सीमा पर चीन ने सेना बढ़ाई
चीन भारत से लगती सीमा पर अपने सैनिकों की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ रक्षा क्षमताओं में भी इजाफा कर रहा है। इसका खुलासा अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने अपनी रिपोर्ट में किया है। वहीं दूसरी ओर चीन...
चीन भारत से लगती सीमा पर अपने सैनिकों की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ रक्षा क्षमताओं में भी इजाफा कर रहा है। इसका खुलासा अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने अपनी रिपोर्ट में किया है। वहीं दूसरी ओर चीन के विरोध के बावजूद वाशिंगटन ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी)में भारत की सदस्यता का एक बार फिर समर्थन किया है।
मकसद स्पष्ट नहीं: पेंटागन की रिपोर्ट के बाद पूर्वी एशिया के उप रक्षामंत्री अब्राहम एम. डेनमार्क ने शुक्रवार को बताया कि हमने भारत की सीमा के निकट के इलाकों में चीनी सेना की ओर से क्षमता और बल की संख्या में बढ़ोतरी देखी है। हालांकि, उनका कहना है कि यह स्पष्ट नहीं है कि इसके पीछे की वास्तविक मंशा क्या है। चीन ने हाल में तिब्बत स्थित सैन्य कमान का स्तर बढ़ा दिया था, ताकि यह कमान अपने स्तर पर फैसले ले सके।
पाकिस्तानी हित: पेंटागन ने दुनिया के विभिन्न हिस्सों, खास तौर पर पाकिस्तान में केंद्र स्थापित करने समेत चीन की बढ़ती मौजूदगी के प्रति आगाह किया। उसके मुताबिक, पाकिस्तान के साथ चीन के लंबे समय से दोस्ताना रिश्ते और समान सामरिक हित हैं। इसका असर भारत पर पड़ सकता है।
एनएसजी पर अमेरिका साथ: अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने एनएसजी में भारत की सदस्यता के लिए अपने देश के समर्थन की बात दोहराई। उन्होंने कहा कि भारत मिसाइल तकनीक नियंत्रण व्यवस्था की सभी शर्तें पूरी करता है। मालूम हो कि पाकिस्तान चीन के साथ मिलकर भारत की कोशिशों का विरोध कर रहा है।
भारत की राह में नियम भी रोड़ा
भारत, पाकिस्तान, इजरायल तथा दक्षिण अफ्रीका ने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किया है। इस अंतरराष्ट्रीय संधि का उद्देश्य परमाणु अस्त्रों का प्रसार रोकना है। समूह के नियमों के मुताबिक समूह का सदस्य बनने के लिए संबंधित देश को या तो इस संधि पर हस्ताक्षर करना होगा या फिर उस देश के परमाणु रिकॉर्ड को देखते हुए कोई सदस्य देश संबंधित देश की सदस्यता का प्रस्ताव देगा। इस पर आमसहमति से फैसला लिया जाता है।