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पंचगव्य और आयुर्वेद कर देंगे कैंसर का खात्मा

पंचगव्य, आयुर्वेद और जैविक खाना कैंसर को खत्म कर देगा। यह सब मुमकिम हो सकेगा कामधेनु पंचगव्य संस्थान की ओर से लगाए जा रहे शिविर मे। गायत्री शक्ति पीठ की ओर से आंवलखेड़ा स्थित गायत्री शक्ति पीठ पर लगने...

पंचगव्य और आयुर्वेद कर देंगे कैंसर का खात्मा
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 02 Apr 2015 08:09 PM
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पंचगव्य, आयुर्वेद और जैविक खाना कैंसर को खत्म कर देगा। यह सब मुमकिम हो सकेगा कामधेनु पंचगव्य संस्थान की ओर से लगाए जा रहे शिविर मे। गायत्री शक्ति पीठ की ओर से आंवलखेड़ा स्थित गायत्री शक्ति पीठ पर लगने वाले शिविर में कैंसर पीड़ित 50 लोगों का उपचार किया जाएगा। यह जानकारी शिविर आयोजक अशोक अग्रवाल ने दी।

उन्होंने बताया कि कैंसर की बढ़ती समस्या को देखते हुए कामधेनु पंचगव्य शोध संस्थान ने इस 11 दिवसीय शिविर को लगाने का फैसला लिया है। इसमें कैंसर पीड़ितों को पंचगव्य, आयुर्वेद और जैविक खाने से उपचार किया जाएगा। शिविर में बालसाड(गुजरात) में आयुर्वेद एवं पंचगव्य विधि से जिस प्रकार कैंसर का उपचार किया जाता है, उसी प्रकार से मरीजों का उपचार और प्रशिक्षण दिया जाएगा।

मरीज का खाना और दवाई सभी संस्था की ओर से होगा, बस एक बार पंजीकरण के लिए एक हजार रुपए देने होंगे। शिविर में बालसाड (गुजरात) से सीखकर आए वैद्य राजेश कपूर और वैद्य योगेश कुमार द्वारा उपचार किया जाएगा। शिविर आयोजक अशोक अग्रवाल ने बताया कि कैंप में एक मरीज पर तीन हजार रुपए का खर्चा बैठता है। जबकि एक साल तक इस विधि से इलाज कराने पर 30 से 35 हजार रुपए का खर्चा आएगा।

इस तरह से दिया जाएगा उपचार
रोगियों को सुबह छह बजे 200 ग्राम पंचगव्य फिर आधा घंटा बाद 20 जड़ी बूटियों से बने गोमूत्र के चार अर्क, तुलसी अर्क, संजीवनी अर्क, कांचनार अर्क, रक्त शुद्धि अर्क में से एक-एक चम्मच और 35 जड़ी बूटियों से बना कैंसर काढ़ा 50 ग्राम, त्रिदोष नाशक बूटी और आरोग्यवर्धनी बूटी की दो-दो गोलियां देते हैं। नाश्ते में एक चम्मच पंचगव्य मिला गाय का दूध, जौ का दलिया और मूंग की दाल। 10 से 12 बजे साहित्य चर्चा फिर दोपहर के भोजन में जौ की रोटी और हरी सब्जियां दी जाती हैं। दो बजे नीम, तुलसी, बेलपत्र और बारहमासी की चटनी। शाम को जलपान में मट्ठा, पपीता, खजूर व कैंसर काढ़ा और गोमूत्र अर्क दिया जाता है। रात्रि आठ बजे फिर जौ की रोटी और हरी सब्जी भोजन में दी जाती है। रात्रि नौ बजे एक चम्मच पंचगव्य घी और अभ्रक की भस्म मिला गाय का दूध दियाजाता है। मरीज को सही करने के लिए एक वर्ष तक यही विधि करनी होगी।

क्या है पंचगव्य
गो मूत्र, गोरस, दूध, दही, घी का मिश्रण पंचगव्य कहलाता है।
क्या है सप्तगव्य
गो मूत्र, गोरस, दूध, दही, घी, मट्ठा, मक्खन का मिश्रण सप्तगव्य कहलाता है।

ऐसे होता है इलाज
ब्रेन ट्यूमर के मरीज को पंचगव्य घी की मालिश की जाती है। मुख कैंसर में गोमूत्र, हल्दी, सेंधा नमक, फूली हुई फिटकरी से 10 बार गिरारे कराए जाते हैं। गले के घाव वाले मरीजों को गोमूत्र से घाव साफ किए जाते हैं, घी, तुलसी पाउडर घाव पर लगाने के बाद, गोबर, गोमूत्र का लेप और मरीज को सुबह-शाम आधा घंटा धूप में बिठाया जाता है। लंग कैंसर में लंग काढ़ा पिलाते हैं। लीवर कैंसर में भुई आंवला का काढ़ा पिलाते हैं। जबकि कैंसर के सभी रोगियों को दालचीनी, हल्दी, सौंठ, छोटी पीपल जो कि जैविक खाद से उगाई जाती है, खिलाई जाती हैं। रोगियों को तुलसी के पत्ते उबालकर पानी पिलाया जाता है।

शिविर में मिला मरीजों को फायदा
सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी और शिविर आयोजक अशोक अग्रवाल बताते हैं कि वे पांच साल पहले बालसाड जाकर उपचार की विधि को सीखकर आए। अब तक ते छह शिविर लगा चुके हैं। इसमें 175 लोगों ने भाग लिया और सभी को लाभ हुआ।

शहर में भी खुलेगा बालसाड जैसा केंद्र
कैंसर के मरीजों को बालसाड में जिस विधि से उपचार किया जाता है। वैसा ही इलाज शहर में मरीजों को मिलेगा। इसके लिए बीते दिनों शहर के गणमान्य जनों ने मिलकर कामधेनु पंचगव्य शोध संस्थान की स्थापना की है। संस्थान से जुडे़ वीके गोयल बताते हैं कि आयुर्वेद एवं पंचगव्य से उपचार में गाय का विशेष महत्व है। गो मूत्र, दूध, दही, घी और गोरस अहम कड़ी हैं। इसके लिए एक गऊशाला खोली जाएगी और वहीं पर उपचार केंद्र खोला जाएगा।

 

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