खाली बैठा रखे हैं जूनियर इंजीनियर, तबादलों पर उठे सवाल
राज्य के विकास प्राधिकरण जूनियर इंजीनियरों की कमी से जूझ रहे हैं। दूसरी ओर उत्तराखंड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण में इंजीनियरों की फौज को एक साल से खाली बैठा कर रखा गया है। ऐसे में आवास विभाग की...
राज्य के विकास प्राधिकरण जूनियर इंजीनियरों की कमी से जूझ रहे हैं। दूसरी ओर उत्तराखंड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण में इंजीनियरों की फौज को एक साल से खाली बैठा कर रखा गया है। ऐसे में आवास विभाग की तबादला प्रक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं।
मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण, दून घाटी विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण, हरिद्वार विकास प्राधिकरण समेत नैनीताल झील विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण में जेई की भारी कमी है। एमडीडीए में इंजीनियरों के तबादले व कई जेई को ऐई बनाने से जेई पद लोग कम हो गए हैं। साडा में जिस तेजी के साथ आवासीय क्षेत्रों का विस्तार हो रहा है, उस लिहाज से यहां स्टाफ नहीं है।
यही स्थिति हरिद्वार की है। यहां रुड़की, ऋषिकेश का क्षेत्र विकास प्राधिकरण में जुड़ भले गया है, लेकिन इन क्षेत्रों के लिए पर्याप्त संख्या में स्टाफ नहीं है। नैनीताल की स्थिति तो और भी अधिक बुरी है। इसके बाद भी उत्तराखंड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण में चार जूनियर इंजीनियरों को खाली बैठा कर वेतन दिया जा रहा है। इंजीनियरों की इस बेतुकी तैनाती पर सवाल उठ रहे हैं।
खाली हो गए गंगोत्री व टिहरी
गंगोत्री विकास प्राधिकरण, टिहरी झील विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण में मौजूदा समय में एक भी इंजीनियर तैनात नहीं है। पूर्व में जो स्टाफ भेजा भी गया था, उसे एक एक कर तरीके से एडजस्ट कर दिया गया।
तबादलों पर भी सवाल
विकास प्राधिकरणों में हुए तबादलों पर भी सवाल उठ रहे हैं। कुछ इंजीनियरों को एक साल से पहले ही मलाईदार विकास प्राधिकरणों में तैनात कर दिया गया। तो कई विवादित इंजीनियरों को भी मनमाफिक पोस्टिंग दे दी गई।
विकास प्राधिकरणों में जिस तेजी के साथ काम बढ़ रहा है। उस लिहाज से इंजीनियरों की कमी जरूर है। इस कमी को नये ढांचे में दूर किया जाएगा। मौजूदा इंजीनियरों का किस तरह बेहतर उपयोग किया जा सके, इसके विकल्प तलाशे जाएंगे।
आर मिनाक्षी सुंदरम, सचिव आवास