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पृथ्वी दिवस पर विशेष: दिल्ली में चार दिन भी सांस लेना दूभर

एक्सक्लूसिव दिल्ली की आबोहवा सबसे प्रदूषित शहर बीजिंग से भी बदतर है। यहां सालभर में चार दिन भी शुद्ध हवा मिलना दूभर है। गत 730 दिन यानी दो साल में सिर्फ सात दिन यहां शुद्ध हवा थी। यानी दिल्लीवालों...

पृथ्वी दिवस पर विशेष: दिल्ली में चार दिन भी सांस लेना दूभर
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 22 Apr 2015 12:39 PM
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एक्सक्लूसिव

दिल्ली की आबोहवा सबसे प्रदूषित शहर बीजिंग से भी बदतर है। यहां सालभर में चार दिन भी शुद्ध हवा मिलना दूभर है। गत 730 दिन यानी दो साल में सिर्फ सात दिन यहां शुद्ध हवा थी। यानी दिल्लीवालों को एक साल में सिर्फ साढ़े तीन दिन ही सेहतमंद हवा नसीब हुई। जबकि बीजिंग में 730 दिनों में 58 दिन हवा शुद्ध रही।

ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डाऊ स्टेन ने अमेरिकी वायु गुणवत्ता मानकों के आधार पर इन दो शहरों की तुलना में यह निष्कर्ष निकाला। स्टेन ने खासतौर पर ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ के लिए दिल्ली के आरके पुरम और बीजिंग स्थित अमेरिकी दूतावास पर प्रति घंटे के हिसाब से हवा की गुणवत्ता का विश्लेषण किया। स्टेन की मानें तो दिल्ली की हवा लगातार जहरीली हो रही है।

करीब दो दशक से दुनिया भर में वायु प्रदूषण पर शोध करने वाले स्टेन ने कहा, ‘दिल्ली में दिन में करीब पांच बार ‘पीएम 2.5’ खतरनाक स्तर को पार कर जाता है। अमेरिकी मानकों के हिसाब से इस स्तर पर गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। वहीं बीजिंग में हर 14वें दिन पीएम 2.5 खतरनाक स्तर के पार गया।’

राजधानी का हाल बदतर
कोलंबिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डाउ स्टेन के मुताबिक पिछले दो साल के दौरान दिल्लीवालों को सिर्फ 1% समय ही सेहतमंद हवा मिली। जबकि बीजिंग में यह दर 8% दर्ज की गई।

बीजिंग से तुलना क्यों?
एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर के 40 सबसे प्रदूषित शहरों में बीजिंग दूसरे नंबर है। इस साल की शुरुआत में यहां प्रदूषण की इतनी मोटी परत बन गई थी कि सांस लेना भी मुश्किल था।

29 दिन सालभर में शुद्ध हवा नसीब हुई बीजिंग में रहने वालों को

अनजाने में धरती की सेहत तो नहीं बिगाड़ रहे हम
दुनिया तरक्की करने की होड़ में धरती की सेहत भी बिगाड़ रही है। कई मामलों में यह काम अनजाने में हो रहा है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि हम जितना अधिक खाद्य उत्पादों को बाहर भेजते हैं उतना ही ज्यादा पानी भी निर्यात कर देते हैं। यह वह जल होता है जो उत्पादों को पैदा करने में खर्च होता है। पृथ्वी दिवस पर इस बार ऐसी
कुछ ‘भूलों’ पर एक नजर :

पानी हमारा, मौज करे दुनिया

चिंता का कारण
भारत सबसे ज्यादा खाद्य उत्पाद निर्यात करने वाला देश है, इस लिहाज से वह परोक्ष रूप से विदेशों में सबसे ज्यादा पानी भी निर्यात करता है।

चेतावनी
ऐसे तो हजार साल में भारत में पानी ही नहीं बचेगा
सीएसआईआर बेंगलुरु के शोधकर्ता प्रशांत गोस्वामी के अनुसार, देश के जल राशि भंडार पर असर लाजमी है।

कूड़े से ऊर्जा बनाएं मगर पर्यावरण का ख्याल भी रखें
फायदा या नुकसान! :
टॉक्सिक लिंक की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में कूड़े को जलाकर वैकल्पिक ऊर्जा बनाने वाले प्लांट पूरी तरह पर्यावरण के अनुकूल नहीं हैं। इनमें कूड़ा सही तरीके से नहीं जलता है जिसकी वजह से खतरनाक गैसें निकलती हैं।

07 हजार टन तक कूड़ा पैदा करते हैं देश के बड़े शहर
1.5 लाख मीट्रिक टन नगर निकाय का कूड़ा होता है देश में

तकनीक में तरक्की कर रहे तो ई-वेस्ट भी बढ़ा रहे
हम कहां : सबसे ज्यादा ई-वेस्ट पैदा करने वालों में भारत का 5वां नंबर है। यूएन की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका, चीन, जापान, जर्मनी शीर्ष चार देशों में आते हैं।

1.7 मिलियन टन ई-वेस्ट पैदा हुआ भारत में पिछले साल
नुकसान क्या : इसके रासायनिक तत्व पर्यावरण को जहरीला बनाते हैं

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