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यादव सिंह की गाड़ियों में मिले दस करोड़

नोएडा प्राधिकरण के चीफ इंजीनियर यादव सिंह के ठिकानों पर आयकर विभाग का छापा आज भी जारी है। यादव सिंह ने अपनी पत्नी कुसुमलता के नाम पर 40 बोगस कंपनियां बनाकर इनमें अरबों की धनराशि का गोलमाल किया है।...

यादव सिंह की गाड़ियों में मिले दस करोड़
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 28 Nov 2014 06:37 PM
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नोएडा प्राधिकरण के चीफ इंजीनियर यादव सिंह के ठिकानों पर आयकर विभाग का छापा आज भी जारी है। यादव सिंह ने अपनी पत्नी कुसुमलता के नाम पर 40 बोगस कंपनियां बनाकर इनमें अरबों की धनराशि का गोलमाल किया है। डीजी इनकम टैक्स कृष्णा सैनी ने बताया कि इनके घर से दस करोड़ की नकद धनराशि के साथ ही दो किलो डायमंड व सोने के जेवरात भी टीम को मिले हैं। नोएडा अथारिटी के मुख्य अभियंता यादव सिंह, पत्‍‌नी कुसुमलता के साथ उनके कारोबारी साझेदारों के यहा दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद के 20 ठिकानों पर आयकर विभाग की छापेमारी और जाच पड़ताल जारी है। आयकर महानिदेशक (जाच) कृष्णा सैनी) ने बताया कि आज छापे के दौरान यादव सिंह के घर से सोने और हीरे के दो किलो जेवरात मिले हैं जिन्हें जब्त कर लिया गया है। वहीं मैकेन इन्फ्रा के निदेशक राजेंद्र मनोचा के घर के बाहर खड़ी कार से दस करोड़ रुपये बरामद हुए हैं। इसके अलावा यादव सिंह के घर से 12 लाख रुपये और मीनू क्रियेशन्स के निदेशक अनिल पेशावरी के घर से 40 लाख रुपये नगद मिले हैं जिन्हें जब्त कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि 13 लॉक जब्त किये गए हैं जिनकी जाच की जाएगी। जाच के सिलसिले में नोएडा प्राधिकरण से भी और कुछ जानकारिया मागी गई हैं।

आज यादव सिंह के आवास नोएडा सेक्टर-51 में छापा के दौरान गाड़ियों में रखे आठ बैग में करीब दस करोड़ रुपये की धनराशि मिली है। इनके बंगले में खड़ी फाच्र्युनर तथा ऑडी की गद्दियों में इतनी बड़ी धनराशि को झोलों में भरकर गाड़ियों में रखा गया था। यादव सिंह के पास 90 लाख की ऑडी कार भी मिली है। आयकर विभाग की टीम ने इस बाबत यादव सिंह से भी पूछताछ की है।यादव सिंह के पास 90 लाख की ऑडी कार भी मिली है। आयकर विभाग की टीम ने इस बाबत यादव सिंह से भी पूछताछ की है।

इससे पहले कल आयकर विभाग की 20 टीमों ने गाजियाबाद, दिल्ली के साथ नोएडा में दो कंपनियों के वाणिज्यिक व आवासीय परिसरों में छापा डाला। इन कंपनियों का संबंध नोएडा अथारिटी में करोड़ों रुपये के घोटाले के लिए आरोपित चर्चित अधिकारी यादव सिंह से है जो इस समय नोएडा प्राधिकरण, ग्रेटर नोएडा व यमुना प्राधिकरण तीनों के ही प्रमुख अभियंता हैं। उनकी पत्‍‌नी कुसुमलता इन कंपनियों में निदेशक हैं।

आयकर महानिदेशक (जांच) कृष्णा सैनी ने बताया कि छापे की कार्रवाई मेकॉन इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड तथा मीनू क्रिएशन प्राइवेट लिमिटेड के व्यावसायिक प्रतिष्ठानों तथा इनके निदेशकों के आवासीय परिसरों में की गई है। उन्होंने इसे 'सर्वे' और 'सर्च' आपरेशन की संज्ञा दी। श्री सैनी ने बताया कि आपरेशन में आयकर विभाग के 130 तथा इतनी ही संख्या में पुलिस कर्मी शामिल हैं। छापे में 13 लॉकर पाए गए हैं जिन्हें सील कर दिया गया है और एक-दो दिन में इन्हें खोला जाएगा। आयकर महानिदेशक ने बताया कि अब तक की कार्रवाई में बेनामी संपत्तियों और प्रापर्टी डीलिंग के कागजात मिले हैं। कमीशन देने का उल्लेख करने वाले कागजात भी मिले हैं। अभी यह नहीं बताया जा सकता कि इसका संबंध किससे है और कमीशन किसको और किस काम के लिए दिया गया। कृष्णा सैनी ने बताया किमेकॉन इंफ्रा के निदेशकों में राजेन्द्र मनोचा, नम्रता मनोचा व यादव सिंह की पत्‍‌नी कुसुमलता शामिल हैं हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा 2012-13 में कुसुमलता कंपनी से अलग हो चुकी हैं। उन्होंने बताया कि मीनू क्रिएशन गारमेंट व्यवसाय से जुड़ी कंपनी बताई जाती है और छापे में भारी मात्रा में स्टाक बरामद हुआ है जो कर अपवंचना का मामला हो सकता है। यह पूछे जाने पर कि छापे की कार्रवाई से यादव सिंह का क्या रिश्ता है, महानिदेशक ने बताया वह कुसुमलता के पति हैं और आवश्यकता होने पर उनसे पूछताछ हो सकती है। इस पूरे मामले में नोएडा अथारिटी से भी विवरण मांगा जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह सारा मामला पिछले तीन-चार साल का है। उन्होंने कहा कि कार्रवाई रात भर चलेगी।

'शेल' कंपनियों के सहारे हुआ खेल

आयकर महानिदेशक (जांच) कृष्णा सैनी ने बताया कि इस बात की जांच भी कराई जा रही है कि 'शेल' कंपनियों (सिर्फ नाम की कंपनियां) के हवाले कितने भूखंड किए गए। यह सामने आया है कि रजिस्टर्ड कम्पनियां बनाकर नोएडा अथारिटी से भूखंड आवंटित कराए गए और फिर इन कंपनियों के शेयर को ही 'शेल' कंपनियों को बेच दिया गया। नतीजा यह हुआ कि भूखंड का स्वामित्व 'शेल' कंपनी का हो गया और यह पता ही नहीं चल सका कि इस पर 'कैपिटल गेन' कितना बना। सवालों के जवाब में आयकर महानिदेशक ने बताया कि अभी यह नहीं बताया जा सकता कि इस तरीके से कितने भूखंड आवंटित कराकर शेल कंपनियों के हवाले किए गए लेकिन इस संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता कि भारी पैमाने पर कर चोरी की गई।

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