राजधानी से जहरीली हवाओं के निकलने का रास्ता नहीं
हिन्दुस्तान एक्सक्लूसिव दिल्ली की भौगोलिक स्थिति इसके गंभीर होते प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह है। सरे विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञानी डॉ. प्रशांत कुमार के ताजे शोध में खुलासा हुआ है कि दिल्ली...
हिन्दुस्तान एक्सक्लूसिव
दिल्ली की भौगोलिक स्थिति इसके गंभीर होते प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह है। सरे विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञानी डॉ. प्रशांत कुमार के ताजे शोध में खुलासा हुआ है कि दिल्ली ‘लैंडलॉक्ड’ शहर है। यानी यहां जहरीली हवाओं के निकलने या ताजा हवा के आने की गुंजाइश बेहद कम है।
मुंबई-चेन्नई से अलग स्थिति: डॉ. प्रशांत के मुताबिक, दिल्ली की स्थिति मुंबई और चेन्नई के मुकाबले में एकदम भिन्न है। कारण, दोनों शहर समुद्र के किनारे हैं। यहां हवा में यदि प्रदूषण होता है तो भी दिक्कत नहीं होती। दरअसल, इन शहरों में प्रदूषित हवा को निकलने की जगह मिलती है। समुद्र से आ रही ताजा हवा उसका स्थान ले लेती है।
डॉ. कुमार का शोध में कहना है कि चेन्नई के मुकाबले दिल्ली में फाइन पार्टिकिल प्रदूषण दस गुना ज्यादा है। यह स्थिति तब है जबकि चेन्नई में दिल्ली की तुलना में दस गुना ज्यादा वाहन हैं। समुद्र के किनारे होने से चेन्नई को हमेशा ताजा हवा मिलती रहती है। यही स्थिति मुंबई की भी है। इसलिए ये बेहद प्रदूषित शहर नहीं हैं।
धूल भरी आंधियां: दिल्ली हाईकोर्ट में गुरुवार को राजधानी में प्रदूषण की स्थिति पर डीपीसीसी के वैज्ञानिक डॉ. एमपी जॉर्ज ने कहा था कि दिल्ली प्रदूषण मुक्त नहीं हो सकती क्योंकि यहां धूल भरी आंधियां आती रहती हैं।