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कलाम को सलाम: सोशल मीडिया का शब्द-शब्द गमगीन

उनका अचानक चले जाना वो भी बिना बताए, बहुत दर्द दे गया। ऐसा लगता है वो हमारे बीच ही हैं। अभी उठेंगे और हल्की धीमी आवाज में सहज ही उत्साह भर देंगे। हमारे कंधे पर हाथ रखेंगे या फिर किसी स्कूल में बच्चों...

कलाम को सलाम: सोशल मीडिया का शब्द-शब्द गमगीन
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 28 Jul 2015 10:00 PM
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उनका अचानक चले जाना वो भी बिना बताए, बहुत दर्द दे गया। ऐसा लगता है वो हमारे बीच ही हैं। अभी उठेंगे और हल्की धीमी आवाज में सहज ही उत्साह भर देंगे। हमारे कंधे पर हाथ रखेंगे या फिर किसी स्कूल में बच्चों के बीच जा बैठेंगे। उन्हें सपनों से भर देंगे। तरह की बातें घूम-घूमकर बार-बार दिमाग में घर कर लेती हैं। हर कोई गमगीन है। हां, अब कुछ इसी तरह कलाम अभी भी हमारे बीच हैं। इसी फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप जैसा आज का समाज उनको श्रद्धांजलि से भरा पड़ा है। हर किसी की अपनी वाणी है, अपने शब्द हैं, लेकिन हर शब्द गमगीन है। कलाम को बारंबार सलाम...। साथ ही गुरदासपुर के आतंकी हमले में शहीद एसपी बलजीत को भी लोग याद करना नहीं भूले
एक ही दिन में दो देशभक्तों को खोने का दर्द सोशल मीडिया पर साफ छलका। शहरवासियों की भावनाएं सोशल साइट्स के पोस्ट के रूप में सामने आईं। सिलसिला पंजाब में आतंकवादी हमले में मारे गए पंजाब पुलिस के एसपी बलजीत सिंह से शुरू हुआ शाम होते-होते कलाम साहब की मौत से और वायरल हो गया। किसी ने दोनों को देश का सच्चा सपूत तो किसी ने पूरे विश्व के लिए एक हानि बताया। पूरे दिन लगभग हर सोशल साइट्स और मैसेजिंग इसी से संबंधित पोस्ट से भरे पड़े थे।

कुछ संदेश
आरआईपी (रेस्ट इन पीस) बलजीत, देश का सलाम कलाम।

कलाम को शत-शत नमन, अलविदा कलाम साहब।

आप जैसा कोई नहीं, कलाम तुझे सलाम।

नस्लों को दिया पैगाम तू कमाल है कलाम।

आधुनिक भारत के भगवान चले गए सबके प्यारे कलमा चले गए गीता और कुरान चले गए।

आज हिन्दू और मुसलमान भी रोया है क्योंकि सबने कलाम खोया है
न हिन्दू न मुसलमान रो रहा है कलाम के लिए पूरा हिन्दुस्तान रो रहा है

हम सबके प्यारे कलाम तुमको दिल से सलाम, स्माइल साथ ले गया मिसाइल मैन।

कलयुग में रामायण का राम चला गया...मेरे देश का कलाम चला गया
जो देता था एकता का पैगाम...वो कलाम चला गया
जिनसे हुई दुश्मों की नींद हराम, वो कलाम चला गया
जिसने दिया देश को परमाणु सलाम, वो कलाम चला गया
क्या बताऊं दोस्तों वतन का सबसे बड़ा हमनाम चला गया
मेरा कलाम चला गया...हमारा कलाम चला गया।

जी चाहता है तेरी नेकियों के दर पे, एक रास्ता बना लूं।
तेरी रूह से गुजरने वाली फिजाओं में एक महकता गुलशन सजा लूं।
... नमन है... अमन और विकास के मुसाफिर कलाम जी को।

आज समय का पहिया घूमा, पीछे सब कुछ छूट गया।
एक सितारा भारत माता की आंखों का टूट गया।
उसकी आंखें बंद हुईं तो पलकें कई निचोड़ गया,
सदियों तक न भर पाएगा, वो खालीपन छोड़ गया
न मजहब का पिछलग्गू था, न गफलत में लेटा था।
वो अब्दुल कलाम तो केवल भारत मां का बेटा था

बोलते-बोलते अचानक धड़ाम से जमीन पर गिरा एक फिर वटवृक्ष
फिर कभी नहीं उठने के लिए
वृक्ष जो रत्न था
वृक्ष जो शक्तिपुंज था
वृक्ष जो न बोले तो भी
खिलखिलाहट बिखेरता था
चीर देता था हर सन्नाटे का सीना
सियासत से कोसों दूर
अन्वेषण के अनंत नशे में चूर
वृक्ष अब नहीं उठेगा कभी
अंकुरित होंगे उसके सपने
फिर इसी जमीन से
उगलेंगे मिसाइलें
शांति के दुश्मनों को
सबक सिखाने के लिए
वृक्ष कभी मरते नहीं
अंकुरित होते हैं
नए-नए पल्लवों के साथ
वे किसी के अब्दुल होते हैं
किसी के कलाम
अलविदा...अलविदा...अलविदा

अब पता चला आसमान बरस नहीं रो रहा था
वो जानता था एक फरिश्ता आज हमेशा के लिए सो रहा था
बहुत मुश्किल है कोई यूं वतन की जान हो जाए
तुम्हें फैला दिया जाए तो हिन्दोस्तान हो जाए
वो ज्ञान थे विज्ञान थे
हर दिल की वो जान थे
कैसे भूलेंगे उनको, ऐसे वो इनसान थे
न वो हिन्दू थे न मुसलमान थे
वो तो सिर्फ और सिर्फ महान थे

न तू हिन्दू था न मुसलमान था
हमारे लिए राम था रहमान था
सदा के लिए बेशक सो गया तू
पर तेरे धड़कते दिल में हिन्दुस्तान था
सभी उलझे हुए मसलों का उनके पास हल था
आज यहां खिलते फूल हैं, जहां कल मरुथल था
सदियां भी भुला नहीं पाएंगी डॉ. कलाम को
जो भारत का नभ था, जल था, थल था
तुम देश की आबरू थे, अमन थे चैन थे
तुम्हीं परमाणु जनक तुम्हीं मिसाइल मैन थे
जिसने लिख दी स्वाभिमान की इबारत
तुम वो खूबसूरत कलम वो पेन थे।

 

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