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माफिया सुभाष ठाकुर के मुकदमे की पत्रवली गायब

कचहरी परिसर में कार्यालयों से मुकदमे की पत्रवली गायब होने का एक और मामला सामने आया है। अबकी माफिया सरगना सुभाष ठाकुर के खिलाफ विचाराधीन आर्म्स एक्ट के मुकदमे की मूल पत्रवली ही नहीं मिल रही है। इसे...

माफिया सुभाष ठाकुर के मुकदमे की पत्रवली गायब
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 18 Apr 2015 10:43 PM
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कचहरी परिसर में कार्यालयों से मुकदमे की पत्रवली गायब होने का एक और मामला सामने आया है। अबकी माफिया सरगना सुभाष ठाकुर के खिलाफ विचाराधीन आर्म्स एक्ट के मुकदमे की मूल पत्रवली ही नहीं मिल रही है। इसे लेकर एडीजे (दशम) की कोर्ट ने जिला जज को पत्र लिखकर पत्रवली उपलब्ध कराने का आग्रह किया है। पत्रवली गायब होने की जानकारी पर  अधिकारियों और कर्मचारियों में हड़कंप की स्थिति है।

31 जनवरी-1991 को माफिया सुभाष ठाकुर और जयप्रकाश को भोजूबीर इलाके में प्रतिबंधित बोर के दो कारतूस के साथ गिरफ्तार किया गया था। तत्कालीन शिवपुर थाना प्रभारी हरिराम चौरसिया ने मामले की विवेचना कर चाजर्शीट अदालत को प्रेषित की थी। प्रकरण एडीजे (दशम) की अदालत में आरोप पर सुनवाई के स्तर पर विचाराधीन था। इस दौरान मूल पत्रवली नहीं होने के कारण अभियोजन की तरफ से एडीजीसी रविशंकर सिंह और सर्वेश सिंह ने पत्रवली तलब करने के लिए कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया।

अदालत ने जयप्रकाश की निर्णित फाइल तलब की। रिकार्ड रूम से आख्या प्राप्त हुई कि 8 अक्तूबर-2007 को न्यायिक मजिस्ट्रेट (द्वितीय) की अदालत में पत्रवली भेज दी गई है। इस संबंध में सत्र न्यायालय ने जेएम (द्वितीय) की अदालत से भी आख्या तलब की। वहां से रिपोर्ट मिली कि कार्यालय में यह पत्रवली नहीं है, वर्ष-2012 में ही इसे रिकार्ड रूम में भेज दिया गया है। लेकिन उसपर रिकार्ड कीपर के कोई हस्ताक्षर नहीं हैं।

पत्रवली के संबंध में स्पष्ट जानकारी नहीं मिलने पर एडीजे (दशम) ने जिला जज को पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि पत्रवली न होने से न्यायालय में लंबित मुकदमे की सुनवाई नहीं हो पा रही है। उन्होंने जिला जज से पत्रवली उपलब्ध कराने का आग्रह किया है।

पहले भी गायब हुई हैं अहम मुकदमों की फाइलें
मुकदमे की फाइलें गायब होना कचहरी में नया प्रकरण नहीं है। पहले भी कई महत्वपूर्ण मुकदमों की फाइलें गायब हो चुकी हैं। यहां तक कि नजारत कार्यालय में पुराने लॉकर से भी हत्या के मुकदमे की फाइल चोरी हो गई थी। 30 मई-2012 को बड़े-छोटे सिंह हत्याकांड के मामले में आरोपित मुन्ना बजरंगी की केस डायरी भी गायब हो गई थी। वर्ष-2011 में चर्चित कालोनाइजर अमीरचंद पटेल की पत्रवली गायब होने पर लंबी जांच और कार्रवाई हुई थी। सारनाथ में मो. नसीम उर्फ टीटू की हत्या से जुड़ी फाइल भी गायब होने का मामला 2009 में सामने आया था। हाल ही में 27 अक्तूबर-2014 को दीपावली की छुप्ती के बाद कचहरी खुली तो पता चला कि नजारत कार्यालय से लक्सा क्षेत्र बजरंग दल के नेता राजकुमार गिरि की हत्या संबंधी फाइल चोरी हो गई। दो दिन बाद पता चला कि मंडुवाडीह में संजय यादव हत्याकांड से जुड़ी फाइल भी गायब है। माफिया ब्रजेश सिंह के अलावा फिल्म निर्माता बीआर चोपड़ा के मुकदमे से संबंधित फाइलें भी पहले गायब हो चुकी हैं।

दो तरह से मिलता है लाभ
मुकदमे संबंधी फाइलें गायब होने पर आरोपितों को दो तरह से लाभ मिलता है। विधि मामलों के जानकार बताते हैं कि दोषसिद्ध होने की स्थिति में फाइलों के गायब होने से मुकदमे की मियाद बढ़ती जाती है और आरोपित राहत में रहते हैं। पुलिस सूत्रों ने बताया कि कुछ मामलों में दूसरे जिले या प्रदेश की जेलों से बचने के लिए भी अपराधी फाइलें गायब करा देते हैं। ताकि मामले का निस्तारण न हो सके।

जिला जज के आदेश पर होता है पुनर्गठन
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता आलोक चंद्र शुक्ला ने बताया कि किसी मामले की पत्रवली या फाइल गायब होने पर सबसे पहले इसकी सूचना जिला जज को दी जाती है। जिला जज इसके पुनर्गठन का आदेश देते हैं। इसके बाद थाने और संबंधित कार्यालयों से प्रकरण से जुड़े अभिलेख दोबारा जुटाए जाते हैं और पत्रवली बनाई जाती है। प्रमाणित प्रति को ही मूल पत्रवली मान लिया जाता है।

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