भदोही : सत्संग में बैठने मात्र से ही मनुष्य के सभी कष्ट होते हैं दूर
भगवान की भक्ति से बड़ा कोई सुख नहीं है। भक्त प्रह्लाद को यह विश्वास था कि हर मुसिबत में प्रभु उनकी रक्षा करेंगे। ईश्वर के प्रति भक्त प्रह्लाद के विश्वास का ही परिणाम था कि जिस खौलते तेल में उन्हें...
भगवान की भक्ति से बड़ा कोई सुख नहीं है। भक्त प्रह्लाद को यह विश्वास था कि हर मुसिबत में प्रभु उनकी रक्षा करेंगे। ईश्वर के प्रति भक्त प्रह्लाद के विश्वास का ही परिणाम था कि जिस खौलते तेल में उन्हें बैठाया जाता था वह पुष्प बन जाता था। सत्संग में बैठने मात्र से ही मनुष्य के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
महजूदा बाजार के रामलीला मैदान में चल रहे दिव्य संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन सोमवार को वृंदावन से पधारी आचार्य साध्वी श्री राधे प्रिये भक्ति (गुरु दीदी) ने श्रद्धालुओं को कथा का रसपान कराया। कहा कि जिस प्रकार हम शरीर पर जमा धूल व मिट्टी को साबुन लगाकर धोते हैं, ठीक उसी प्रकार मनुष्य भगवान की भक्ति कर अपने अंदर की गंदगी को साफ कर सकता है। मानव चाहे जितना तीर्थ स्थालों पर स्नान-ध्यान क्यों ना कर ले, लेकिन जब तक आंतरिक मन साफ नहीं हो जाता तब तक सब व्यर्थ है। मन की गंदगी सिर्फ प्रभु की भक्ति से ही साफ हो सकती है।
उन्होंने कहा कि सत्संगों का आयोजन इसलिए कराया जाता है कि इसमें शामिल हुए लोग मन का मैल साफ करते हुए धर्म के मार्ग पर चलें। सत्य बोलना व संतों का सम्मान करना ही मनुष्य का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए। साधु-संतों के सम्मान से ही हमें ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त होता है। किस रूप में भगवान हमें मिल जाएं यह पता नहीं होता। इसीलिए हमें सभी जीवों के साथ एक समान व्यवहार करना चाहिए। इस मौके पर जयशंकर प्रसाद पांडेय, आदित्य नारायण पांडेय, नरेंद्रनाथ पांडेय, राजेंद्र प्रसाद, राजेश उपाध्याय, बनवारीलाल, लालजी यादव, उदयराज सिंह, रामजीत यादव आदि उपस्थित थे।