक्षीय थिंक टैंक फोरम की स्थापना की जाएगी। उन्होंने कहा कि कैलास मानसरोवर यात्रा के लिए नाथुला दर्रे से यात्रा जून में शुरू हो जाएगी। उन्होंने इसके लिए चीन को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि चेन्नई और चेंगदू में महावाणिज्य दूतावास खोलने का फैसला बढ़ते आपसी विश्वास और रिश्तों को विस्तार देने की प्रतिबद्धता को दिखाता है।

मोदी ने कहा कि भारत और चीन के कई साझा क्षेत्रीय और वैश्विक हित हैं। अंतरराष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन वार्ता में दोनों देशों के साझा हित हैं। दोनों क्षेत्र क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। आतंकवाद को दोनों देशों के लिए साझा खतरा बताते हुए मोदी ने कहा कि पश्चिम एशिया में अस्थिरता दोनों के लिए मायने रखती है। इसी तरह अफगानिस्तान में शांति और प्रगति दोनों के हित में है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर दोनों देशों की साझेदारी मजबूत होगी।

प्रधानमंत्री ने दोनों देशों के संबंधों को आगे ले जाने के लिए नियमित शिखर वार्ता के राष्ट्रपति जिनपिंग के प्रस्ताव का स्वागत करते हुए कहा कि उन्होंने चीन के प्रधानमंत्री को भारत आने का न्यौता दिया है।

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