फोटो गैलरी

Hindi Newsमां गंगा की विदाई: बेटी की तरह विदा होती है उत्सव डोली

मां गंगा की विदाई: बेटी की तरह विदा होती है उत्सव डोली

उत्तराखंड में चारधाम यात्रा का बड़ा महत्व है। श्री बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री चार तीर्थस्थल करोड़ों लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र हैं। इनमें से गंगोत्री धाम भी एक है। प्रत्येक साल...

मां गंगा की विदाई: बेटी की तरह विदा होती है उत्सव डोली
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 27 Apr 2017 11:47 AM
ऐप पर पढ़ें

उत्तराखंड में चारधाम यात्रा का बड़ा महत्व है। श्री बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री चार तीर्थस्थल करोड़ों लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र हैं। इनमें से गंगोत्री धाम भी एक है। प्रत्येक साल अप्रैल-मई से अक्तूबर तक चारधाम यात्रा के दौरान पतित पावनी गंगा मैया के दर्शन करने के लिए लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं।

दीपावली के बाद अक्षय तृतीया​ में खुलते हैं कपाट

हर साल दीवापली के दिन गंगोत्री धाम के कपाट सर्दियों के लिए बंद कर दिए जाते हैं। यहां से देवी गंगा अपने निवास स्थान मुखबा गांव चली जाती है। लगभग छह महीने शीतकाल प्रवास के बाद अक्षय तृतीया के दिन मंदिर के कपाट खुलते हैं। इससे एक दिन पहले मां गंगा की उत्सव डोली गंगोत्री धाम के लिए निकलती है। देवी गंगा के गंगोत्री लौटने की यात्रा बेहद उल्लास पूर्ण होती है। पारम्परिक रीति-रिवाजों के अनुसार बाजे-गाजे, नृत्य, जुलूस और पूजा-पाठ के साथ मां गंगा की डोली मुखबा से गंगोत्री धाम पहुंचती है। 

बेटी की तरह करते हैं विदा

मां गंगा की डोली छह माह शीतकाल प्रवास के बाद गुरुवार को मुखबा से गंगोत्री धाम के लिए रवाना होगी। मुखबा, मतंग ऋषि के तपस्या स्थान के रूप में जाना जाता है। इस यात्रा के तीन दिन पहले मुखबा गांव के लोग तैयारियां शुरू कर देते हैं। मुखबा सहित उपला टकनौर क्षेत्र के लोग मां गंगा की उत्सव डोली को बेटी की तरह विदा करते हैं। गंगा की मूत्र्ति को ले जाने वाली पालकी को रंगीन कपड़ों से सजाया जाता है। जेवरातों से सुसज्जित कर गंगा की मूत्र्ति को पालकी के सिंहासन पर विराजमान करते हैं। मुखबा गांव के घर-घर में बेटी को विदा करने के लिए कंडा (विशेष तरह की टोकरी) सजाया जाता है। सुबह से ही प्रत्येक घर में फाफरे का प्रसाद बनता है। इसके बाद सभी ग्रामीण अपना कंडा और फाफरे का प्रसाद लेकर मुखबा स्थित मां गंगा के मंदिर प्रागंण में पहुंचते हैं, जहां पर मां गंगा गंगोत्री धाम के लिए विदा होती हैं। यहां सभी गांव के लोग अपना समूण (उपहार) मां गंगा को भेंट करते हैं।

आर्मी बैंड भी विदाई में लेती है भाग

मंदिर समिति के सचिव सुरेश सेमवाल ने बताया कि गुरुवार को दोपहर के समय मां गंगा की विदाई के समय विशेष पूजा की जाएगी। दोपहर एक बजे मां गंगा डोली गंगोत्री धाम के लिए पैदल प्रस्थान करेगी। यह यात्रा सोमेश्वर देवता की अगुवाई में होती है। नेतृत्व में गढ़वाल स्काउट (आर्मी बैंड) भी भाग लेता है। रास्ते में लोग देवी-देवताओं की पूजा करते हैं। धराली गांव की सीमा पर, सोमेश्वर देवता की यात्रा समाप्त होती है और मां गंगा अपनी यात्रा जारी रखती हैं। मुखबा-जांगला मार्ग से होकर डोली देर शाम को भैरव मंदिर भैरों घाटी पहुंचती है, यहां रात्रि विश्राम होता है। अक्षय तृतीया पर शुक्रवार सुबह भैरों मंदिर से प्रस्थान कर मां गंगा की डोली गंगोत्री धाम पहुंचेगी। यहां दोपहर 12:15 पर गंगोत्री धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें