फोटो गैलरी

Hindi Newsमोदी के गुरु जान लेते थे ‘मन की बात’

मोदी के गुरु जान लेते थे ‘मन की बात’

इसे स्वामी दयानंद सरस्वती की प्रतिभा ही कहेंगे कि वह सामने वाले व्यक्ति के हाव-भाव देकर उनके मन की बात जान लेते थे। प्रश्न पूछने से पहले ही जवाब सुनकर कई बार उनके अनुयायी अचरज में पड़ जाते...

मोदी के गुरु जान लेते थे ‘मन की बात’
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 25 Sep 2015 08:14 PM
ऐप पर पढ़ें

इसे स्वामी दयानंद सरस्वती की प्रतिभा ही कहेंगे कि वह सामने वाले व्यक्ति के हाव-भाव देकर उनके मन की बात जान लेते थे। प्रश्न पूछने से पहले ही जवाब सुनकर कई बार उनके अनुयायी अचरज में पड़ जाते थे।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आध्यात्मिक गुरु ब्रह्मलीन स्वामी दयानंद सरस्वती विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। मन में उपजे विचार लेकर जब कोई उनसे प्रश्न पूछने जाता, तो सवाल खत्म होने से पहले ही स्वामी दयानंद सरस्वती जवाब देकर वह चौंका देते थे। बताया जाता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी स्वामी दयानंद की इस विलक्षण प्रतिभा से प्रभावित थे। देश-विदेश से स्वामी दयानंद सरस्वती के अनुयायी उनके सलाह लेने पहुंचते थे। इसके साथ ही स्वामी दयानंद सरस्वती संकल्प के साथ नया कार्य शुरू करवाते थे। उनकी सबसे बड़ी खासियत यह थी कि वह किसी भी नए काम को शुरू करने से पहले संकल्प करवाते थे। जो कभी अधूरा नहीं होता।
 
अब शिष्य करेंगे गुरु की सोच को साकार

ब्रह्मलीन स्वामी दयानंद सरस्वती ने मिशन-2020 का विजन तैयार कर संसार से विदाई ली। अब उनके अनुयायी उनकी इस सोच को साकार करेंगे। समाजसेवा में अग्रणी स्वामी दयानंद का लक्ष्य वर्ष 2020 तक देश के प्रत्येक जिले में छात्रावास खोलने का था, जहां बच्चे पढ़ाई कर अपने सुनहरे भविष्य की राह आसान कर सकें। स्वामी दयानंद ने 2000 में ही मिशन-2020 तैयार कर लिया था। देश के प्रत्येक जिले में एक छात्रावास खोलकर युवा पीढ़ी को देश का श्रेष्ठ नागरिक बनाना उनका लक्ष्य था। उत्तराखंड में कर्णप्रयाग, श्रीनगर, रानीपोखरी, हरिद्वार में छात्रावास की सुविधा है, जहां सैकड़ों नौनिहाल रहते हैं।

शिक्षा-चिकित्सा का कार्य देख रहे स्वामी शिव ब्रह्मनंद सरस्वती बताते हैं कि स्वामी जी ने 2020 का विजन 2000 में ही तैयार किया था। 2020 तक देशभर में 300 छात्रावास खोलने की स्वामी दयानंद ने योजना बनाई है। अब तक 150 जिलों में छात्रावास खोले जा चुके हैं। वह प्रत्येक जिले में एक छात्रावास खोलकर गरीब बच्चों को बेहतर तालीम दिलवाना चाहते थे। वर्ष 2000 में ऑल इंडिया मूवमेंट फॉर सेवा का गठन इसी कार्य के लिये किया गया। उनके छात्रावास में रहने वाले बच्चों को प्रतिभा के मुताबिक सबसे अच्छे स्कूल में पढ़ाई करवाई जाती है। अब तक कई गरीब मेधावी बच्चे बीटेक, एमबीबीएस, स्नातक कर बेहतर संस्थानों में सेवा दे रहे हैं। कई सेना में अधिकारी भी हैं।
                        

 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें