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संयुक्त राष्ट्र की टीम ने कानपुर से किया गंगा सफाई का आगाज

गंगा को साफ करने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने पहल की है। कानपुर की लेदर इंडस्ट्री के साथ पहली बार तकनीकी लैब और योजना का खाका बनाया है, जिसकी शुरुआत सोमवार को कर दी। संयुक्त राष्ट्र के औद्योगिक विकास...

संयुक्त राष्ट्र की टीम ने कानपुर से किया गंगा सफाई का आगाज
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 08 Feb 2016 12:40 PM
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गंगा को साफ करने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने पहल की है। कानपुर की लेदर इंडस्ट्री के साथ पहली बार तकनीकी लैब और योजना का खाका बनाया है, जिसकी शुरुआत सोमवार को कर दी। संयुक्त राष्ट्र के औद्योगिक विकास संगठन (यूनिडो) ने प्रदूषण घटाने के लिए चार टेक्नोलॉजी पर काम शुरु किया है। टेनरी कर्मयिों को लगातार अपडेट करने के लिए प्रशिक्षण सत्र के साथ गंगा सफाई का आगाज किया। इसी के साथ प्रदूषण रोकने को टेस्टिंग के बाद कुछ टेनरियों में नई तकनीकी का इस्तेमाल शुरू हो जाएगा।

सोमवार को बंथर स्थित कानपुर लेदर क्लस्टर में गंगा सफाई के लिए ठोस काम की नींव पड़ी। वियना स्थित यूनिडो के प्रोजेक्ट मैनेजर इवान क्राल ने खुद प्रोजेक्ट को लांच किया।  योजना का मुख्य फोकस टेनरियों से निकलने वाले उत्प्रवाह में घातक रयासनों को खत्म करना है।
 
संयुक्त राष्ट्र के प्रोजेक्ट कोआर्डिनेटर एम. विश्वानथन ने बताया कि टेनरियों से निकलने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने कदम बढ़ाए हैं। इसके तहत चार टेक्नोलॉजी पर काम हो रहा है। 'डीसाल्टिंग' प्रोसेसिंग से नमक की मात्रा को कम किया जा रहा है। नमक को पानी से अलग कर उसे रीसाइकिल किया जा रहा है। इसी तरह 'हेयर सेव अनहेयरिंग' टेक्नोलॉजी के जरिए टेनरियों से निकलने वाले सॉलिड वेस्ट में से बालों को अलग किया जाता है। फिनिशिंग के दौरान खालों से निकले बाल केमिकल से भी खत्म नहीं होते। इनकी वजह से प्लांट चोक हो जाते हैं और जमीन प्रदूषित। इस टेक्नोलॉजी से न सिर्फ बालों को अलग कर दिया जाता है बल्कि अलग न हो सकने वाले बारीक बाल खास केमिकल के जरिए नष्ट किए जाते हैं।

 तीसरी टेक्नोलॉजी है वाटर मेसरमेंट एंड मिक्सिंग, जिसमें पानी के अत्यधिक इस्तेमाल को कम किया जाता है। पानी के अनुपात को फिक्स किया जाता है। चौथी टेक्नोलॉजी है- सोलर असिस्टेड हॉट वाटर। इसमें सूर्य की रोशनी से पानी गर्म होता है, जिसे टेनिंग और अन्य काम में इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा प्रशिक्षण भी दिया जाता है। इसमें उद्यमियों को प्रदूषण को खुद ही चेक करना सिखाया जा रहा है। विदेशों में स्थित टेनरियों के तकनीकी पेशेवरों से टिप्स, ऑनलाइन ट्रेनिंग और मॉनीटरिंग सिस्टम भी इसमें शामिल है।

ऐसा सिस्टम तैयार किया जा रहा है जिसमें टेनरियों से निकलने वाले प्रदूषित पानी में टेनरी में ही कम से कम प्रदूषित हो। इसके उसे कॉमन ट्रीटमेंट प्लांट में भेजा जाएगा। क्रोम मुक्त लेदर तैयार करने पर भी काम हो रहा है। नई टेक्नोलॉजी में टेनरियों से सल्फाइड, नमक और चूने को नियंत्रित किया जाएगा। इसका इस्तेमाल खत्म करने या न्यूनतम करने पर शोध चल रहा है। इसकी जगह एंजाइम आधारित बायोप्रोडक्ट का इस्तेमाल जल्द प्रयोग में लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदूषण पर लगाम लगाने की हर तकनीक और मशीन मौजूद है। जल्द इंडस्ट्री आपको नए रूप में दिखेगी।

कानपुर लेदर क्लस्टर के डॉ. ओपी पांडेय ने बताया कि नीदरलैंड की एजेंसी भी क्लस्टर में अपना दफ्तर खोलेगी। यह एजेंसी प्री ट्रीटमेंट और पोस्ट ट्रीटमेंट पर काम करेगी। पूरी कवायद गंगा को प्रदूषित होने से बचाने के लिए है। टेनरी संचालक भी इस पहल को अच्छा बता रहे हैं, उनका कहना है कि दुनिया भर में प्रदूषण के नाम पर वे बदनामी से बच पाएंगे।

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