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साक्ष्यों के प्रयोग में सर्तकता जरूरी: प्रो. शिंदे

बीएचयू के प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्त्व विभाग की ओर से प्राचीन भारतीय इतिहास- लेखन : दशा एवं दिशा विषयक तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन गुरुवार को हुआ। मुख्य अतिथि डेकन...

साक्ष्यों के प्रयोग में सर्तकता जरूरी: प्रो. शिंदे
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 23 Mar 2017 08:20 PM
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बीएचयू के प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्त्व विभाग की ओर से प्राचीन भारतीय इतिहास- लेखन : दशा एवं दिशा विषयक तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन गुरुवार को हुआ।

मुख्य अतिथि डेकन कालेज पुणे के कुलपति प्रो. वसंत शिंदे ने कहा कि वर्तमान में इतिहास लेखन के विविध आयाम का सृजन हो रहा है। लेखन में पौराणिक, वैदिक साक्ष्य अब पुरातत्व से भी प्रमाणित हो रहे हैं। ऐसे में सर्तकता के साथ साक्ष्यों का प्रयोग करना आवश्यक है। राजस्थान विश्वविद्यालय की प्रो. विभा उपाध्याय ने बीज भाषण में कहा कि इतिहास अतीत के तथ्य के साथ इतिहासकार का संवाद है। इतिहास को मार्क्सवाद ने सार्वधिक प्रभावित किया है।

अध्यक्षता कला संकाय के अध्यक्ष प्रो. कुमार पंकज ने की। विषय स्थापना प्रो. सीताराम दुबे ने की। प्रो. पुष्पलता सिंह ने स्वागत किया। संचालन डॉ. अर्पिता चटर्जी तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रो. आरएन सिंह ने किया। शैक्षणिक सत्र में डॉ. केएस सारस्वत, डॉ. एपी जामखेड़कर ने विशेष व्याख्यान दिया। मुख्य रूप से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संयुक्त महानिदेशक डॉ. एसबी ओटा, दिल्ली के सी मार्ग बंधु, प्रो. एसपी शुक्ला, प्रो. आरपी त्रिपाठी, एपी ओझा, बीसी शुक्ला, नूर बानो सत्तार आदि अलग-अलग शैक्षणिक सत्र में शामिल हुए।

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