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एक वैक्सीन से दो नम्बर की जानलेवा बीमारी का खात्मा

गर्भाशय के मुख का कैंसर हर दो मिनट पर एक महिला की जान ले रहा है। भारत में हर साल पांच लाख 30 हजार महिलाओं में गर्भाशय के कैंसर की पहचान हो रही है। इनमें से दो लाख 75 हजार महिलाएं दम तोड़ देती हैं। इस...

एक वैक्सीन से दो नम्बर की जानलेवा बीमारी का खात्मा
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 17 Apr 2015 10:36 PM
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गर्भाशय के मुख का कैंसर हर दो मिनट पर एक महिला की जान ले रहा है। भारत में हर साल पांच लाख 30 हजार महिलाओं में गर्भाशय के कैंसर की पहचान हो रही है। इनमें से दो लाख 75 हजार महिलाएं दम तोड़ देती हैं। इस बीमारी से बचने के लिए वैक्सीन सबसे कारगर तरीका है। नौ साल की लड़कियां इसे लगवाकर जानलेवा बीमारी से बच सकती हैं। इससे 45 साल तक की उम्र की महिलाएं लगवा सकती हैं।

यह जानकारी केजीएमयू कुलपति डॉ. रवि कांत ने पत्रकार वार्ता में दी। केजीएमयू, प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग ने इन्टरनेशनल फेडरेशन सरवाईकल पैथोलॉजी एवं काल्पोस्कोप (आईएफसीपीसी) की ओर से कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। होटल क्लार्क अवध में कार्यशाल होगी। कुलपति डॉ. रवि कांत ने बताया कि साफ-सफाई और जागरूकता से बीमारी की रोकथाम की जा सकती है। इसके साथ ही गर्भाशय के मुख के कैंसर से बचने के लिए वैक्सीन लगवानी चाहिए। फिलहाल तीन डोज लगाई जा रही हैं। इसके बाद कोई बूस्टर डोज की जरूरत नहीं है।

नई वैक्सीन अगले साल तक
आईएफसीपीसी के सचिव डॉ. जेम्स बेन्टले ने कहा कि बाजार में जल्द ही एक नई वैक्सीन आने वाली है। जो सिर्फ गर्भाशय ही नहीं दूसरे तरह के कैंसर से बचाव में भी उपयोगी होगी। इसकी दो डोज लगाई जाएंगी। खास बात यह है कि इस वैक्सीन का कोई भी दुष्प्रभाव नहीं है। कनाडा में इस पर शोध चल रहा है। इसके उत्साहजनक नतीजे सामने आ रहे हैं।

जांच भी कराएं
केजीएमयू के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग (क्वीनमेरी) की डॉ. उमा सिंह ने बताया कि वैक्सीन लगवाने के साथ ही नौ से 25 साल की महिलाओं को तो वैक्सीन लगवानी चाहिए। साथ ही पैपस्मीयर आदि की जांच भी कराते रहना चाहिए। उन्होंने बताया कि इस जांच से गर्भाशय के मुख के कैंसर एवं उससे पूर्व की स्थिति का पता लगाया जा सकता है। इसके अलावा कॉल्पोस्कोपी (दूरबीन की जांच) एवं बायप्सी (मांस टुकड़े की जांच) से भी जांच मुमकिन है।

गर्भाशय के मुख के कैंसर के लक्षण
गर्भाशय के मुख के कैंसर का शुरुआत में कोई लक्षण नजर नहीं आता है। बाद में अनियमित रक्त स्नव और बदबूदार तरल पदार्थ का रिसाव होता है। इसके अलावा शारीरिक संबंध बनाने पर रक्तस्राव होता है। क्वीनमेरी की विभागाध्यक्ष डॉ. विनीता दास ने बताया कि गर्भाशय के मुख का कैंसर ह्यूमन पैपीलोमा वायरस (एचपीवी) से होता है। यह पुरुषों से फैलने वाला वायरस है। इसकी लगभग 100 तरह की प्रजातियां बेहद खतरनाक व जानलेवा है।

पोलियो के तरह इस कैंसर के खात्मे का संकल्प
क्वीनमेरी की डॉ. एसपी जायसवार ने बताया कि पोलियो का खात्मा पूरी तरह से हो चुका है। इसी तरह इस बीमारी के प्रति भी लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। ताकि सभी युवतियां इस वैक्सीन को लगवाएं। इसके अलावा साल में कम से कम एक बार युवती और महिलाओं को गर्भाशय के कैंसर की जांच करानी चाहिए।

केजीएमयू की पहल
केजीएमयू ने अपने यहां कार्यरत डॉक्टर और कर्मचारियों के महिला सदस्यों को गर्भाशय के कैंसर से बचाव की दिशा में अहम कदम उठाया है। कुलपति ने बताया कि डॉक्टर व कर्मचारियों की पत्नी, बेटियों और बहनों को हेल्थ स्क्रीम के तहत वैक्सीन लगाई जा रही हैं। ज्यादातर परिवार के सदस्यों को वैक्सीन लगाई भी चुकी है।

कारण
- संक्रमण
- कम उम्र में शादी
- ज्यादा संख्या में गर्भधारण करना
- महिलाओं का धूम्रपान करना
- एक से ज्यादा लोगों से शारीरिक संबंध बनाने पर

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