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मैं सोचता हूं क्या मैं कभी अपने बेटे से इतना नाराज़ हो सकता हूं: अखिलेश यादव

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि मैं तो हैरत में हूं कि क्या मैं कभी अपने बेटे से इस तरह नाराज़ हो सकता हूं? मुख्यमंत्री ने यह जवाब लखनऊ में एक कार्यक्रम के दौरान पूछे गए सवाल पर दिया। उनसे पूछा...

मैं सोचता हूं क्या मैं कभी अपने बेटे से इतना नाराज़ हो सकता हूं: अखिलेश यादव
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 24 Jan 2017 11:06 AM
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मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि मैं तो हैरत में हूं कि क्या मैं कभी अपने बेटे से इस तरह नाराज़ हो सकता हूं? मुख्यमंत्री ने यह जवाब लखनऊ में एक कार्यक्रम के दौरान पूछे गए सवाल पर दिया। उनसे पूछा गया था कि वह अपने पिता मुलायम सिंह यादव द्वारा उन पर गुस्सा करने के बारे में क्या सोचते हैं। 

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार किसी कार्यक्रम में परिवार के विवाद और राजनीति पर खुलकर विचार रखे। चाचा शिवपाल यादव से रिश्तों और उन्हें फिर से पार्टी में लेने के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जहां तक चाचा-भतीजे के रिश्तों की बात है तो वह हमेशा बने रहेंगे। जहां तक राजनीति की बात है तो अब मैं आगे बढ़ गया हूं। मेरा ध्यान अब सिर्फ चुनाव और चुनाव प्रचार पर केंद्रित है। 

अमर सिंह से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि वह ऐसा नहीं कह सकते। वह बहुत अच्छे हैं। मैं उन्हें अच्छी तरह जानता हूं। जब उनसे कुछ असहज करने वाले सवाल पूछे गए तो उन्होंने कहा कि मैं अपनी पार्टी का घोषणा पत्र लाया हूं और उसे पढ़ने लगूंगा अगर मुझसे ऐसे सवाल पूछे तो। 

क्या विकास के मुद्दे पर चुनाव जीता जा सकता है? इस पर अखिलेश ने कहा कि क्यों नहीं? आज उम्मीदों की सियासत करने का वक्त है। जिन्होंने सपने दिखाए और पूरे नहीं किए वह घाटे में रहेंगे। लोग हमें वोट क्यों नहीं करेंगे, जबकि हम ऐसे वादे कर रहे हैं जो उनका जीवन बदल सकते हैं। क्यों कोई महिला मुङो वोट नहीं देगी जिसे प्रेशर कुकर मिलेगा। 

उन्होंने कहा कि जिनकी एंबुलेंस सेवा 108 ने जान बचाई है। जिन्हें लैपटाप मिला है, वे हमें वोट करेंगे। सपा मुखिया ने कहा कि जो पार्टी छोड़ रहे हैं उन्हें पार्टी में आना पड़ेगा। वह अपने पिता और चाचा से लड़ने और उन्हें हराने के बारे में क्या सोचते हैं?यह पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मैं बचपन से लेकर आज तक किसी से लड़ा नहीं। मैं खिलाड़ी रहा हूं। और जो भी खेल खेलता हूं ठीक से खेलता हूं।

पिता की बनाई 25 साल पुरानी पार्टी पर काबिज होने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि पार्टी उनकी है और उसके सिद्धांत भी वही हैं जो नेता जी ने बनाए थे। मैंने बस समय के साथ उनके समाजवाद को थोड़ा बदलाव किया है।

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