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उत्तराखंड: ट्रैफिक संभालने के लिए मुट्ठीभर जवान

उत्तराखंड में ट्रैफिक व्यवस्था बहुत ही लचर है। सरकारी तंत्र भी इसे लेकर गंभीर नहीं है, समीक्षा बैठकों में कार्ययोजना बनाने के सिवाय धरातल पर कुछ खास नहीं है। हाल यह है कि जिस विभाग के पास ट्रैफिक...

उत्तराखंड: ट्रैफिक संभालने के लिए मुट्ठीभर जवान
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 15 Jun 2016 09:28 AM
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उत्तराखंड में ट्रैफिक व्यवस्था बहुत ही लचर है। सरकारी तंत्र भी इसे लेकर गंभीर नहीं है, समीक्षा बैठकों में कार्ययोजना बनाने के सिवाय धरातल पर कुछ खास नहीं है। हाल यह है कि जिस विभाग के पास ट्रैफिक नियंत्रण की जिम्मा है, उसकी हालत पतली है। सिर्फ पौने पांच सौ जवानों के हाथों में राज्य के ट्रैफिक नियंत्रण की कमान है, जिनमें से बड़ी संख्या में पद खाली हैं।

राज्य के चार प्रमुख जिलों देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर और नैनीताल तो दूर की बात है अब अन्य जनपदों के छोटे शहर और कस्बों में भी यह समस्या पांव पसारने लगी है। वाहन रेंग-रेंग कर किसी तरह निकल रहे हैं। सरकार ट्रैफिक सिग्नलों को लेकर कितनी गंभीर है, राजधानी दून में ही सरकार की पोल खुल रही है। 

राजधानी में 26 चौराहों में से 13 की सिग्नल कई माह से खराब है। हरिद्वार शहर में तो मात्र दो चौराहों पर सिग्नल है, जबकि व्यस्तम रानीपुर चौक में व्यवस्था ही नहीं। इसी तरह हल्द्वानी में सिर्फ मुखानी चौराहे पर ही सिग्नल की व्यवस्था है। ये उदाहरण ट्रैफिक नियंत्रण को लेकर सरकार की गंभीरता को दिखाने के लिए काफी हैं। यही, हाल ट्रैफिक पुलिस का है। मैनपॉवर के नाम पर विभाग में सिर्फ 472 कांस्टेबल हैं, जिनमें से भी काफी संख्या में पद खाली हैं। इंस्पेक्टर रैंक में सबसे बुरी स्थिति है। 21 पद के सापेक्ष मात्र आठ ही तैनात हैं। यानी राज्य में भगवान भरोसे ही ट्रैफिक व्यवस्था का संचालन हो रहा है।

लक्खनवाला चौक सबसे खतरनाक
हरबर्टपुर-देहरादून मार्ग पर नंदा चौकी तक एक दर्जन से अधिक डेंजर प्वाइंट हैं। सबसे अधिक खतरनाक लक्खनवाला चौक है। यहां पर हाईवे पर तेज गति से आने-जाने वाले वाहनों और गांवों की ओर आने-जाने वाले वाहनों में अक्सर टक्कर हो जाती है। 
चौक पर तेज रफ्तार वाहनों की आवाजाही का पता नहीं चलता है। लक्खनवाला चौक पर हुई दुर्घटनाओं में कई लोग जवान गंवा चुके हैं तथा कई अपंग हो गये हैं।

ओवर स्पीड में 7429 चालान
देहरादून।
राज्य में ओवर स्पीड ही दुर्घटनाओं की सबसे बड़ी वजह है। इस साल मई माह तक राज्य में ओवर स्पीड पर 7429 चार पहिया व दोपहिया वाहनों का चालान हो चुका है, जबकि नशे में वाहन चलाने पर 1257 चालान हुए हैं। जनवरी, 16 से मई माह तक ट्रैफिक पुलिस 3,32,397 वाहनों का विभिन्न कारण से चालान कर चुकी है।

