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उत्तराखंड के 12 खुशनसीब नेता पहली बार जीतते ही बन गए मंत्री

उत्तराखंड में 12 राजनीतिज्ञ बड़े ही किस्मत वाले साबित हुए, या यूं कहें कि राज्य के गठन के साथ ही इनकी राजनीतिक किस्मत भी चमकी। ये पहली बार विधायक बने और उन्हें मंत्री बनने का सौभाग्य भी...

उत्तराखंड के 12 खुशनसीब नेता पहली बार जीतते ही बन गए मंत्री
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 17 Sep 2016 09:54 AM
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उत्तराखंड में 12 राजनीतिज्ञ बड़े ही किस्मत वाले साबित हुए, या यूं कहें कि राज्य के गठन के साथ ही इनकी राजनीतिक किस्मत भी चमकी। ये पहली बार विधायक बने और उन्हें मंत्री बनने का सौभाग्य भी मिला।

राजनीति में कुछ लोगों की तमाम उम्र विधायक बनने के इंतजार में ही गुजर जाती है जबकि कुछ पर किस्मत कुछ इस कदर मेहरबान होती है कि वे पहली ही बार में मंत्री पद तक पा जाते हैं। उत्तराखंड में भी ऐसे कई उदाहरण हैं। उत्तराखंड बनने का फायदा यहां के कई राजनेताओं को मिला। राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में इनकी किस्मत खूब चमकी। पहले पार्टी से टिकट मिला, चुनाव जीते और पहली ही बार में विधायक बने मंत्री पद भी पा गए।

इन नेताओं में वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में टिहरी से पहली बार कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने किशोर उपाध्याय, सहसपुर सुरक्षित सीट से कांग्रेस विधायक रहे साधू राम, बीरोंखाल से कांग्रेस की विधायक चुनी गईं अमृता रावत, धुमाकोट से कांग्रेस विधायक चुने गए लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) टीपीएस रावत भी मंत्री बने। हालांकि बाद में उपाध्याय को मंत्री पद से हटना पड़ा था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यहां कुल विधायकों की संख्या के आधार पर मंत्रिमंडल का आकार कम करने के निर्देश के बाद इसकी गाज कुछ अन्य मंत्रियों के साथ उपाध्याय पर भी गिरी। 

वर्ष 2007 में यूकेडी के टिकट पर विधायक बने दिवाकर भट्ट, धनोल्टी से भाजपा विधायक खजान दास, नंदप्रयाग से निर्दलीय राजेंद्र सिंह भंडारी, कांडा से भाजपा विधायक रहे बीएस भौर्याल, सोमेश्वर से भाजपा विधायक अजय टम्टा, धारी से गोविंद सिंह बिष्ट, चंपावत से बीना महाराना को भी पहली बार में ही मंत्री बनने का मौका मिल गया। 2012 में निर्दलीय विधायक बने दिनेश धनै को भी पहली बार में ही मंत्री बनने का सौभाग्य मिला।

ये विधायक से पहले ही बन गए सीएम
उत्तराखंड में तीन राजनीतिक हस्तियां ऐसी भी हैं जो पहले मुख्यमंत्री बनीं और उसके बाद विधायक। इनमें शामिल हैं-भुवन चंद्र खंडूड़ी, विजय बहुगुणा और हरीश रावत, ये तीनों ऐसे नेता हैं जो सांसद रहते हुए मुख्यमंत्री बने और उसके बाद उन्हें पहली बार विधायक बनने का मौका मिला।

जीत की हैट्रिक के बाद भी न बन सके मंत्री
भारतीय जनता पार्टी से लगातार तीन बार विधानसभा चुनाव जीते अरविंद पांडेय, कांग्रेस में रहे शैलेंद्र मोहन सिंघल और कुंवर प्रणव चैपिंयन और बहुजन समाज पार्टी के हरिदास ने जीत की हैट्रिक लगाई, पर उनकी किस्मत इतनी अच्छी नहीं रही कि उन्हें मंत्री पद नसीब हो।

यूपी में विधायक और उत्तराखंड में बने मंत्री
राज्य में कुछ विधायक ऐसे भी हैं जो उत्तर प्रदेश में भी विधायक या विधान परिषद सदस्य रहे और उत्तराखंड बनने के बाद उनकी किस्मत चमकी और उन्हें यहां भी विधायक या मंत्री बनने का मौका मिल गया। इनमें डॉ. इंदिरा हृदयेश, गोविंद सिंह कुंजवाल, तिलक राज बेहड़, महेंद्र सिंह माहरा, नवप्रभात, शूरवीर सिंह सजवाण, मंत्री प्रसाद नैथानी, नरेंद्र सिंह भंडारी आदि शामिल हैं।

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