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कॉल ड्रॉप छिपाकर ठग रहीं कंपनियां

दूरसंचार कंपनियां रेडियो-लिंक प्रौद्योगिकी (आरएलटी) के जरिये  कॉल ड्रॉप  छिपा ग्राहकों को चपत लगा रही हैं। दूरसंचार नेटवर्क की जांच से जुड़े सूत्रों ने रविवार को यह खुलासा किया। आरएलटी से...

कॉल ड्रॉप छिपाकर ठग रहीं कंपनियां
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 29 May 2016 11:55 PM
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दूरसंचार कंपनियां रेडियो-लिंक प्रौद्योगिकी (आरएलटी) के जरिये  कॉल ड्रॉप  छिपा ग्राहकों को चपत लगा रही हैं। दूरसंचार नेटवर्क की जांच से जुड़े सूत्रों ने रविवार को यह खुलासा किया।

आरएलटी से किसी कॉल के दौरान कनेक्शन टूटने या दूसरी तरफ से आवाज सुनाई नहीं देने पर भी कॉल कनेक्टेड दिखती है। बात नहीं होने पर भी जहां तकनीक रूप से कॉल ड्रॉप दर्ज नहीं होती, वहीं ग्राहक को शुल्क चुकाना पड़ता है। यह एक तरह से ग्राहक को कृत्रिम नेटवर्क से जोड़ने जैसा है।

बात न होने पर ग्राहक खुद फोन काट देते हैं, जिसे कॉल ड्राप नहीं माना जाता। यदि कॉल जारी रहती है, तो कंपनी ग्राहक से पैसा तो वसूलती ही है। दूरसंचार कंपनियों के संगठन सीओएआई तथा ऑस्पी ने इस मामले में पूछे गए सवालों पर कोई जवाब नहीं दिया है। ट्राई ने कॉल ड्रॉप समेत खराब मोबाइल सेवा के लिए दो लाख रुपये तक का जुर्माना तय  कर रखा है। यह सर्किल में कुल ट्रैफिक के दो फीसदी से अधिक कॉल ड्रॉप तिमाही  औसत के आधार पर लगाया जाता है।


 

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