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Hindi Newsअखिलेश को सपा और साइकिल दोनों मिली, चुनाव आयोग ने दिया फैसला

अखिलेश को सपा और साइकिल दोनों मिली, चुनाव आयोग ने दिया फैसला

निर्वाचन आयोग ने एक अहम फैसले में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नेतृत्व वाले खेमे को समाजवादी पार्टी करार दिया और चुनाव निशान साइकिल भी उन्हें इस्तेमाल करने की अनुमति दे दी। उत्त

लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 16 Jan 2017 10:47 PM

निर्वाचन आयोग ने एक अहम फैसले में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नेतृत्व वाले खेमे को समाजवादी पार्टी करार दिया और चुनाव निशान साइकिल भी उन्हें इस्तेमाल करने की अनुमति दे दी।

उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए निर्वाचन आयोग का यह फैसला समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के लिए तगड़ा झटका है। निर्वचन आयोग में मुख्य निर्वाचन आयुक्त नसीम जैदी की अध्यक्षता वाले तीन सदस्य आयोग ने विस्तृत सुनवाई के 13 जनवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। आयोग ने दो मुद्दे तय किए थे, पहला, क्या पार्टी में विभाजन हुआ है। दूसरा, यदि विभाजन है तो बहुमत किसके पास है और चुनाव निशान किसे दिया जाए। 

समाजवादी पार्टी में विभाजन हुआ
आयोग ने फैसले में कहा कि पार्टी में विभाजन हुआ था। मुलायम यिंह खेमा यह दवा करता रहा कि 1 जनवरी को लखनऊ के जनेश्वर मिश्र पार्क में होने वाले वार्टी को अधिवेशन असंवैधानिक था। इसलिए पार्टी में विभाजन नहीं हुआ है, और मुलायम सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हुए हैं। इस अधिवेशन में अखिलेष यादव को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया था। अधिवेशन में पार्टी के 90 फीसदी प्रतिनिधियों, विधायकों और सांसदों ने हिस्सा लिया था। आयोग ने कहा कि मुलायम सिंह यादव की ओर से आयोग को दिए गए पत्र में उन्होंने खुद स्वीकार किया कि पार्टी में विभाजन हो चुका है।

आयोग ने पार्टी के महासचिव अमर के 3 जनवरी के पत्र का जिक्र किया जिसमें उन्होंने आयोग को लिखा, हमारा विनम्र आग्रह है कि समाजवादी पार्टी तथा इसके चुनाव निशान के विवाद का निपटारा पार्टी के संविधान के अनुसार किया जाए न कि टूटे हुए धड़े के दावों के अनुसार। आयोग ने कहा कि यह स्वीकारोक्ति मुलायम खेमे के सभी दावों को ध्वस्त कर देती है कि पार्टी में विभाजन नहीं हुआ। इसलिए यह माना जाता है कि पार्टी में विभाजन हो गया।

चुनाव निशान पर आयोग ने कहा कि चुनाव निशान आदेश,1968 के पैरा-15 के अनुसार इसका फैसला बहुमत को देखते हुए किया जाता है। अखिलेष यादव खेमे ने दवा किया है उनके पक्ष में पार्टी के सांसद, विधायक, विधान पार्षद तथा पार्टी प्रतिनिधियों का 90 फीसदी समर्थन है। इसके बारे में उन्होंने कहा कि 228 विधायकों में से 205 विधायक,  68 विधानपार्षदों में से 56 तथा लोकसभा और राज्यसभा के 24 सदस्यों में से 15 का समर्थन उन्हें प्राप्त है। इसके अलावा पार्टी के 5731 प्रतिनिधियों में 4716 का समर्थन भी उनके साथ है। जबकि मुलायम खेमे ने ऐसा कोई दावा ही नहीं किया। इसलिए चुनाव निशान साइकिल अखिलेष खेमे को इस्तोमल करने की अनुमति दी जाती है।

मुलायम ने जवाब नहीं दिया
आयोग ने कहा कि बार बार मौका देने के बाद भी मुलायम सिंह खेमे ने अपने पक्ष में विधायकों, सांसदों और प्रतिनिधियों के समर्थन के सबूत पेश नहीं किए। उनकी ओर से वकील वह बस यह कहते रहे कि समर्थन के पक्ष में दिए गए शपथपत्र गलत हैं और उनमें कई त्रु़टियां हैं। लेकिन उन्होंने कोई लिखित सबूत पेश नहीं किया।

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अखिलेश को सपा और साइकिल दोनों मिली, चुनाव आयोग ने दिया फैसला

मुलायम से मिलने पहुंचे अखिलेश, समर्थकों ने की आतिशबाजी
चुनाव आयोग से साइकिल चुनाव चिह्न मिलने की खबर आते ही मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव के समर्थक झूम उठे। उन्‍होंने आतिशबाजी कर अपनी खुशी का इजहार किया। इस सबके बीच मुख्‍यमंत्री अखिलेश अपने पिता मुलायम सिंह यादव से मिलने के लिए उनके आवास पर पहुंचे। बंद कमरे में उनकी मुलायम के अलावा वहां मौजूद शिवपाल सिंह यादव से बातचीत हो रही है। 

