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ये कैसी परिक्रमा...खतरे में जान, बचाओ भगवान

आस्था तो ठीक है, लेकिन जान जोखिम में डालकर इसे जताना कितना ठीक है। जरा सी चूक कई की जान ले सकती है। वृन्दावन के केशीघाट पर यमुना किनारे लगाई जा रही इस परिक्रमा को ही देखिए। अगर कोई हादसा हो गया तो...

ये कैसी परिक्रमा...खतरे में जान, बचाओ भगवान
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 20 Mar 2016 03:56 PM
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आस्था तो ठीक है, लेकिन जान जोखिम में डालकर इसे जताना कितना ठीक है। जरा सी चूक कई की जान ले सकती है। वृन्दावन के केशीघाट पर यमुना किनारे लगाई जा रही इस परिक्रमा को ही देखिए। अगर कोई हादसा हो गया तो दोष किस पर मढ़ा जाएगा। प्रशासन पर, लोगों पर या फिर शिकायत होगी ऊपरवाले से। कम से कम जिम्मेदारों को तो इस पर सोचना ही चाहिए।

भक्तों ने लगायी पंचकोसीय परिक्रमा
रंगीली एकादशी पर लाखों भक्तों ने वृन्दावन की पंचकोसीय परिक्रमा लगाई। परिक्रमा में ब्रज होली के लोकगीतों के बीच रंगों के साथ भक्ति का अनूठा संगम देखने को मिला। इसमें विदेशी और शहरी लोगों के मध्य ग्रामीण अंचल के लोग सर्वाधिक देखने को मिले। भक्तों ने डंडौती परिक्रमा भी लगाई। रंगीली एकादशी के अवसर शनिवार प्रात: चार बजे से नगर की पंचकोसीय परिक्रमा पर भक्तोंं का सैलाब उमड़ पड़ा। होली की खुमारी के बीच लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने परिक्रमा लगाई। सारे परिक्रमा मार्ग में भक्तों ने एक-दूसरे पर अबीर-गुलाल उड़ाया। 

युगल सरकार ने भक्तों पर बरसाया गुलाल
ठा. राधावल्लभ मंदिर से घोड़ों की बग्घी पर सवार युगल सरकार की सवारी रंगों के फुआरों के मध्य नगर में निकली। ब्रजवासियों ने इस यात्रा का भव्य स्वागत रंग गुलाल और पुष्प वर्षा से किया। प्रभु की इस पारंपरिक सवारी के साथ ही नगर के मंदिरों में होली उत्सव की धूम रही। 

शनिवार को रंगभरनी एकादशी पर दोपहर करीब तीन बजे नगर के मंदिरों और कुंज गलियों में होली की अनुपम छटा बिखरी। राधावल्लभ घेरा से युगल सरकार के स्वरूप बग्घी पर सवार हो नगर में निकले। मंदिर के गोस्वामीजन हाथों में चांदी की पिचकारी लिए भक्तों और ब्रजवासियों पर रंग डाल होली उत्सव का आमंत्रण दिया। पद, सवैया और प्रभु भजन के सुस्वर बोलों पर सवारी के आगे भक्तों जमकर झूमे। यह सवारी अठखम्बा, विद्यापीठ चौराहा से होकर पुन: मंदिर पहुंची। सवारी का भक्तों ने जगह-जगह पुष्पवर्षा और गुलाल से स्वागत किया। 

वहीं लाखों की संख्या में बाहर से आये भक्तों ने मंदिरों में टेसू के फूलों के रंग, इत्र, पुष्प के साथ अबीर गुलाल से प्रभु के साथ होली खेली। नगर के प्रतिष्ठित ठा.राधावल्लभ मंदिर की प्राचीन परंपरा के अनुसार रंगभरनी एकादशी तिथि से भगवान प्रिया-प्रियतम नगर भ्रमण कर होली उत्सव का न्यौता वृन्दावनवासियों को देते हैं और इस सवारी के साथ ही ब्रज की चालीस दिनों की होली में गीले रंग की शुरुआत होती है। इससे पहले मंदिरों में अबीर-गुलाल और पुष्पों की होली खेली जाती है।

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