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भारतीय रेल: सियासत से हटकर सुधारों के ट्रैक पर

मोदी सरकार भारतीय रेल के कायाकल्प के लिए उसे सियासी लागडांट से बाहर निकाल सुधारों के ट्रैक पर लाने की कोशिश में है। सरकार का ध्यान नई ट्रेनों से ज्यादा ढांचा ठीक करने और स्पीड बढ़ाने पर है। सत्ता में...

भारतीय रेल: सियासत से हटकर सुधारों के ट्रैक पर
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 17 May 2015 10:45 PM
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मोदी सरकार भारतीय रेल के कायाकल्प के लिए उसे सियासी लागडांट से बाहर निकाल सुधारों के ट्रैक पर लाने की कोशिश में है। सरकार का ध्यान नई ट्रेनों से ज्यादा ढांचा ठीक करने और स्पीड बढ़ाने पर है। सत्ता में एक साल पूरा करने जा रही सरकार के मजबूत इरादों के सामने चुनौतियां अनेक हैं। वैसे अच्छी शुरुआत को देखते हुए उम्मीद तो बंधती ही है। अरविंद सिंह की रपट।

डेढ़ दशक तक चले राजनीतिक दोहन के कारण भारतीय रेल आईसीयू में पहुंच गई है। रेलवे का बुनियादी ढांचा मजबूत करने, सुरक्षा-संरक्षा, यात्री सुविधाएं बेहतर करने की बजाय साल-दर-साल सियासी फायदा उठाने के लिए गैरजरूरी रेल परियोजनाएं शुरू की गईं, नई ट्रेनें चलाई गईं। नतीजतन भारतीय रेल चरमराने लगी। देश के प्रमुख रेलवे मार्गो पर कुछ मिनटों के अंतराल पर एक के पीछे एक ट्रेनें दौड़ने लगीं। ट्रैक की क्षमता का 180 फीसदी से अधिक उपयोग हो रहा है। नई ट्रेनें चलाने की जगह नहीं है।

इसी तरह यात्रियों की बढ़ती संख्या के कारण मांग और आपूर्ति में अंतर ज्यादा हो गया है, लिहाजा ट्रेनें खचाखच भरी हुई हैं। यात्री वेटिंग टिकट पर सफर कर रहे हैं। यात्रियों की सुरक्षा और संरक्षा ताक पर है। यही कारण है कि रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए रेल बजट 2015-16 में एक भी नई ट्रेन चलाने की घोषणा नहीं की। उन्होंने रेल बजट में रेलवे के बुनियादी ढांचे, नई लाइनें बिछाने, लाइनों के दोहरीकरण-तिहरीकरण, विद्युतीकरण और सिग्नल सिस्टम के सुधार को वरीयता दी है। ऐसा होने से मौजूदा ट्रेनों की रफ्तार बढ़ेगी। मांग के अनुसार नई ट्रेनें चलेंगी।
उल्लेखनीय है कि बजट पेश करने के दो हफ्ते के बाद रेल मंत्री ने एलआईसी से डेढ़ लाख करोड़ रुपये का कर्ज का प्रबंध कर लिया। इससे पहले जुलाई में नरेंद्र मोदी सरकार ने रेलवे में 100 फीसदी एफडीआई की मंजूरी दे दी थी।

रेल मंत्री ने अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं। उनका कहना है कि रेल नेटवर्क को मजबूत और आधुनिक बनाने के लिए 8.5 लाख करोड़ रुपये के निवेश की जरूरत होगी। एनडीए सरकार ने नई ट्रेनों को चलाने की बजाय यात्रियों की सुरक्षा और सुविधाओं पर ध्यान देना शुरू कर दिया है। यात्री सुरक्षा के लिए टिकट पर हेल्पलाइन नंबर 182 छपने लगा है। यह नंबर आरपीएफ कंट्रोल रूम से जुड़ा हुआ है। साथ ही महिला व अन्य यात्रियों की सुरक्षा के लिए पिछले दिसंबर में नये एकीकृत विशेष सुरक्षा बल के गठन की घोषणा की गई। इस बल में प्रतिनियुक्ति पर राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) व अन्य केंद्रीय बलों से नियुक्तियां की जाएंगी। जीआरपी की शक्तियां आरपीएफ के अधीन करने की योजना है। इस संबंध में तीन साल पहले आरपीएफ संशोधन विधेयक प्रस्ताव बना था।

