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11 शहरों में निवेशकों के करोड़ों रुपए हड़पने वाला जालसाज गिरफ्तार

24 महीने में रकम दोगुनी करने का झांसा देकर निवेशकों के करोड़ों रुपए हड़पने वाले विकास अग्रवाल को मडि़यांव पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। ठगी की रकम से विकास ने बरेली में कारोबार फैला रखा था। बरेली पहुंची...

11 शहरों में निवेशकों के करोड़ों रुपए हड़पने वाला जालसाज गिरफ्तार
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 21 Oct 2015 11:46 PM
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24 महीने में रकम दोगुनी करने का झांसा देकर निवेशकों के करोड़ों रुपए हड़पने वाले विकास अग्रवाल को मडि़यांव पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। ठगी की रकम से विकास ने बरेली में कारोबार फैला रखा था। बरेली पहुंची पुलिस टीम ने उसे पकड़ा।

विकास ने इंदिरानगर में आलीशान ऑफिस खोलकर व्यापारियों से लेकर पुलिस अधिकारियों तक को चूना लगाया था। उसके खिलाफ गोमतीनगर व गाजीपुर थाने में कई मुकदमे दर्ज हैं। अब पुलिस उससे पूछताछ करके कंपनी से जुड़े रहे उसके साथियों का पता लगा रही है।

इंदिरानगर में सेक्टर-9 निवासी संजय श्रीवास्तव का नंदिनी विहार में मकान है। बरेली निवासी विकास अग्रवाल व पवन अग्रवाल ने वर्ष 2009 में संजय का मकान किराए पर लिया था। उन लोगों ने मकान में रेलीगेयर सिक्योरिटीज लिमिटेड नाम से ऑफिस खोला। ऑफिस की देखरेख विकास के साथी शकील अहमद व नईम करते थे। शकील खुद को कंपनी का मैनेजर बताता था। जालसाजों ने 24 महीने में रकम दोगुनी करने का झांसा देकर लोगों से कंपनी में करोड़ों रुपए निवेश कराए। लोगों को विश्वास में लेने के लिए जालसाजों ने कुछ निवेशकों को फायदा भी पहुंचाया। इसके बाद तो लोग फंसते ही चले गए।

इनके रुपए डूबे
मकान मालिक संजय श्रीवास्तव खुद भी इनके बहकावे में आ गए। संजय ने 14 लाख, मजरे आलम ने 15 लाख रुपए, नसीर आलम ने 6 लाख, गोमतीनगर निवासी राकेश खत्री ने 80 लाख, गुंजन तिवारी ने तीन लाख, महजबीन आलम ने 6 लाख, संजय खत्री ने 70 लाख, दीपक खत्री ने तीन लाख रुपए निवेश किए थे। पीडि़तों के मुताबिक जालसाजों ने राजधानी के करीब 400 लोगों की रकम हड़पी है। संजय ने बताया कि वर्ष 2013 में विकास, पवन व उसके साथी रातों-रात ऑफिस में ताला बंद करके चंपत हो गए। संजय ने बताया कि पीडि़तों ने शहर के कई थानों में विकास, पवन, शकील अहमद व नईम के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया था। सभी आरोपी फरार थे।

पुलिस अधिकारियों को भी ठगा
सूत्रों के मुताबिक जालसाजों ने डीजीपी ऑफिस में तैनात कई बड़े अधिकारियों को भी चूना लगाया था। इंस्पेक्टर संतोष सिंह ने बताया कि गोमतीनगर व गाजीपुर में मुकदमा दर्ज होने के बाद स्थानीय पुलिस मामले की जांच करती रही। बाद में जांच क्राइम ब्रांच को सौंप दी गई लेकिन आरोपी पुलिस के हाथ नहीं लगे। करीब 15 दिन पहले यह जांच इंस्पेक्टर संतोष सिंह को दी गई। पीडि़तों के द्वारा जानकारी मिली थी कि सरगना विकास अग्रवाल बरेली में अपना कारोबार जमाए है। विकास की गिनती बरेली के नामचीन कारोबारियों में होती है। पुलिस ने वहां छापेमारी करके विकास को दबोच लिया। विकास ने बरेली में आलीशान ऑफिस बना रखा है।

काम नहीं आई पैरवी
मडि़यांव पुलिस ने जैसे ही विकास को पकड़ा उनके पास पैरवी के लिए फोन आने लगे। सूत्रों की मानें तो बरेली रेंज के एक बड़े अधिकारी ने फोन करके मडि़यांव पुलिस से विकास को छोड़ने के लिए कहा। तब इंस्पेक्टर संतोष सिंह ने डीजीपी के आदेश पर कार्रवाई करने की बात कही। मामले में डीजीपी का हस्तक्षेप होने की बात सुनकर अधिकारी ने अपनी सिफारिश वापस ले ली।

कई शहरों में की ठगी
जालसाजों ने सिर्फ लखनऊ में ही ठगी का कारोबार नहीं किया। इन लोगों ने गोरखपुर, बरेली, कानपुर, मेरठ, गाजियाबाद, मुरादाबाद, आगरा, नैनीताल, हलद्वानी, भोपाल और इन्दौर में भी लोगों को ठगा। इंस्पेक्टर संतोष सिंह ने बताया कि विकास अग्रवाल का टारगेट बड़े व्यापारी होते थे। वह प्रलोभन देकर इन्हें बहकावे में लेता था। व्यापारियों से उसे एकमुश्त बड़ी रकम मिल जाती थी। जालसाजों ने लखनऊ के लोगों से करीब पांच करोड़ रुपए हड़पे।

अधिकारियों की शह पर बचता रहा आरोपी
विकास अग्रवाल का ठिकाना पीडि़तों को मालूम था। पीडि़त दीपक खत्री ने बताया कि उन्होंने पहले के विवेचना अधिकारियों को विकास के बरेली में होने की जानकारी दी थी। बावजूद इसके पुलिस आरोपी पर कार्रवाई करने से बचती रही। पीडि़तों का आरोप है कि विकास अग्रवाल के कई बड़े नेताओं और पुलिस अधिकारियों से सम्बंध हैं। उन्हीं की शह पर वह बचता रहा। बुधवार को जब मडि़यांव पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया तो पुलिस के पास विकास की सिफारिश के लिए कई नामचीन लोगों के फोन आए। हालांकि इस बार विकास को रिहाई नहीं मिली। एएसपी ट्रांसगोमती मनीराम यादव ने बताया कि आरोपी से पूछताछ करके उसके साथियों का पता लगाया जा रहा है।

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