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कानपुर बना कालेधन का गढ़

दिल्ली, मुम्बई और कोलकाता जैसे शहरों के साथ कानपुर भी कालेधन के बड़े गढ़ के रूप में उभरा है। कालेधन के लिए गठित एसआईटी की रिपोर्ट में शहर का भी नाम है। डेढ़ साल में करीब दो हजार करोड़ रुपए का कालाधन...

कानपुर बना कालेधन का गढ़
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 26 Nov 2015 08:22 PM
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दिल्ली, मुम्बई और कोलकाता जैसे शहरों के साथ कानपुर भी कालेधन के बड़े गढ़ के रूप में उभरा है। कालेधन के लिए गठित एसआईटी की रिपोर्ट में शहर का भी नाम है। डेढ़ साल में करीब दो हजार करोड़ रुपए का कालाधन सामने आने के बाद शहर सुर्खियों में आ गया है। फर्जी कंपनियों के नेटवर्क के अलावा हाई सी बिजनेस और मनी लांड्रिंग के तार कानपुर से टैक्स हैवन देशों तक जुड़े हैं। आयकर विभाग ने बैंकों से नए सिरे से एनआरआई, विदेशी और आयात-निर्यात के लिए खुले खातों की बारीक जानकारी मांगी है।

विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक शहर के एक दर्जन से ज्यादा उद्योगपतियों के ऐसे खाते मिले हैं, जिन्होंने आयात के नाम पर अरबों का कारोबार किया है। हाई सी बिजनेस की आड़ में तीन हजार करोड़ रुपए का कारोबार कर दिया लेकिन पड़ताल में मनी लांड्रिंग का बड़ा नेटवर्क सामने आया। यही वजह है कि बैंकों से उन कंपनियों और कारोबारियों के केवाईसी फॉर्म (नो योर कस्टमर) भी मांगे गए हैं, ताकि इस बात की जांच की सके कि फॉर्म में भरे गए पते असली हैं या फर्जी।

हीरा, कोयला और दलहन का भले ही कानपुर से कोई लेना-देना न हो लेकिन शहर में इनके आयातक और निर्यातकों की संख्या 40 से ऊपर है। दक्षिण अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी देशों से आयात करने वाले कारोबारियों की संख्या 15 से ज्यादा है। पिछले साल आयकर जांच में तीन कारोबारी मनी लांड्रिंग में फंसे भी थे। इसके अलावा फर्जी कंपनियों के नए मामले भी आयकर विभाग की पकड़ में आए हैं। पांच महीने पहले सिविल लाइंस स्थित एक कंपनी पर आयकर छापे में बड़ा मामला सामने आया है। अभी तक सिर्फ इसी कंपनी से 350 करोड़ रुपए की मनी लांड्रिंग के प्रमाण मिल चुके हैं। अब अशोक नगर के एक पते पर पंजीकृत कंपनी चलाने वाले एक और कारोबारी राडार पर हैं। दर्जन भर कंपनी के निदेशक बने बैठे इस कारोबारी के खिलाफ मनी लांड्रिंग और फर्जी इंट्री के पुख्ता प्रमाण जुटाए जा चुके हैं।

सट्टेबाजी में नौ व्यापारियों ने कमाए 600 करोड़
कमोडिटी के कारोबार में लगे व्यापारियों का लेखा-जोखा तैयार किया गया है क्योंकि वायदा बाजार कालेधन के प्रवाह का बड़ा स्रोत बनकर उभरा है। कानपुर किराने की सबसे बड़ी मंडी है और यहां वायदा बाजार के भी बड़े-बड़े खिलाड़ी हैं। आयकर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक तीन साल पहले हल्दी की कीमतों में अप्रत्याशित रूप से आए जबर्दस्त उछाल के पीछे शहर के व्यापारियों के नेटवर्क का खुलासा हुआ है। तब हल्दी अपने वास्तविक कीमतों से चार गुना ज्यादा भाव में बिकी थी। अधिकारी के मुताबिक हल्दी में सट्टेबाजी के खेल से शहर के नौ व्यापारियों ने करीब 600 करोड़ रुपए कमाए। कुछ समय पहले एक उद्योगपति के यहां आयकर छापे में हल्दी से हुई कमाई के दस्तावेज से पूरे खेल का राजफाश हुआ है।
 
गेहूं, चावल, दाल और चीनी में भी घुसा कालाधन
कालेधन के लेनदेन में बैंकों का नाम सामने आने के बाद आयकर विभाग ने विदेशी खातों का ब्योरा तलब किया है। आयात-निर्यात के लिए खुले खातों पर खास नजर है। गेहूं, दाल, चावल, चीनी और मसालों के आयात-निर्यात के नाम पर करोड़ों की हेराफेरी में भी कानपुर के कई कारोबारी फंसे हैं। उन कमोडिटी के कारोबारियों के खिलाफ जांच चल रही है, जिन्होंने किसानों से खरीद कैश में दिखाई है। इस बारे में आयकर अधिकारी ने बताया कि दरअसल कैश में सौदे दिखाकर कालेधन की खपत आसानी से हो जाती है और कंपनियों में भी उसे समायोजित करना अपेक्षाकृत आसान होता है। तीन साल पहले फर्जी कारोबार में कानपुर के सौ व्यापारी फंस चुके हैं, जिनकी जांच में अब कई सनसनीखेज खुलासे सामने आ रहे हैं।

 

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