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मुलायम को राजनीति से सन्यास ले लेना चाहिए: मायावती

बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने समाजवादी पार्टी में चल रहे धमासान पर कहा है कि सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव को राजनीति से सन्यास ले लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश और यहां की जनता के व्यापक...

मुलायम को राजनीति से सन्यास ले लेना चाहिए: मायावती
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 15 Sep 2016 08:51 PM
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बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने समाजवादी पार्टी में चल रहे धमासान पर कहा है कि सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव को राजनीति से सन्यास ले लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश और यहां की जनता के व्यापक हित में उन्हें पुत्र मोह त्याग देना चाहिए।

मायावती ने पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में पदाधिकारियों की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश की सत्ताधारी समाजवादी पार्टी परिवार में कलह एवं स्वार्थ के स्वाभाविक टकराव की समय-समय पर आने वाली खबरें प्रथम दृष्टया लोगों का ध्यान बांटने के लिए नाटकबाजी लगती हैं। अगर इसमें जरा भी सच्चाई है तो सपा मुखिया को राजनीति से सन्यास ले लेना चाहिए।

उन्होंने प्रदेश में कानून-व्यवस्था की बदहाली का जिक्र करते हुए कहा कि सपा सरकार हर मोर्चे पर विफल रही है। विकास के इक्का-दुक्का कामों को अब चुनाव से पूर्व पूरा कराकर श्रेय लेने का प्रयास किया जा रहा है जबकि ज्यादातर कामों की शुरुआत बसपा सरकार में हो गई थी। सपा के विकास के बड़े-बड़े दावे केवल सरकारी विज्ञापनों में ही नजर आ रहे हैं।

भाजपा में आया राम-गया राम की भरमार

बसपा अध्यक्ष ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा उत्तर प्रदेश में एक “लीडरलेस“ पार्टी है जिसमें दूसरी पार्टियों केआया राम, गया राम की भरमार हो गयी है। भाजपा सोच रही है कि यूपी के चुनाव सपा सरकार की विफलताओं और प्रदेश में व्याप्त जंगलराज पर होंगे। सच्चाई यह है कि केन्द्र की मोदी सरकार की हर मोर्चे पर नाकामी, गरीब, मजदूर, आरक्षण विरोधी नीति व कट्टरवाद भी विधानसभा चुनाव का मुख्य मुद्दा होगा।

जनता जितनी सपा सरकार के अराजक, भ्रष्टाचार एवं जंगलराज के खिलाफ है, उतनी ही मोदी सरकार की वादाख़िलाफी से दुखी है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की ‘खाट यात्रा पर व्यंग्य किया कि प्रदेश में कांग्रेस की हालत बहुत खराब है इसलिए राहुल गांधी समेत उसके बड़े नेताओं को ‘पद यात्रा, रथ यात्रा और खाट यात्रा के जरिए प्रदेश की सड़कों खाक छाननी पड़ रही है। फिर भी जनता कोई ध्यान नहीं दे रही हैं।

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