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शहद के फायदे

खाने में मीठा और लगभग मुहावरे की तरह रोजमर्रा की बातचीत में इस्तेमाल में लाया जाने वाले शहद का इस्तेमाल एक दवा के तौर पर भी होता है। कई बार इसे जख्मों पर भी मरहम के तौर पर लगाया जा सकता है। ऐसे ही...

शहद के फायदे
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 11 Apr 2010 07:31 PM
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खाने में मीठा और लगभग मुहावरे की तरह रोजमर्रा की बातचीत में इस्तेमाल में लाया जाने वाले शहद का इस्तेमाल एक दवा के तौर पर भी होता है। कई बार इसे जख्मों पर भी मरहम के तौर पर लगाया जा सकता है। ऐसे ही कुछ के बारे में यहां जानकारी उपलब्ध है।
- सदियों से शहद को एक एंटीबैक्टीरियल के तौर पर जाना जाता रहा है। शहद एक हाइपरस्मॉटिक एजेंट होता है जो घाव से तरल पदार्थ निकाल देती है और जल्द उसकी भरपाई भी करती है और उस जगह नुकसान पहुंचाने वाले  बैक्टीरिया भी मर जाते हैं।
- बेहतर यही होता है कि शहद को सीधे जख्म पर लगाने की बजाय पहले उसे पट्टी या रुई पर लगाएं और उसके बाद उसे जख्म पर लगाएं। जब इसको सीधे या ड्रेसिंग के जरिए घाव में लगाया जाता है तो यह सीलैंट की तरह एक्ट करती है और ऐसे में घाव इन्फेक्शन से बचा रहता है।
- इसके अलावा शहद में ग्लूकोज (35 प्रतिशत), फ्रक्टोज (40 प्रतिशत), सकरोज (5 प्रतिशत) और पानी (20 प्रतिशत) होता है। इस मीठे उत्पाद में विटामिन, मिनरल ओर एमीनो एसिड भी होता है जिससे कई पौष्टिक तत्व मिलते हैं जो घाव को ठीक करने और टिश्यू के बढ़ने के उपचार में मदद करते हैं।
- शहद को बैक्टीरिया के निवारण के तौर पर भी इस्तेमाल करते हैं। इस प्रक्रिया में शहद के उत्पादन में काम करने वाली मधुमक्खियां एन्जाइम ग्लूकोज ऑक्सीडेज को नेक्टर में बदल देती हैं। जब शहद को घाव पर लगाया जाता है तो इस एंजाइम के साथ हवा की ऑक्सीजन के संपर्क में आते ही बैक्टीरीसाइड हाइड्रोजन पर आक्साइड बनती है।
- मनुका (मेडिहनी) मेडिसिनल हनी होती है जिसके एंटीबैक्टीरिया कई तरह के स्रोतों से ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड आदि स्थानों से हासिल किए जाते हैं। वर्ष 2007 में हेल्थ कनाडा ओर यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने क्रमश: पहली बार मेडिसिनल हनी को घाव और जलने में इस्तेमाल के लिए इजाजत दी थी।- इनके अलावा शहद के इस्तेमाल से सूजन और दर्द भी दूर हो जाते हैं। जख्मों या सूजन से आने वाली दरुगध भी दूर होती है। शहद की पट्टी बांधने से मरे हुए ऊतकों के स्थान पर नए सेल पनप आते हैं। इसका मतलब कि शहद से घाव तो भरते ही हैं और उनके निशान भी नहीं रहते।

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