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जेलों में नहीं हैं सुरक्षा के पूरे प्रबंध

प्रदेश की जेलों में बंदियों व बंदी रक्षकों के बीच अक्सर होने वाली हिंसक झड़पों के बावजूद सुरक्षा के पूरे प्रबंध नहीं हो पा रहे हैं। हालत यह है कि जेल में सभी पदों पर स्वीकृत संख्या से कम लोग काम कर...

जेलों में नहीं हैं सुरक्षा के पूरे प्रबंध
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 26 Mar 2017 10:26 PM
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प्रदेश की जेलों में बंदियों व बंदी रक्षकों के बीच अक्सर होने वाली हिंसक झड़पों के बावजूद सुरक्षा के पूरे प्रबंध नहीं हो पा रहे हैं। हालत यह है कि जेल में सभी पदों पर स्वीकृत संख्या से कम लोग काम कर रहे हैं।

प्रदेश में जेलों की कुल संख्या 69 है। इसमें चित्रकूट, श्रावस्ती संतकबीरनगर व अम्बेडकरनगर में नई जेल निर्माणाधीन है। जेलों की क्षमता 57000 बंदियों की है जबकि उनमें 94000 बंदी रखे गए हैं। जेल की सुरक्षा में सबसे बड़ी भूमिका बंदीरक्षकों की होती है। बंदीरक्षकों के स्वीकृत पद 6543 हैं, जबकि कार्यरत 4269 ही हैं।

जेलों में प्रधान बंदी रक्षकों के 1239 पद स्वीकृत हैं, जबकि कार्यरत केवल 709 ही हैं। इसी तरह डिप्टी जेलरों के स्वीकृत 448 पदों के सापेक्ष 187, जेलरों के स्वीकृत 87 पदों के सापेक्ष 79, अधीक्षकों के स्वीकृत 64 पदों के सापेक्ष 50 तथा वरिष्ठ जेल अधीक्षकों के 21 स्वीकृत पदों के सापेक्ष 16 कार्यरत हैं। पांच जेलों लखनऊ, गोरखपुर, मुजफ्फरनगर, आगरा और नैनी (इलाहाबाद) में जेल के बाहर की सुरक्षा पीएसी के हवाले है। हालांकि सभी जेलों के बाहर पीएसी लगाने की योजना है। इसी तरह लगभग डेढ दर्जन जेलों में जैमर लगाने का काम चल रहा है। अभी तक सिर्फ कुछ ही जेलों में जैमर काम कर रहा है।

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