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अधूरी प्रतिबद्धता के नाम एक खत 

आपका एक अच्छा दोस्त होने के नाते मैं कुछ कड़वी बातें कहना चाहता हूं। हाल में ये बातें मैंने अपने एक दोस्त को लिखी हैं। यह खत है, जो हमारी  प्रतिबद्धता के नाम है। वही प्रतिबद्धता, जो एकमात्र सफलता...

अधूरी प्रतिबद्धता के नाम एक खत 
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 27 Sep 2016 10:40 PM
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आपका एक अच्छा दोस्त होने के नाते मैं कुछ कड़वी बातें कहना चाहता हूं। हाल में ये बातें मैंने अपने एक दोस्त को लिखी हैं। यह खत है, जो हमारी  प्रतिबद्धता के नाम है। वही प्रतिबद्धता, जो एकमात्र सफलता की गारंटी नहीं है, पर इसके बिना असफलता जरूर तय है। मैंने यही दोस्त को लिखा है... आपके लिए भी सही साबित होगा।

डियर, मुझे कहना पड़ रहा है कि तुम पूरी तरह प्रतिबद्ध नहीं हो। मैं चाहता हूं कि तुम सफल हो। तुम्हारी योजनाएं व्यवहार में आएं। तुम वो काम छोड़ दो, जो बोझिल लगते हैं। वैसी जिंदगी जियो, जैसी जीना चाहते हो। मैं तुम्हारी मदद भी करना चाहता हूं, पर ऐसा करने से तुम मुझे रोक रहे हो... क्योंकि तुम्हें देख कर मुझे कभी ये नहीं लगा कि तुम खुद के लिए ही समर्पित हो।
हर कदम पर एक सवाल खुद से पूछना जरूरी हो जाता है। क्या अपनी चीजों के लिए हमारी प्रतिबद्धता 100 प्रतिशत है? कुछ नया शुरू करने के लिए तुम्हारे पास मकसद है, दूरदर्शिता है।  तुम योजनाएं बनाकर एक कदम आगे भी बढ़ते हो। लेकिन आगे क्या? क्या तुमने आगे के लिए जरूरी कदम उठाए? यही समर्पण की कमी तुम्हारे सपनों को बरबाद कर रही है, डियर।

नए मौकों का स्वागत करो
सुनो, हम सभी को संदेह होता है। संघर्ष और रुकावटों से भरा होता है ये सफर। हम संदेहों से भी घिर जाते हैं। लगता है कि हमें अपने मकसद के बारे में दोबारा सोचने की जरूरत है। यह भावना कभी खत्म भी नहीं होगी। जब कुछ नया शुरू करते हैं तो फैसला लेते समय कुछ दुविधाएं होती ही हैं।  चूंकि दुविधाएं हमेशा रहेंगी। तुम्हें किसी प्रोजेक्ट, किताब लिखने का आइडिया, बिजनेस प्लान या किसी एक लक्ष्य या योजना से आगे बढ़ कर अपने लिए समर्पित होने की जरूरत है। पूरी तरह से। 

तुम्हें खुद पर उस स्तर पर विश्वास करने की जरूरत है, जो किसी हाल में कम नहीं हो सकता। तुम्हें लगता होगा कि तुम तो पहले से ऐसे हो। पर क्या ये सच है? या तुम ग्लानि से भर गए हो कि तुमने नए अवसरों का रास्ता खुद के लिए बंद कर दिया है? जब तुम्हें कोई आमंत्रण मिलता है तो तुम मन ही मन उसकी उपेक्षा करने लगते हो? या तुम किसी अजनबी से मिलते हो तो उससे आगे संपर्क रखने के मौकों को खत्म कर देते हो, क्योंकि तुम्हें कम्फर्ट जोन रास आ गया है? 
जब आप अपने प्रति समर्पित नहीं होते तो आपके पाठक, संभावित ग्राहक, पुराने क्लाइंट्स आपकी इस कमी को भांप लेते हैं। और यह कहना गलत नहीं होगा कि किसी ऐसे व्यक्ति पर भरोसा करना किसी के लिए भी मुश्किल होगा, जो खुद के लिए ही समर्पित नहीं है। 

क्या है तुम्हारी प्राथमिकता
पता है, दूसरे क्या चाहते हैं? उन्हें कोई ऐसा चाहिए, जिसकी प्राथमिकता वे हों। जो लगातार उनकी उम्मीदों पर खरा उतरें। जो बिजनेस को जिम्मेदारी के साथ निभाए। जब आप खुद के प्रति समर्पित नहीं होते तो अपनी जिम्मेदारियां ठीक से नहीं निभा पाते और दूसरों के प्रति भी  समर्पित नहीं हो पाते। यही तुम्हें समझना है। 