पौने दस करोड़ जुर्माना वसूला
देहरादून।
ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर राज्य में पिछले वर्ष पुलिस ने 9 करोड़ 75 लाख 11 हजार 400 रुपये बतौर जुर्माना वसूल किया है। इतनी बड़ी राशि के वसूले जाने से समझा जा सकता है कि वाहन चालकों में ट्रैफिक सेंस कम है। इस साल अब तक पुलिस जुर्माना के रूप में 4,49,41,210 रुपये वसूल कर चुकी है।  

सड़क हादसों ने उजाड़ दिया गीता का परिवार
विकासनगर, विपिन शर्मा

सड़क हादसों में एक के बाद एक मौत ने गीता शर्मा को बुरी तरह से तोड़ दिया है। तीन वर्ष पहले पति की मौत और अब दो बेटों की मौत ने गीता का घर उजाड़ दिया है।

कालसी निवासी गीता शर्मा के पति टैक्सी चालक थे। उनके चार बेटे थे। लेकिन, तीन वर्ष पहले पति राजेंद्र शर्मा की हरिपुर-कोटी कालोनी मार्ग पर एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। तब बड़ा बेटा सागर दसवीं पास कर चुका था और छोटा बेटा सूरज आठवीं में था। पिता की मौत के चलते सागर को स्कूल छोड़ना पड़ा और घर का खर्च चलाने के लिए उसने चाय की दुकान खोल ली। इसी दौरान सूरज की किडनी में दिक्कत आ गई। इधर-उधर काफी इलाज कराने के बाद भी जब कोई फायदा नहीं हुआ तो गीता ने मकान को गिरवी रखकर सूरज का जौलीग्रांट में उपचार कराया। लेकिन, काल को तो कुछ और ही मंजूर था। चार जून को सागर, सूरज को नियमित जांच के लिए जौलीग्रांट अस्पताल ले जा रहा था। ढाकी में पेट्रोल पंप के समीप दोनों भाइयों की बाइक भैंसा-बुग्गी से टकराई और दोनों की मौत हो गई। 

जवान बेटों की मौत के बाद अब गीता शर्मा के ऊपर दो छोटे बेटों के पालन-पोषण की समस्या खड़ी हो गई है। कर्जा इतना बढ़ गया कि गिरवी रखे हुए मकान को कैसे छुड़ाए।

यातायात निदेशालय का प्रस्ताव ठंडे बस्ते में गया
पीएचक्यू ने राज्य में ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार के लिए निदेशालय खोलने का प्रस्ताव शासन को भेजा है। 25 जनवरी, 16 को भेजे गए इस प्रस्ताव पर अभी बात आगे नहीं बढ़ पाई है। निदेशालय में डीआईजी रैंक का एक निदेशक के पद के साथ ही  एक एसपी, दो एएसपी, सात इंस्पेक्टर समेत 105 पद शामिल किए हैं। निदेशालय बनने से ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार होने की उम्मीद है।

ट्रैफिक सेंस की कमी
देहरादून।
ट्रैफिक नियमों को लेकर राज्य में वाहन चालक बेहद लापरवाह हैं। प्रमुख व्यस्ततम शहरों के चौराहों पर कभी भी लेफ्ट टर्न फ्री नहीं रहता है। हालांकि, पुलिस ने लेफ्ट टर्न हमेशा फ्री रखने के लिए कुछ चौराहों पर सड़क के बीचों-बीच 10-15 मीटर के लंबे डिवाइडर भी बनाए हैं, लेकिन इसके बावजूद लेफ्ट टर्न पर भी वाहन चालक सिग्नल के इंतजार में खड़े रहते हैं। राज्य में दोपहिया वाहन चालकों के लिए हेलमेट अनिवार्य है। इसके बाद पिछले माह के दौरान बगैर हेलमेट के 1,41,693 वाहनों का चालान हो चुका है।

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