सेना न आती तो सही सलामत भारत आना था मुश्किल
मानसरोवर यात्रा पर गए आचार्य मृदुलकांत शास्त्री ने शनिवार को आपबीती सुनाई। घटना को याद कर वह अब भी सिहर उठते हैं। उन्होंने बताया कि कैलाश मानसरोवर में शिवपुराण कर 37 तीर्थयात्रियों के साथ वह लौट...
मानसरोवर यात्रा पर गए आचार्य मृदुलकांत शास्त्री ने शनिवार को आपबीती सुनाई। घटना को याद कर वह अब भी सिहर उठते हैं।
उन्होंने बताया कि कैलाश मानसरोवर में शिवपुराण कर 37 तीर्थयात्रियों के साथ वह लौट रहे थे। भारत के आगरा, दिल्ली, बदायूं, कानपुर के तीर्थयात्री थे। पूरा किराया देकर सिमीकोट से नेपालगंज के लिए हवाई जहाज में चढ़े थे, लेकिन उन्हें सुर्खेत में ही उतार दिया गया। इस पर तीर्थयात्रियों ने विरोध किया तो कुछ ही समय में नेपाल पुलिस आई। दो पुलिस अफसरों ने लाठी चार्ज के निर्देश दिए और भारतीय कहते हुए गाली-गलौज की। मृदुलकांत ने तभी नेपाल में न्याय विभाग में रहे वरिष्ठ अधिकारी को फोन पर सहायता मांगी। इस पर सेना पहुंची और उन्हें बचाया। कई घंटे भूखे-प्यासे हवाई अड्डे के रनवे पर ही तीर्थयात्रियों को समय व्यतीत करना पड़ा। उनका कहना है कि वे कभी भी नेपाल की ओर देखना पसंद नहीं करेंगे।
झूठे आरोपों पर फंसाने का रचा था षड़यंत्र
मृदुलकांत ने बताया कि नेपाल पुलिस उन्हें और उनके साथ के तीन-चार तीर्थ यात्रियों को गंभीर आरोप लगाकर गिरफ्तार करने की बात कह रही थी। भारतीय ब्राह्मण होने के कारण चिढ़कर हवाई जहाज के हाईजैक करने के आरोप में फंसाने का प्रयास कर रहे थे। उन्होंने इस घटना की शिकायत विदेश और भारतीय दूतावास से की है।