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ऑफिस में कुछ आदतों से करें तौबा

बंद ऑफिस में बैठकर घंटों काम करते रहना आपकी सेहत को कितना नुकसान पहुंचा सकता है, उसकी कल्पना भी आपने नहीं की होगी। यह सही है कि आप अपने ऑफिस के परिवेश और पर्यावरण को पूरी तरह नहीं बदल सकते, पर कुछ...

ऑफिस में कुछ आदतों से करें तौबा
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 25 Aug 2016 10:48 PM
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बंद ऑफिस में बैठकर घंटों काम करते रहना आपकी सेहत को कितना नुकसान पहुंचा सकता है, उसकी कल्पना भी आपने नहीं की होगी। यह सही है कि आप अपने ऑफिस के परिवेश और पर्यावरण को पूरी तरह नहीं बदल सकते, पर कुछ बातों का ध्यान रखकर सेहत संबंधी जोखिम को जरूर कम कर सकते हैं। 

एक बार सोचकर देखिए...बाइस-पच्चीस की उम्र में आप ऑफिस पहुंचने की जल्दी में नाश्ता नहीं करते। मीटिंग पूरी होने के बाद आप एक कॉफी पीते हैं और साथ में दो-तीन बिस्कुट खा लेते हैं।  शाम में भी देर तक काम करते हैं। फिर एक दशक बाद, इन्हीं स्थितियों में यही काम करने में परेशानी होने लगती है। घंटों कंप्यूटर के सामने बैठे रहने से कंधे और गर्दन में अकड़न रहने लगती है। वजन बढ़ने लगता है और थकान महसूस होती है, निराशा और तनाव भी। 
    
कहीं यह वर्णन आपको अपने ताजा हालात की तरह तो नहीं लग रहा। यदि हां तो थोड़ा संभल जाएं। कार्यस्थल से जुड़ी कई ऐसी बातें हैं, हो सकता है कि उनकी नजरअंदाजी आपकी सेहत पर भारी साबित हो रही हो।

चलें, खड़े हों और स्ट्रेच करें

औसतन ऑफिस में हम 8 से 10 घंटे बिताते हैं यानी  हर सप्ताह 50 से 60 घंटे के करीब। इसमें से भी अधिकतर समय  बैठे हुए ही बीतता है। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एपिडेमियोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, आप चाहें बैठे रहते हैं या फिर खड़े, अगर मूवमेंट कम है तो संभलने की जरूरत है। प्रिवेंटिव मेडिसिन जर्नल में छपी एक रिपोर्ट ‘इज योर जॉब मेकिंग यू फैट?’ के अनुसार पिछले तीन दशकों में ऑफिस कर्मियों की सक्रियता में कमी देखने में आई है, जिससे उनमें मोटापा बढ़ रहा है। 
    
नई दिल्ली के अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल की वरिष्ठ डॉक्टर नवनीत कौर कहती हैं, ‘ईमेल या फोन करने के बजाय सहकर्मी की सीट पर जाकर बात करने व एक-दो बार खड़े होकर मीटिंग करने जैसे छोटे कदम ही मूवमेंट को बढ़ा सकते हैं।’ सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट एसके गुप्ता कहते हैं, ‘लगातार बैठे रहना मोटापा, मधुमेह और हृदय रोगों की आशंका बढ़ाता है। हृदय रोगों का कारण रक्त संचार में बाधा आना और धमनियों में कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना है। लगातार बैठे रहना इन दोनों की आशंका को बढ़ाता है।’ 
    
डॉ. गुप्ता के अनुसार हर आधे घंटे बैठने के बाद 2 मिनट खड़े होना और दो मिनट स्ट्रेचिंग करना जरूरी होता है। पानी पीने के लिए सीट से उठकर जाएं। देर तक बैठे न रहें। कभीकभार किसी असुविधाजनक चीज जैसे एक्सरसाइज बॉल, बिना पीछे के सहारे की कुर्सी पर बैठें, पॉस्चर बदलते रहें, सीढ़ियां चढे। 

आंखों को दें आराम 
 
दिल्ली स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल से जुड़े वरिष्ठ डॉक्टर डी. एस चड्ढा के अनुसार, ‘हमारी आंखें सबसे आरामदायक स्थिति में उस समय होती हैं, जब वे 6 मी से अधिक की दूरी से वस्तुओं को देखती हैं। इससे पास से देखना आंख पर दबाव डालता है। धुंधला दिखना, फोकस न कर पाना और सिरदर्द जैसे लक्षण उत्पन्न होने लगते हैं। इसीलिए किसी भी स्क्रीन को बहुत नजदीक से न देखें। या तो स्क्रीन को आंखों के समानांतर रखें या हल्का सा नीचा। कंप्यूटर स्क्रीन पर कंट्रास्ट और ब्राइटनेस दोनों कम रखें। बीच-बीच में ब्रेक लेकर दूर की चीजों को देखें। नियमित आंखों की जांच कराएं।’

