बीएड में 45 फीसदी अंकों की अनिवार्यता को चुनौती
प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापकों के 72,825 पदों पर नियुक्ति बीएड में 45 प्रतिशत अंकों की अनिवार्यता के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के अधीन होगी। मुख्य न्यायमूर्ति डॉ....
प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापकों के 72,825 पदों पर नियुक्ति बीएड में 45 प्रतिशत अंकों की अनिवार्यता के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के अधीन होगी।
मुख्य न्यायमूर्ति डॉ. डीवाई चंद्रचूड एवं न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल की खंडपीठ ने इस आदेश के साथ इस मामले में प्रदेश सरकार व एनसीटीई से 28 नवम्बर तक जवाब मांगा है। नीरज कुमार राय व अन्य की याचिकाओं में एनसीटीई के उस प्रावधान को चुनौती दी गई है, जिसके माध्यम से सहायक अध्यापकों के चयन के लिए बीए, बीएससी व बीकॉम के साथ बीएड में 45 प्रतिशत अंकों की अनिवार्यता कर दी गई है। याचियों की ओर से तर्क दिया गया कि बीएड में 45 प्रतिशत अंकों की अनिवार्यता कानूनी प्रावधान के विपरीत एवं विभेदकारी निर्णय है क्योंकि ऐसा होने पर अंडर ग्रेजुएट काउंसिलिंग में शामिल नहीं हो सकेंगे। एनसीटीई के वकील रिजवान अली अख्तर ने कहा कि एनसीटीई को केंद्र सरकार के निर्देश के मुताबिक नियम बनाने का अधिकार है। स्थायी अधिवक्ता रामानंद पांडेय ने कहा कि एनसीटीई को चयन की योग्यता का मानक निर्धारित करने का अधिकार है। इस मामले पर अलगी सुनवाई के लिए 10 दिसम्बर की तारीख लगाई गई है।
शिक्षामित्रों के मामले में सुनवाई पांच को
इलाहाबाद। बगैर टीईटी उत्तीर्ण शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापकों के पद पर समायोजित करने को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई पांच नवम्बर को होगी। याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से समय मांगे जाने पर कोर्ट ने यह आदेश दिया।