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नदी के नाम नोटिस : मानव दर्जा मिलने के बाद पहली बार गंगा को नोटिस

नैनीताल हाईकोर्ट ने ‘मानव’ दर्जा मिलने के बाद पहली बार शुक्रवार को गंगा नदी को नोटिस जारी किया। हाईकोर्ट ने ऋषिकेश में प्रस्तावित कूड़ा निस्तारण ग्राउंड (ट्रेंचिंग ग्राउंड) के मामले में...

नदी के नाम नोटिस : मानव दर्जा मिलने के बाद पहली बार गंगा को नोटिस
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 29 Apr 2017 07:09 AM
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नैनीताल हाईकोर्ट ने ‘मानव’ दर्जा मिलने के बाद पहली बार शुक्रवार को गंगा नदी को नोटिस जारी किया। हाईकोर्ट ने ऋषिकेश में प्रस्तावित कूड़ा निस्तारण ग्राउंड (ट्रेंचिंग ग्राउंड) के मामले में गंगा का पक्ष जानना चाहा है, क्योंकि इससे यह नदी भी प्रभावित हो रही है।

गंगा का पक्ष ये रखेंगे : गंगा की ओर से पक्ष रखने के लिए हाईकोर्ट पहले ही ‘लीगल पैरेंट्स’ नियुक्त कर चुका है। अदालत ने 20 मार्च के आदेश में स्पष्ट किया था कि नमामि गंगे प्रोजेक्ट के निदेशक, प्रदेश के मुख्य सचिव और महाधिवक्ता गंगा के प्रति जवाबदेह होंगे। गंगा के अलावा, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रलय, राज्य पर्यावरण बोर्ड, ऋषिकेश नगर पालिका और प्रदेश सरकार को भी जवाब देना होगा।

यह है मामला : ग्राम पंचायत खदरी खड़क माफ के प्रधान शोभ सिंह पुंडीर ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। इसमें बताया गया है कि प्रदेश सरकार ने वर्ष 2015 में ग्रामसभा की दस एकड़ जमीन ऋषिकेश नगर पालिका को सौंप दी।

आरोप है कि इसके लिए ग्रामसभा की कोई सहमति नहीं ली गई। अब इस जमीन पर नगर पालिका ने कूड़ा निस्तारण ग्राउंड बनाने का प्रस्ताव तैयार किया है। नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत योजना पर करोड़ों रुपये खर्च करने की तैयारी है। पुंडीर का कहना है कि ट्रेंचिंग ग्राउंड के लिए प्रस्तावित जमीन के दोनों ओर गंगा नदी बहती है। बरसात में जलस्तर बढ़ने पर ग्राउंड में जमा सारा कचरा गंगा में मिलने की आशंका है। प्रधान ने प्रोजेक्ट पर रोक लगाने की मांग की है।

11 राज्यों में भारत की आबादी के 40 फीसदी लोगों को पानी मुहैया कराती है’ संख्या की बात करें तो 40 करोड़ भारतीयों के लिए जीवनरेखा है गंगा’ गंगा किनारे बसे 118 शहर रोज नदी में 480 करोड़ लीटर सीवेज डालते हैं’ विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, यूपी में 12 फीसदी बीमारियों की वजह गंगा प्रदूषण है।

नैनीताल हाईकोर्ट ने 20 मार्च को गंगा और यमुना नदियों को जीवित दर्जा दिया था। इसका मतलब यह है कि इन नदियों को क्षति पहुंचाने वाले पर उन्हीं धाराओं में मुकदमा चलेगा जैसा इंसान को नुकसान पहुंचाने पर चलता है। ऐसे ही गंगा नदी पर भी मुकदमा किया जा सकता है।

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