जब हम प्रतिबद्ध नहीं होते तो बहाने बनाते हैं। अपने निर्धारित कामों से बचने की कोशिश करते हैं। काम की समय-सीमा नजदीक होती है तो काम को नजरअंदाज करते हैं, खुद को छुपा लेना चाहते हैं और फिर कहते हैं- अब जो होगा, कल देखा जाएगा। किसी दोस्त के साथ कॉफी डेट पर जाना था, पर हमेशा की तरह लेट होते हैं। उस दोस्त को जवाब नहीं देते, जिसने ‘हैलो’ बोलने के लिए फोन किया था। हो सकता है कि आप थके हों, मूड ठीक न हो या किसी परेशानी में हों। पर ऐसा हमेशा नहीं होता। हो सकता है कि दोस्त को कोई जरूरत हो। यूं भी हमें अपनी प्राथमिकताएं बदलने के लिए तैयार रहना पड़ता है। 

तुम अपनी प्राथमिकता हो
तुम कब पूरी तरह से अपने लिए प्रतिबद्ध होने जा रहे हो, जिससे उस दोस्त, उस साथी, उस क्लाइंट के साथ प्रतिबद्ध हो सको, जो तुम्हारे साथ समय बिताने को आतुर है? सच है कि खुद के प्रति समर्पण के बिना जितना भी आगे जाएं, लड़ने की इच्छा कम होती जाएगी। अंत में, मैं आपको  सफल होते देखना चाहता हूं। समृद्ध होते हुए देखना चाहता हूं। मैं हमेशा आपके लिए यही चाहूंगा। 

खुद के लिए खड़ा होना सीखें
खुद के लिए फैसले लेना और फिर उनका सम्मान करना तुम्हें सीखना होगा। जो खुद के लिए लड़ नहीं सकता, उसके लिए कोई नहीं लड़ेगा। जब आप अपनी राय सबके सामने रखते हैं तो लोग आप पर भरोसा करते हैं। आपका समर्थन करते हैं। वे आपको आगे बढ़ाने में मदद भी करते हैं। लेकिन आपमें ही आत्मविश्वास में कमी है तो वे ऐसा नहीं कर पाएंगे। आपकी चाल, आपके शब्द, आपके काम करने का ढंग यह दिखा देता है कि आप खुद के प्रति प्रतिबद्ध नहीं हैं। किसी क्लाइंट के साथ मीटिंग रद्द करना आसानी से बता देता है कि उससे मिलना आपकी प्राथमिकताओं में नहीं है। 

तीन नियम
जो जिंदगी को भरपूर जीते हैं, उनके डर भी उतने ही कम होते हैं। हर पल को जीने की कोशिश करने वालों के दुख की उम्र भी छोटी हो जाती है। बीती बातें उन्हें अटकाती नहीं हैं। बौद्ध भिक्षु जैक कॉर्नफील्ड कहते हैं, ‘मृत्यु के समय  किसी जागरूक व्यक्ति के पास बैठना। उस समय वह जो प्रश्न पूछता है, वे बड़े सरल होते हैं... क्या मैंने ठीक से प्यार किया? क्या मैंने भरपूर जिंदगी को जिया? क्या मैंने छोड़ देना सीखा?’  

हम वही करते हैं, जो दूसरे करते हैं। वही बोलते हैं, जो दूसरे बोलते हैं। वही सोचते हैं, जो दूसरे सोचते हैं। और फिर धीरे-धीरे वही हो जाते हैं, जो दूसरे होते हैं। फिर दूसरों से अलग होने की छटपटाहट कैसी? अपने हिस्से के ज्ञान, शक्ति और आनंद को हम समझ ही नहीं पाते। महावीर स्वामी ने कहा है, ‘मन, वचन और कर्मों के एक हुए बिना अपनी अनंत संभावनाओं को समझ पाना असंभव है।’

जिस काम में सबसे अधिक समय बीत रहा हो, वह अच्छा लगना ही चाहिए। पर ऐसा होता नहीं है। ज्यादातर लोग वो काम कर रहे होते हैं, जिसे पसंद नहीं करते। समस्या यह है कि कुछ साल पहले भी यही हाल था और आज भी। कुछ करने के लिए वे सही समय का इंतजार करते रह जाते हैं। लेखक जिम रॉन कहते हैं, ‘खुशी वो नहीं है, जिसे हम कल के लिए टाल देते हैं। खुशी वो है, जिसे हम अपने आज में डिजाइन करते हैं।’

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