महिला हिंसा की वजह बन रही बेरोजगारी
केस एक कमला नगर निवासी एक युवक की शादी दिसंबर 2015 में हुई थी। वह बेरोजगार है। एक माह तक सब कुछ ठीक रहा। बाद जब पत्नी ने खर्चे के लिए पैसे मांगे तो बेरोजगारी के चलते पति पैसे न दे सका। विवाद बढ़ा...
केस एक
कमला नगर निवासी एक युवक की शादी दिसंबर 2015 में हुई थी। वह बेरोजगार है। एक माह तक सब कुछ ठीक रहा। बाद जब पत्नी ने खर्चे के लिए पैसे मांगे तो बेरोजगारी के चलते पति पैसे न दे सका। विवाद बढ़ा तो युवक ने पत्नी की मारपीट कर दी। ऐसे हालात बन गए कि मामला थाने तक पहुंच गया।
केस दो
सिंकदरा निवासी युवती की शादी वर्ष 2011 में हुई थी। युवती के मुताबिक पहले तो ससुरालीजनों ने झूठ बोलकर शादी करा दी। बताया कि पति दिल्ली में नौकरी करता है बाद में पता चला कि बेरोजगार है जब उसने विरोध किया तो ससुरालियों ने उसके साथ मारपीट कर दी। अब घर खर्च के लिए रोज तनातनी रहती है। इस कारण मामला कोर्ट तक पहुंच गया है।
यह दो केस महज बानगी भर हैं। रिश्तों की डोर कमजोर कर रही बेरोजगारी अब धीरे-धीरे महिला हिंसा की बड़ी वजह बनती जा रही है। आए दिन घर में क्लेश और पत्नी के साथ मारपीट बेरोजगार पतियों के लिए आम बात है। अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन अधिनियम के बावजूद इस तरह के मामलों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है। जनपद में पिछले तीन वर्ष में महिला हिंसा के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। महिला और बाल विकास मंत्रालय के आंकड़ों पर गौर फरमाया जाए तो पिछले तीन वर्ष में अब तक 2000 मामले सामने आ चुके हैं। इस हिसाब से प्रतिदिन दो से तीन मामले में थाने में पहुंच रहे हैं।
दहेज भी है बड़ी वजह
महिलाओं की शादियां अब ज्यादा दिन नहीं चल रही हैं। कभी दहेज के लिए महिलाओं का उत्पीड़न होता है तो कभी वैचारिक मतभेद इसका कारण बनते हैं।
60 दिन में न्याय का हैं प्रावधान
कोई भी महिला हिंसा की शिकार होती हैं तो इस प्रावधान के तहत उसे 60 दिन में न्याय मिलना चाहिए। हालांकि ऐसे मामलों में पहले सुलह का रास्ता खोजा जाता है।
बेरोजगारी भी शहर में कम नहीं
सरकार युवाओं को रेाजगार देने का वादा तो कर रही है लेकिन इसकी हकीकत कुछ और ही है। सेवायोजन विभाग के रिकार्ड को देखे तो इस वर्ष 31 अक्टूबर तक सेवायोजन कार्यालय 702000 पंजीकरण हो चुके हैं।
क्या है घरेलू हिंसा
महिला संरक्षण अधिनियम, 2005 घरेलू हिंसा का अर्थ यह है कि अगर व्यक्ति महिला के स्वास्थ्य की सुरक्षा, उसके जीवन अंग आदि को नुकसान पहुंचाता है, क्षतिग्रस्त करता है या खतरा पहुंचाता है या ऐसा करने की कोशिश करता है तो वह घऱेलू हिंसा में आता है।
महिला और बाल विकास मंत्रालय के समक्ष हर माह महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा के तकरीबन 50 मामले और दहेज उत्पीड़न के आठ से दस मामले आते हैं। सभी की विभाग की तरफ से मदद की जाती है। कई मामलों में समझौता करा दिया जाता है। दहेज हत्या के आश्रित बच्चों को सरकार रानी लक्ष्मी बाई महिला सम्मान कोष के तहत 3 लाख की मदद बालिग होने पर देती है।
-अजीत कुमार, जिला प्रोबेशन अधिकारी