40 फीसदी ट्रेन हादसे मानवरहित क्रॉसिंग पर होते हैं। लिहाजा रेल दुर्घटनाएं रोकने के लिए रेल मंत्रालय, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के बीच समझौता हुआ है। इसके तहत 1,150 मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग पर आरओबी-आरयूबी बनाए जाएंगे। इन पर 35,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि खर्च होगी। चालू वित्तीय वर्ष में 200 आरओबी-आरयूबी बनाने का लक्ष्य है।
 

- 04 सबसे लम्बा दुनिया का रेल नेटवर्क है भारत। 17 जोन में विभाजित है भारतीय रेलवे।

- 65  हजार किलोमीटर है भारतीय रेलवे की रूट लम्बाई, जबकि पटरियों की कुल लम्बाई 1,15,000 किमी है।
- 08 अरब मुसाफिरों ने 2013 में भारतीय ट्रेनों में यात्रा की, जो दुनिया में सर्वाधिक रही।
- 19 हजार ट्रेनें प्रतिदिन पटरियों पर दौड़ती हैं। इनमें 12,000 यात्री गाड़ी और 7,000 मालगाड़ियां हैं।
- 90 मिनट में दिल्ली-आगरा का ट्रॉयल रन पूरा किया एक ट्रेन ने पिछले साल। इसकी रफ्तार 160 किमी/घंटा थी।
- 14 लाख कर्मचारियों के साथ भारतीय रेलवे दुनिया का नवां सबसे बड़ा वाणिज्यक नियोक्ता है।
- 82 घंटे 30 मिनट लेती है विवेक एक्सप्रेस डिब्रूगढ़ से कन्याकुमारी तक 4,286 किलोमीटर की यात्रा तय करने में।




उठाए जाएंगे ये कदम
- रेल मंत्री एफडीआई और पीपीपी से धन जुटा कर रेलवे को विकास के ट्रैक पर दौड़ाएंगे। इस पैसे से उपनगरीय रेल कॉरिडोर बनाए जाएंगे।
- मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट बुलेट ट्रेन को चलाने के लिए देश भर में डायमंड हाई स्पीड कॉरिडोर बनाए जाएंगे।
- दिल्ली-मुंबई, दिल्ली-कोलकाता के अलावा देश में अन्य डेडिकेटेड फेट्र कॉरिडोर (डीएफसी) परियोजनाएं शुरू की जाएंगी।
- रेलवे विद्युतीकरण, सिग्नल सिस्टम, फेट्र टर्मिनल, लॉजिस्टिक पार्क, यात्री टर्मिनल, परीक्षण सुविधाएं व प्रयोगशालाएं बनाई जाएंगी।
- अगले पांच साल के लक्ष्य के मुताबिक हर साल 2000 किलोमीटर रेल लाइनों का विद्युतीकरण भी किया जाएगा।

उठाए गए ये कदम      
- टिकट पर हेल्पलाइन नंबर 138 छापने का फैसला। इससे मेडिकल इमरजेंसी, कोच में गंदगी, खराब एसी, वेंडर के दुर्व्यवहार की शिकायत की जा सकेगी।
- रेल मंत्रालय ने इस साल मार्च से विभिन्न परीक्षाओं को ऑनलाइन करने की दिशा में काम शुरू कर दिया।
- रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी), रेलवे भर्ती सेल (आरआरसी), रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) में भर्ती के लिए एकल परीक्षा कराने के उपाय खोजे जा रहे हैं।
- अब यात्रियों को मोबाइल से ‘कैश ऑन डिलीवरी’ योजना के तहत बुक माई ट्रेन एप के जरिये सफर से पांच दिन पहले रेल टिकट बुक कराने की सुविधा है।
- भारतीय रेल सिर्फ 60 रुपये प्रति टिकट अतिरिक्त भुगतान पर घर बैठे टिकट डिलीवरी पाने की सुविधा का पायलट प्रोजेक्ट फिलहाल 200 शहरों में चला रही है।




फाइलों से बाहर आने को तैयार बुलेट ट्रेन
प्रधानमंत्री ने चुनाव प्रचार के दौरान देश के लोगों को बुलेट ट्रेन का तोहफा देने का वादा किया था। बुलेट ट्रेन परियोजना को देश के गौरव से जोड़ कर देखने वाली मौजूदा सरकार का मानना है कि हाई स्पीड ट्रेनें कम दूरी ( 500-600 किलोमीटर) के हवाई यातायात का बेहतर विकल्प साबित हो सकती हैं।

