स्पेशल खिलाड़ियों ने दिखाया दम, नहीं किसी से कम
स्पेशल ओलंपिक के नेशनल कैंप का बुधवार को कैंट के भीम स्टेडियम में औपचारिक उद्घाटन हो गया। 30 राज्यों के 450 स्पेशल खिलाड़ियों ने शानदार मार्चपास्ट कर साबित कर दिया कि वे किसी से भी कम नहीं हैं। सुबह...
स्पेशल ओलंपिक के नेशनल कैंप का बुधवार को कैंट के भीम स्टेडियम में औपचारिक उद्घाटन हो गया। 30 राज्यों के 450 स्पेशल खिलाड़ियों ने शानदार मार्चपास्ट कर साबित कर दिया कि वे किसी से भी कम नहीं हैं।
सुबह साढ़े नौ बजे शुरू हुए मार्च पास्ट की अगुवाई आंध्र प्रदेश के खिलाड़ियों ने की। इन खिलाड़ियों के पीछे-पीछे चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, झारखंड, तमिलनाडू, अरूणाचल प्रदेश, कर्नाटक, बिहार, उड़ीसा, असोम, गोवा आदि के खिलाड़ी चल रहे थे। सबसे पीछे उत्तर प्रदेश की टीम अपने 15 खिलाड़ियों के साथ मार्चपास्ट में चल रही थी। मार्चपास्ट में एनसीसी कैडेट भी शामिल रहे। आर्मी बैंड की ‘सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा’ की धुन पर लयबद्ध मार्चपास्ट का नजारा लोगों को राष्ट्रभक्ति की भावना से भर दे रहा था।
मार्चपास्ट के बाद आर्यपुत्री कन्या इंटर कॉलेज की शिक्षिकाओं सुमेधा झा, रेखा झा, सीमा की अगुवाई में शिवांगी, सोनाली, काजल आदि ने देश रंगीला मेरा पर शानदार डांस पेश किया। कार्यक्रम में जीजी पुष्प, ऋषि सक्सेना, भूपाल सिंह मेहता, हर्ष चौहान, आशुतोष गुप्ता आदि का विशेष सहयोग रहा।
मशाल लेकर दौड़े स्पेशल एथलीट
रंगारंग कार्यक्रम के बाद तरणजीत, रूपाली आदि स्पेशल खिलाड़ी स्पेशल ओलंपिक की मशाल लेकर दौड़े। उन्होंने यह मशाल मुख्य अतिथि लेफ्टिनेंट जनरल आरएन नायर, एवीएसएम, एसएम, जीओसी, यूबी एरिया को सौंपी। लेफ्टिनेंट जनरल ने मशाल स्पेशल ओलंपिक के नेशनल स्पोटर््स डायरेक्टर विक्टर वॉज को सौंपकर कैंप के औपचारिक शुभारंभ की घोषणा कर दी। इससे पहले स्पेशल बच्चे एलिस और अनु नेजीओसी का बुके देकर स्वागत किया।
रिले रेस में दिखाया जज्बा
अतिथियों के सामने स्पेशल खिलाड़ियों ने रिले रेस का भी प्रदर्शन किया। जीत के लिए जी-जान लगाते खिलाड़ियों का जज्बा देखते ही बन रहा था।
इन्होंने बढ़ाया हौंसला
एयरफोर्स स्टेशन के एओसी एयर कमोडोर जितेंद्र मिश्रा, जेएलए के कमांडेंट ब्रिगेडियर बीएस ठक्कर, जेआरसी के कमांडेंट ब्रिगेडियर अनिल शर्मा, स्पेशल ओलंपिक भारत के वाइस चेयरमैन एयर मार्शल एसके मलिक, उत्तर एवं मध्य भारत के अध्यक्ष एयर मार्शल अशोक गोयल, एयर मार्शल एचएस गारखेल, एमएम खुर्रम, सुलेखा राना, डा. पुनीत गुप्ता, डा. देवानंद गुप्ता, कैप्टन राजीव ढींगरा आदि ने भी उद्घाटन समारोह में पहुंचकर बच्चों का हौसला बढ़ाया।
अक्षम बच्चों को जोड़ेंगे खेल से
स्पेशल ओलंपिक के राज्य कार्यक्रम निदेशक डा. अमिताव मिश्रा ने बताया कि स्पेशल ओलंपिक की सफलता को देखते हुए केंद्र सरकार ने सभी तरह के अक्षम बच्चों के खेल आयोजनों की जिम्मेदारी संस्था को दी है। संस्था स्पेशल कोच तैयार कर देश भर में अक्षम बच्चों को खेलों से जोड़ेगी।
खेलों से बदल गया बच्चों का जीवन
बहराइच की मीना सिन्हा अपनी 23 वर्षीय मूक-बधिर बेटी अमिताशा सिन्हा के साथ नेशनल कैंप में आई हैं। 75 फीसदी मेंटली रिटायर्ड अमिताशा ने एक वर्ष पहले ही स्पेशल ओलंपिक को ज्वाइन किया। मीना कहती हैं-एक साल में ही अमिताशा के अंदर बहुत अंतर आ गया है। पहले उसे अपनी सुध ही नहीं रहती थी। अब वो अपना अधिकतर काम खुद से करने लगी। मीना का बड़ा बेटा अमिष 32 वर्ष का है। अमिष भी मूक-बधिर हैं। अमिताशा की तरह अमिष भी नेशनल लेवल के खिलाड़ी हैं। मीना कहती हैं- खेल ने मेरे बच्चों का जीवन बदल दिया।
बेटे की खातिर गुवाहटी से आए बरेली
गुवाहटी से आए दीपेन राजकुमार और उनकी पत्नी नीरू राजकुमार ने जब अपने बेटे अन्यतम राजकुमार को टै्रक पर मार्चपास्ट करते देखा तो उनकी आंखें भर आईं। दीपेन कहते हैं कि खेल में आने के बाद बेटे के अंदर बड़ा अंतर आ गया है। उसे हंसते-खेलते देख लगता है कि हम लोगों का जीवन सफल हो गया। बेटे की खातिर ही हम लोग गुवाहटी से बरेली आए हैं। अब बेटा अमेरिका खेलने जाएगा, इससे ज्यादा फक्र की बात क्या हो सकती है। अन्यतम 2012 के स्पेशल नेशनल गेम में तैराकी का गोल्ड मेडल जीत चुके हैं।
स्पेशल बच्चों के नाम किया जीवन
बाराबंकी की डा. बलमीत कौर ने अपना पूरा जीवन ही स्पेशल बच्चों के नाम कर दिया है। 1992 में उन्होंने बहराइच में बाबा सुंदर सिंह बधिर विद्यालय की स्थापना की। उसके बाद उन्होंने बहराइच और आसपास के इलाकों में घूम-घूम कर स्पेशल बच्चों को अपने यहां प्रवेश देना शुरू किया। आज उनके स्कूल के बच्चे देश-दुनिया में बहराइच का नाम रोशन कर रहे हैं। डा. बलमीत कौर, उनके पिता, मां और भाई अपनी देह का दान भी कर रखा है।