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धार्मिक गुरू भी बोले..बिन पानी सब सून

पानी बचाने और उसकी बर्बादी रोकने के लिए हिन्दुस्तान की मुहिम बिन पानी सब सून में धार्मिक गुरु भी आगे आ गए हैं। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद महाराज ने भी लोगों से अपील की है कि वह जल और नदी बचाने...

धार्मिक गुरू भी बोले..बिन पानी सब सून
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 28 Apr 2016 08:42 PM
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पानी बचाने और उसकी बर्बादी रोकने के लिए हिन्दुस्तान की मुहिम बिन पानी सब सून में धार्मिक गुरु भी आगे आ गए हैं। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद महाराज ने भी लोगों से अपील की है कि वह जल और नदी बचाने के लिए आगे आएं। वहीं, दारुल उलूम देवबंद ने तो मुसलमानों से अपील की है कि वह सूखे से निजात पाने को विशेष नमाज अदा करें और हर नमाज में पानी के लिए दुआ करें। देवबंद के साथ ही बरेली के दोनों मरकज ने भी इसी तरह की अपील जारी की है। शुक्रवार को तमाम जगहों पर तकरीर और खास दुआएं होंगी।

दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मौलाना अबुल कासिम नोमानी ने कहा कि पानी अल्लाह की दी गई वो नियामत है जिसका बेजा इस्तेमाल करना भी हराम है। उन्होंने सूखाग्रस्त क्षेत्रों में बारिश के लिए विशेष नमाज

( नमाज-ए-इसतसका) अदा करने और पूरे देश में हर नमाज के बाद पानी के लिए दुआएं करने की अपील की। शरीयत का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इसलाम में तो जंग के वक्त भी पानी और पेड़ों को बचाने का हुक्म दिया गया है।

जल की बर्बादी रोकने को चलाई जा रही हिन्दुस्तान अभियान की मुहिम ' बिन पानी सब सून'  को दरगाह आला हजरत की संस्था जमात रजा ए मुस्तफा का भी साथ मिला है। जमात रजा ए मुस्तफा  के अध्यक्ष शहर काजी मोहम्मद असजद रजा खां कादरी ने कहा कि इस्लाम में पानी की फिजूलखर्ची से बचने का हुक्म है। खानकाह-ए-नियाजिया बरेली के प्रबंधक शब्बू मियां नियाजी ने कहा कि हिन्दुस्तान अखबार की मुहिम बिन पानी सब सून में खानकाह-ए-नियाजिया साथ है। जल संकट के हालात देखते हुए बूंद-बूंद पानी बचाना हमारा समाजी और मजहबी फर्ज है।
 
जल संकट पर सोचो, नदियों का सम्मान करोः शंकराचार्य
शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानन्द महाराज ने हिन्दुस्तान द्वारा जल संकट को लेकर चलाये जा रहे अभियान की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस समय लोगों को जल की महत्ता बताना जरुरी है, जल अमृत है, लेकिन वर्तमान में लोग इसकी महत्ता को भूल रहे हैं। नदियों पर बांध बनाकर उन्हें बांधा जा रहा है, नालों और कारखानों का गंदा पानी नदियों में डालकर उन्हें अपमानित किया जा रहा है।  यदि अभी भी सचेत नहीं हुए तो आने वाले दिनों में पानी पर बड़ा युद्व होगा। जल संकट को दूर करने के लिए हमें नदियों को खुला छोड़ना होगा और उन पर बने बांध हटाने होंगे, गंगा का पानी अमृत है, गंगा में जो भी नदी मिलती है उसका पानी अमृत हो जाता है। हमें सभी नदियों का सम्मान करना होगा। यदि लोग अभी भी सचेत नहीं हुए और नदियों को अपमानित किया जाता रहा तो जल संकट और बढ़ेगा।

 

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