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दाऊद के दो गुर्गे नेपाल के रास्ते भारत आने की फिराक में!

मधेसी आन्दोलन के बीच अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के दो गुर्गे नेपाल के रास्ते भारत में आने की फिराक में हैं। आईबी के अलर्ट के बाद सोनौली सीमा पर मंगलवार सुबह से खुफिया और दूसरी सुरक्षा एजेंसियां...

दाऊद के दो गुर्गे नेपाल के रास्ते भारत आने की फिराक में!
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 17 Nov 2015 08:43 PM
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मधेसी आन्दोलन के बीच अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के दो गुर्गे नेपाल के रास्ते भारत में आने की फिराक में हैं। आईबी के अलर्ट के बाद सोनौली सीमा पर मंगलवार सुबह से खुफिया और दूसरी सुरक्षा एजेंसियां सक्रिय हो गर्ईं। आईबी, रॉ और एसएबी इंटेलिजेंस के आला अधिकारी सीमा की गतिविधियों पर नजर गड़ाए हैं। एलआईयू और स्थानीय पुलिस ने भी खुली सीमा के चोर रास्तों पर निगरानी बढ़ा दी है।

मधेसी आन्दोलन के बीच नेपाल के रास्ते आतंकियों के घुसने की आशंका आईबी ने पहले भी जताई थी। इसको लेकर सीमा पर जांच सख्त कर दी गई थी। इस बीच पेरिस में आतंकी हमले के बाद सुरक्षा और बढ़ा दी गई थी। अभी सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा चल रही थी कि सोमवार देर रात आईबी ने अलर्ट जारी कर दिया कि दाऊद के दो गुर्गे मंगलवार या बुधवार को नेपाल के रास्ते भारत में घुसने की जुगत में हैं। इसके बाद खुफिया के साथ सुरक्षा एजेंसियां सक्रिय हो गईं। मंगलवार सुबह से ही सोनौली से लेकर झुलनीपुर सीमा तक नेपाल सीमा पर चौकसी बढ़ा दी गई। चोर रास्तों पर भी खुफिया विभाग पूरे दिन नजर रखे रहा। 

नेपाल की खुली सीमा सुरक्षा के लिए चुनौती
नेपाल की खुली सीम सुरक्षा के लिए चुनौती बनी हुई है। यहां टुंडा के बाद इंडियन मुजाहीद्दीन के खतरनाक आतंकी यासीन भटकल और फिर संदिग्ध पाकिस्तानी नागरिक जावेद भी पकड़ा गया है। भारत-नेपाल की 1751 किमी खुली सीमा आतंकियों के लिए आसान साबित हो रही है। पिछले ढाई दशकों में दर्जनों खूंखार आतंकी भारत-नेपाल के संवेदनशील सीमा से पकड़े जा चुके हैं। सुरक्षा एजेंसियां भी नेपाल बार्डर की संवेदनशीलता को लेकर चिंता जता चुकी हैं।

भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के टॉप-20 आतंकियों में शुमार अब्दुल करीम टुंडा के भारत-नेपाल सीमा पर दिल्ली पुलिस के हत्थे चढ़ने के बाद बॉर्डर सुर्खियों में आया था। इसके बाद इंडियन मुजाहीद्दीन के सरगना यासीन भटकल की नेपाल बार्डर से गिरफ्तारी हुई। और अब संदिग्ध पाकिस्तानी जावेद। यह साबित करता है बार्डर पूरी तरह संवेदनशील बन चुका है।

आतंकी गतिविधियों में नेपाल सबसे पहले 1991 में सुर्खियों में आया। तब सोनौली बार्डर पर पंजाब का खूंखार अपराधी सुखविंदर सिंह दबोचा गया। इसके बाद सिद्धार्थनगर जिले की बढ़नी सीमा पर भाग सिंह व अजमेर सिंह नामक आतंकी पकड़े गए। वर्ष 1993 में सोनौली बॉर्डर से ही एक बार फिर मुंबई कांड का आरोपी याकूब मेमन पकड़ा गया। नेपाल में शरणस्थली बनाने वाले कराची के आतंकी जब्बार को एटीएस ने लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन से पकड़ा था। जब्बार को नेपाल में पनाह देने वाले वसीम को एटीएस ने बारांबकी में पकड़ा था। बब्बर खालसा इंटरनेशनल का खूंखार अपराधी मक्खन सिंह भारत में प्रवेश करते हुए बढ़नी बार्डर से पकड़ा गया था।

नेपाल के हिमालयन होटल में हुआ था आईएम का जन्म
पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर काम करने वाले आतंकी संगठनों का पहले ऑपरेशन सेंटर नेपाल ही रहा है। दस लाख के इनामी आतंकी यासीन भटकल की देखरेख में बने आतंकी संगठन इंडियन मुजाहीद्दीन (आईएम) का गठन भी नेपाल के ही एक होटल में हुआ था। नेपाल से संचालित आतंकी खेल में नेपाल स्थित पाकिस्तानी दूतावास की भूमिका पर भी सवाल उठते रहे हैं। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने लश्कर-ए-तइबा व जैश-ए-मोहम्मद की बैठक कराकर नेपाल के नगरकोट के हिमालयन होटल में इंडियन मुजाहिद्दीन नाम से आतंकी संगठन को खड़ा किया था, जिसकी बागडोर आइएसआई ने आतंकी यासीन भटकल को सौंपी थी। 

 

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