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रालोद के साथ हुआ गठबंधन तो सपा को होगा ये बड़ा फायदा

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी पश्चिमी यूपी की ताकत राष्ट्रीय लोकदल से गठबंधन कर सकती है। प्रदेश सरकार में वरिष्ठ मंत्री व यूपी सपा प्रभारी शिवपाल सिंह यादव ने रविवार को...

रालोद के साथ हुआ गठबंधन तो सपा को होगा ये बड़ा फायदा
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 30 May 2016 09:23 AM
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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी पश्चिमी यूपी की ताकत राष्ट्रीय लोकदल से गठबंधन कर सकती है। प्रदेश सरकार में वरिष्ठ मंत्री व यूपी सपा प्रभारी शिवपाल सिंह यादव ने रविवार को रालोद अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह के साथ बैठक कर इस मुद्दे पर चर्चा की। अगर सपा का मुस्लिम और रालोद के जाट वोटरों का गठजोड़ बनता है तो वेस्ट यूपी की 145 विधानसभा सीटों पर भाजपा और बसपा के लिए तगड़ी चुनौती होगी।

रविवार को दिल्ली में शिवपाल से मुलाकात के बाद चौधरी अजित सिंह सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव से मिलने उनके आवास गए। इससे चुनाव में दोनों पार्टियों में गठबंधन की अटकलें तेज हो गई हैं। हालांकि, अजित सिंह ने गठजोड़ की बात से इनकार किया है। इससे पहले रालोद की जदयू के साथ विलय और भाजपा के साथ गठबंधन पर बातचीत हुई थी, पर बात नहीं बन पाई। ऐसे में रालोद बहुत फूंक-फूंक कर आगे बढ़ रहा है।

राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार तय करने की प्रक्रिया के बीच इस मुलाकात को काफी अहम माना जा रहा है। अजित सिंह के करीबी सूत्रों का कहना है कि गठबंधन को लेकर शुरुआती बातचीत हुई है। दोनों दल अभी किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं। सपा पश्चिमी यूपी में पकड़ मजबूत करने के लिए अजित सिंह को राज्यसभा भेजने पर विचार कर सकती है। हालांकि सपा सभी राज्यसभा सीट के लिए अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर चुकी है। अजित सिंह को राज्यसभा भेजने के लिए सपा को एक उम्मीदवार वापस लेना होगा।

रालोद के एक नेता ने कहा कि शिवपाल यादव ने इससे पहले भी अजित सिंह से मुलाकात की थी। दोनों दलों के बीच गठबंधन पर चर्चा चल रही है। रालोद ने सपा के सामने सम्मानजनक सीट देने की मांग रखी है। सपा की तरफ से अभी इस पर कोई जवाब नहीं मिला है। इसलिए, रालोद भी अपने सभी पत्ते खोलने से बच रहा है।

सपा के रणनीतिकार मानते हैं कि रालोद सहित कई दूसरी छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन कर अगले साल विधानसभा चुनाव में सरकार विरोधी माहौल से होने वाले नुकसान की भरपाई की जा सकती है। क्योंकि, पिछले दो चुनावों में सपा और बसपा के बीच करीब चार फीसदी वोट के अंतर पर हार जीत हुई है, जबकि रालोद करीब तीन फीसदी वोट हासिल करने में सफल रहा है।

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