सरकार ने डायमंड क्वाड्रीलेटरल हाई स्पीड कॉरिडोर (बुलेट ट्रेन) से देश भर में बुलेट ट्रेनें चलाने का खाका भी खींच लिया है। इस अति महत्वाकांक्षी बुलेट परियोजना के लिए सरकार को 12 लाख करोड़ से अधिक धनराशि की दरकार होगी। वहीं, विरोधी पार्टियां बुलेट ट्रेन परियोजना को अव्यवहारिक बता कर इसकी आलोचना करने में जुटी हैं। पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट रेल मंत्री प्रभु प्रधानमंत्री के सपने को हकीकत में बदलने में जुटे हैं। पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई), निजी क्षेत्र के सहयोग से धन जुटाया जा रहा है। तकनीकी, वित्तीय, प्रबंधन, परिचालन, रख-रखाव आदि के लिए जापान और चीन से सहयोग लिया जा रहा है। रेलवे का दावा है कि जून में मोदी की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना फाइलों से निकल आएगी। सरकार की कोशिश है कि अगले चार से पांच साल में मुंबई-अहमदाबाद रूट के एक खंड (प्रथम चरण) में बुलेट ट्रेन चलाई जाए।



एक नजर
सबसे पहला कॉरिडोर

मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड कॉरिडोर
508 किलोमीटर की परियोजना

भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए सरकार की प्राथमिकता सूची में मुंबई-अहमदाबाद वाया पुणे हाई स्पीड कॉरिडोर सबसे पहले पायदान पर है। दो अंतरिम फिजिबिलटी रिपोर्ट तैयार की जा चुकी हैं। तीसरी व अंतिम रिपोर्ट जून माह में मिल जाएगी। इस कॉरिडोर पर 70,000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। इस कॉरिडोर पर निर्माण कार्य संबंधी प्रक्रिया इस साल जून माह से शुरू हो सकती है।

प्री-फिजिबिलटी रिपोर्ट तैयार
1.  दिल्ली-आगरा-लखनऊ-वाराणसी-पटना (991 किलोमीटर)
2.  हावड़ा-हल्दिया (135 किमी)
3.  हैदराबाद-चेन्नई (664 किमी)
4.  चैन्नई-तिरुअनंतपुरम (850 किमी)

कंसल्टेंट नियुक्ति की प्रक्रिया
1.  दिल्ली-जोधपुर (591 किलोमीटर):  प्री-फिजिबिलटी रिपोर्ट बनाने के लिए कंसल्टेंट नियुक्त करने की प्रक्रिया चल रही है।
2.  दिल्ली-चंडीगढ़-अमृतसर (460 किलोमीटर):  इस हाई स्पीड कॉरिडोर के लिए कंसल्टेंट पिछले साल नियुक्त हो गया।

चीन से समझौता
दिल्ली-चैन्नई हाई स्पीड कॉरिडोर (2000 किलोमीटर):  परियोजना की फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार करने के लिए चीन से समझौता किया गया है। प्रथम चरण में चीन दिल्ली-नागपुर के बीच यह रिपोर्ट तैयार करेगा। चीनी विशेषज्ञों ने मार्च माह में आगरा, भोपाल, नागपुर, हैदराबाद, विजयवाड़ा व चेन्नई का दौरा किया है। इस रूट पर बुलेट ट्रेन की अधिकतम रफ्तार 350 किलोमीटर प्रति घंटा रहेगी।



- मोदी सरकार ने डायमंड क्वाड्रीलेटरल हाई स्पीड कॉरिडोर के तीन पैकेज तैयार किए हैं। प्रथम पैकेज में दिल्ली-मुंबई, दूसरे पैकेज में मुंबई-चेन्नई व तीसरे पैकेज में नई दिल्ली-कोलकाता बुलेट ट्रेन परियोजना शामिल है। तीनों रूट पर प्री-फिजिबिलटी रिपोर्ट तैयार करने के लिए राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय कंसल्टेंट के नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है।
- सतीश अग्निहोत्री, अध्यक्ष, हाई स्पीड रेल कारपोरशन ऑफ इंडिया


- रेलवे के पास मरम्मत और रखरखाव के पैसे नहीं है। पहले रेलवे ट्रैक, सिग्नल सिस्टम, स्टेशनों का विकास करने की जरूरत है। बुलेट ट्रेन परियोजनाएं काफी मंहगी होती हैं, इसके लिए निवेश कहां से आएगा? बुलेट ट्रेन की बजाय यात्रियों की सुविधा की ओर ध्यान देना चाहिए। भारतीय रेलवे को आंतरिक स्रोतों से अपनी आय बढ़ानी चाहिए।
- दिनेश त्रिवेदी, पूर्व रेल मंत्री

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