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मुलायम और अखिलेश की बातचीत के बीच सीएम के सरकारी आवास 5 केडी के बाहर आतिशबाजी कर रहे समर्थकों कोअखिलेश का सन्देश दिया गया कि आज खुशी मनाएं और कल से जी-जान से जुटें। सबको घर जाने को कहा गया। मंगलवार को सुबह 10 बजे पार्टी कार्यालय पर अखिलेश यादव पहुचेंगे।

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कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को लड्डू खिलाकर अपनी खुशी जाहिर की। कार्यकर्ता मुलायम की भी जय-जयकार कर रहे हैं। फि‍लहाल आचार संहिता का हवाला देकर 5 केडी खाली करने का निर्देश गया। सुरक्षा कर्मी कार्यकर्ताओं को पार्टी कार्यालय भेज रहे हैं।

 

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एमएलए गुड्डू पंडित को मुलायम के आवास में नहीं मिली एंट्री
मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव और उनके पिता मुलायम सिंह यादव की मुलाकात के बीच सोमवार देर शाम उनके आवास पर पहुंचे एमएलए गुड्डू पंडित को अंदर जाने की इजाजत नहीं मिल सकी। एंट्री नहीं मिलने से मायूस गुड्डू पंडित कुछ देर तक वहीं खड़े रहे।  करीब छह माह पहले सपा छोड़ चुके गुड्डू पंडित ने पत्रकारों के सवाल पर कहा कि निजी मुलाकात करने आया था। ध्‍यान रहे राज्‍यसभा और विधान परिषद चुनाव के दौरान कई दलों के विधायकों ने क्रास वोटिंग की थी। तब गुड्डू पंडित के भी भाजपा के करीब जाने की बात सामने आई थी। उस दौरान मतदान के समय विधान भवन में भाजपा के विधायक संगीत सोम के साथ गुड्डू पंडित का साथ सुर्खियां बना था।

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समाजवादी पार्टी विवाद: चुनाव आयोग में कब-कब क्या हुआ
-1 जनवरी 2017 को लखनऊ में सपा का अधिवेशन हुआ जिसमें अखिलेश यादव पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए।

-2 जनवरी  को मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमण्डल चुनाव आयोग से मिला। मुलायम ने आयोग को 30 दिसम्बर 2016 व 1 जनवरी 2017 को भेजे दो पत्रों की प्रतियों के साथ एक और पत्र दिया।

- इन पत्रों का लब्बोलुआब यह था कि 1 जनवरी 2017 को लखनऊ में हुआ पार्टी का अधिवेशन अवैध था।

- इन पत्रों में इस बात का भी जिक्र किया गया कि रामगोपाल यादव जो पार्टी के क्रियाकलापों से आयोग को समय-समय पर अवगत करवाते रहे हैं उन्हें पार्टीसे निकाल दिया गया है। लिहाजा आयोग अब उनके द्वारा पार्टी के बारे में दी गयी जानकारी पर संज्ञान न ले।

-3 जनवरी 2017 को रामगोपाल यादव की अगुवाई में एक प्रतिनिधि मण्डल आयोग से मिला। आयोग को 1 जनवरी को लखनऊ में हुए अधिवेशन व उसमें अखिलेश यादव को पार्टी अध्यक्ष चुने जाने की जानकारी दी।

-उसी दिन शाम को रामगोपाल यादव फिर आयोग गए और एक अन्य पत्र दिया जिसमें पहली जनवरी के अधिवेशन में पारित प्रस्ताव की जानकारी और अखिलेश यादव को अध्यक्ष चुने जाने की प्रक्रिया का ब्यौरा था।

-राम गोपाल यादव ने आयोग से इस पत्र में अनुरोध किया कि आयोग अखिलेश यादव को ही पार्टी का अध्यक्ष स्वीकार करे।

-इस पत्र में रामगोपाल यादव ने पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के 31 सदस्यों, 5242 पार्टी डेलीगेटस, 195 एमएलए, 48 एमएलसी, 4 एमपी लोकसभा के और 11 एमपी राज्यसभा के हैं का दावा था कि उन्होंने पहली जनवरी को लखनऊ में हुए अधिवेशन में हिस्सा लिया था।

-4 जनवरी को आयोग ने मुलायम सिंह यादव व रामगोपाल यादव द्वारा दिये गए सभी पत्रों को एक-दूसरे को दिया और सभी जरूरी दस्तावेजों के साथ 9 जनवरी को अपना जवाब दाखिल करने को कहा।

-7 जनवरी को रामगोपाल यादव ने मुलायम सिंह यादव व अमर सिंह के पत्रों पर अपना जवाब आयोग में दाखिल किया।

-9 जनवरी को मुलायम सिंह यादव ने आयोग में अपना जवाब दाखिल किया।

-12 जनवरी को मुलायम ने रामगोपाल के पत्र पर आयोग में एक री-जवाइण्डर दाखिल किया।

-प्रदेश में होने जा रहे विस चुनाव को देखते हुए आयोग ने इस विवाद को जल्द से जल्द सुलझाने का निर्णय लिया।

-13 जनवरी जनवरी को दोनों पक्षों की आयोग में सुनवाई हुई। रामगोपाल की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अपने तर्क पेश किए। जबकि मुलायम की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता मोहन पाराशरन ने पैरवी की।

सपा कार्यालय में मुलायम के साथ अखिलेश की नेमप्लेट

यदि अखिलेश नहीं सुनेंगे तो मैं उनके खिलाफ लड़ूंगा: मुलायम

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