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सील अल्ट्रासाउंड सेंटर और संचालक के घर पर चस्पा किए नोटिस

बुधवार की शाम निरीक्षण के लिए पहुंची राष्ट्रीय निरीक्षण एवं अनुश्रवण समिति की टीम के इंतजार के बावजूद बिजनौर अल्ट्रासाउंड स्कैन सेंटर पर जब संचालक नहीं पहुंचे तो टीम के आग्रह पर जिलाधिकारी के आदेश पर...

सील अल्ट्रासाउंड सेंटर और संचालक के घर पर चस्पा किए नोटिस
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 01 Oct 2015 09:10 PM
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बुधवार की शाम निरीक्षण के लिए पहुंची राष्ट्रीय निरीक्षण एवं अनुश्रवण समिति की टीम के इंतजार के बावजूद बिजनौर अल्ट्रासाउंड स्कैन सेंटर पर जब संचालक नहीं पहुंचे तो टीम के आग्रह पर जिलाधिकारी के आदेश पर सेंटर को सील कर दिया गया। गुरुवार की सुबह सेंटर व संचालक के घर दोनों स्थानों पर नोटिस चस्पा कर निरीक्षण कराने के लिए दोपहर दो बजे तक का समय दिया गया। इसके बाद पीसीपीएनडीटी एक्ट के धाराओं में अगली कार्यवाही की चेतावनी दी गयी है।

डा. आरपीएस राणा के अल्ट्रासाउंड सेंटर व गीता नगरी स्थित आवास पर गुरुवार की सुबह उपजिलाधिकारी/समुचित प्राधिकारी पीसीपीएनडीटी एक्ट अजय कुमार तिवारी व पीसीपीएनडीटी एक्ट के नोडल अफसर डा. महेन्द्र सिंह की ओर से नोटिस चस्पा कराए गए। इसमें कहा गया है कि बुधवार की शाम करीब छह बजे राष्ट्रीय निरीक्षण एवं अनुश्रवण समिति के सदस्यों डा. साबू एम जार्ज, डा. राजेश शर्मा, मानवी अग्रवाल तथा महानिदेशक परिवार कल्याण लखनऊ से आए संयुक्त निदेशक डा. रामाधार व नोडल अफसर डा. महेन्द्र सिंह बिजनौर अल्ट्रासाउंड स्कैन सेंटर पर निरीक्षण के लिए पहुंचे तो सेंटर बंद था। यहां अल्ट्रासाउंड करने के लिए अधिकृत चिकित्सक डा. ऊषा सिंह के मोबाइल नंबर पर भी सम्पर्क किया तो कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद टीम ने जिलाधिकारी/समुचित प्राधिकारी पीसीपीएनडीटी से आग्रह किया, कि उक्त सेंटर को सील कर दिया जाए, ताकि किसी भी प्रकार के रिकार्ड के गायब होने की स्थिति से बचा जा सके। इसके बाद मौके पर ही उक्त सेंटर की पत्रावली मंगाकर देखी गयी तो पाया गया, कि पूर्व में भी इस अल्ट्रासाउंड सेंटर को अनियमितता पाए जाने पर सील किया गया था। यह भी पाया गया, कि अल्ट्रासाउंड सेंटर का लाइसेंस वर्ष 2012 में सीएमओ के द्वारा जारी किया गया, जबकि यह जिलाधिकारी/समुचित प्राधिकारी की ओर से जारी किया जाना था। नोटिस में गुरुवार एक अक्तूबर की दोपहर दो बजे तक डा. आरपीएस राणा को सेंटर के निरीक्षण के लिए रास्ता उपलब्ध कराना सुनिश्चित करने को कहा गया है। इसके बाद एक्ट की धाराओं में उनके विरुद्ध निरीक्षण की अग्रिम कार्यवाही अमल में लाने की चेतावनी दी गयी है।

बिना अधिकार पूर्व सीएमओ जारी कर गए लाइसेंस
टीम की जांच के बाद खुलासा हुआ, कि वर्ष 2012 में तत्कालीन सीएमओ अधिकार न होते हुए भी बिजनौर अल्ट्रासाउंड स्कैन सेंटर का लाइसेंस जारी कर गए, जबकि लाइसेंस जारी करने का अधिकार सिर्फ जिलाधिकारी को होता है, जो पीसीपीएनडीटी एक्ट का समुचित प्राधिकारी होता है। यह मामला पकड़ में आने के बाद जिलाधिकारी ने सीएमओ बिजनौर से जवाब-तलब कर ऐसे सभी लाइसेंसों का ब्यौरा तलब किया है, जिन्हें पूर्व में सीएमओ की ओर से जारी किया गया है। विभागीय सूत्रों के अनुसार ऐसे लाइसेंस की संख्या कईं है। अब मामले में विभागीय अफसरों पर गाज गिर सकती है।

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