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कैलाश चौरसिया को अयोग्य करार देने की मांग खारिज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री कैलाश चौरसिया को आपराधिक मुकदमे में सजा होने के आधार पर अयोग्य करार देने और विधानसभा से उनकी सदस्यता रद करने की मांग में दाखिल जनहित याचिका खारिज कर...

कैलाश चौरसिया को अयोग्य करार देने की मांग खारिज
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 21 Apr 2015 11:03 PM
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री कैलाश चौरसिया को आपराधिक मुकदमे में सजा होने के आधार पर अयोग्य करार देने और विधानसभा से उनकी सदस्यता रद करने की मांग में दाखिल जनहित याचिका खारिज कर दी है।

यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति डॉ. डीवाई चंद्रचूड एवं न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने मुख्य स्थायी अधिवक्ता रमेश उपाध्याय व याची प्रभुनाथ तिवारी के वकील को सुनकर दिया। याचिका में कहा गया कि राज्यमंत्री कैलाश चौरसिया के खिलाफ वर्ष 1995 में मिर्जापुर की कटरा कोतवाली में एक मुकदमा दर्ज हुआ था, जिसमें पोस्टमैन से रजिस्ट्री का बंडल छीनने, गालीगलौच करने और जान से मारने की धमकी देने का आरोप था। इस मुकदमे के ट्रायल के बाद मिर्जापुर के सीजेएम ने गत 28 फरवरी को अपने फैसले में कैलाश चौरसिया को आईपीसी की धारा 353, 504 व 506 के तहत अपराध का दोषी पाया।
साथ ही धारा 353 व 504 के लिए दो-दो वर्ष व दो-दो हजार रुपए और धारा 506 के लिए तीन वर्ष कैद व पांच हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। कहा गया कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8(4) के अनुसार सांसद व विधायक किसी आपराधिक मामले में दोषसिद्ध होने पर व सजा सुनाई जाने पर अयोग्य हो जाता है। इस आधार पर कैलाश चौरसिया की विधानसभा से सदस्यता रद की जाए और सुविधाएं रोक दी जाएं।

मुख्य स्थायी अधिवक्ता रमेश उपाध्याय ने याचिका पर प्रतिवाद करते हुए कहा कि आईपीसी की धारा 353, 504 506 में दोषसिद्ध व तीन वर्ष कारावास की सजा होने पर राज्यमंत्री कैलाश चौरसिया को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8(4) के तहत स्वत: अयोग्य करार नहीं दिया जा सकता। फिर सजा के इस आदेश के खिलाफ राज्यमंत्री की अपील पर सेशन कोर्ट ने गत 13 अप्रैल के आदेश से सीजेएम के फैसले के क्रियान्वन पर रोक लगा दी है। ऐसे में जनहित याचिका खारिज किए जाने योग्य है।

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