थोड़ा ब्रेक लेते रहें

दिल्ली के मैक्स हॉस्पिटल से जुड़े वरिष्ठ डॉक्टर मुकेश मेहरा के अनुसार, ‘दिनभर में हम कुछ ही घंटे पूरी एकाग्रता से काम कर सकते हैं। उससे अधिक देर तक काम करना हृदय व ब्लड प्रेशर के लिए अच्छा नहीं होता।’ वर्ष 2015 में ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और ब्रिटेन के करीब छह लाख लोगों पर आधारित लैंसेट जर्नल में छपे अध्ययन के अनुसार सप्ताह में 55 घंटे से अधिक काम करने वालों में स्ट्रोक की आशंका 33 % और हृदय रोगों की 13% तक बढ़ जाती है। लंबे समय तक काम करना है, तो योग, ध्यान व व्यायाम के लिए समय निकालें। ऑफिस में जिम है तो उसे ज्वॉइन करें। साथ ही छुट्टियां लेकर कहीं घूमने जाने के लिए समय निकालें। परिवार के साथ समय बिताएं व अपनी रुचि के काम करें। 

काम घर न ले जाएं

गुड़गांव स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल में वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. समीर पारिख कहते हैं,‘घर पहुंचकर भी ऑफिस कॉल, मैसेज और ईमेल में बिजी रहना आपको रिलैक्स नहीं होने देता। वर्क-लाइफ बैलेंस की स्पष्ट सीमा निश्चित करें। घर और काम में संतुलन बनाना आपको अधिक कार्यकुशल रखेगा। सही समय पर ऑफिस जाएं और समय पर घर लौटें। उसके बाद ऑफिस को घर साथ न ले जाएं। अगर कभी ऑफिस में देर होती है,जो कि संभव है तो बॉस की अनुमति लेकर अगले दिन की शुुरुआत कुछ देर से करें और अपनी नींद पूरी करें।
    
अगर बॉस मन के अनुरूप नहीं है तो भी तनाव को घर के रिश्तों पर न निकालें। एक शोध के अनुसार जिन लोगों को लगता है कि वे कम सक्षम मैनेजरों के साथ काम कर रहे हैं, उनमें हृदय रोग होने की आशंका 25% अधिक होती है। लंबे समय तक उनके साथ काम करना उस आशंका को 64 % तक बढ़ा देता है। 

स्वच्छ हवा जरूरी

अधिकतर एयरकंडीशंड ऑफिस बिल्डिंग बंद होती हैं, जहां एक ही तरह की टॉक्सिक हवा बार-बार घूमती रहती है, जो फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकती है, जिसे सिक बिल्डिंग सिंड्रोम कहते हैं। फरीदाबाद स्थित एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में सीनियर कंसल्टेंट पल्मोनोलॉजिस्ट मानव मनचंदा कहते हैं,‘कई बार बिल्डिंग के भीतर की हवा बाहर की हवा से 100 गुणा अधिक प्रदूषित होती है। ऐसे में संस्थाओं के लिए जरूरी है कि वे नियमित इनडोर एअर क्वालिटी टेस्ट करवाती रहें।’ 

सही खाएं

‘भोजन में ज्यादा अंतराल होने पर हम कुछ हल्का खाने की कोशिश करते हैं।  उससे भूख कुछ तो शांत होती है, फिर 20 से 30 मिनट बाद कुछ खाने की ललक होने लगती है। जिसके बाद फिर आप स्नैक्स खाने की कोशिश करते हैं। इस प्रक्रिया में शुगर लेवर में भी उतार-चढ़ाव आता है।  आपको थकावट, चिड़चिड़ापन व आलस महसूस होता है। साथ ही कमर का घेरा भी बढ़ने लगता है।’ यह कहना है मुंबई में सेंटर फॉर ओबेसिटी एंड डाइजेस्टिव सर्जरी में सीनियर न्यूट्रिशनिस्ट कार्लिने रेमिडस का। उनके अनुसार बेहतर है कि नाश्ते के सेहतमंद विकल्प अपने पास रखें, जैसे फल, भुने चने, मेवा, मूंगफली और बिना मिठास की  म्युएसली।  चीनी वाली चीजों से दूर रहें। इसमें जूस, सोडा, बिस्कुट व तली हुई चीजें शामिल हैं।

दोपहर का भोजन जरूर करें

दोपहर में भोजन अवश्य करें, पर अपनी डेस्क पर ही न करें। डेस्क पर बैठकर भोजन करना कार्यस्थल पर कीटाणु तो उत्पन्न करता ही है, मानसिक रूप से आप उस समय भी ऑफिस के काम में लगे होते हंै। वहीं भोजन न करना थकावट और शिथिलता लाता है। सक्रियता घट जाती है  और सोचने-समझने की क्षमता पर असर पड़ता है।  भोजन करने के बाद थोड़ा टहल लें, विटामिन डी बढ़ेगा और पाचन क्षमता और ऑक्सीजन के स्तर में सुधार होगा।  दोपहर के भोजन के बाद  थोड़ी देर टहलने पर आप अधिक स्पष्टता और सूझबूझ के साथ काम कर पाते हैं। 

चाय-कॉफी कम, पानी ज्यादा

एयरकंडीशंड ऑफिस में पानी पीना याद नहीं रहता।  पर इसे न भूलें।  शरीर से पानी लगातार कम होता रहता है, ऐसे में पानी की कमी होने पर सिर दर्द, मांसपेशियों में खिंचाव होने लगता है। सिर भी भारी-भारी लगता है। खून, पाचन रस व हड्डी सभी में पानी की मौजूदगी होती है। इस पानी की पूर्ति के लिए लगातार पानी पीना जरूरी होता है। कोशिश करें कि कम से कम 3 लीटर पानी पिएं। पेशाब रोके नहीं। ऐसा करने पर ब्लेडर में खिंचाव होता है, कीटाण्ुा की उत्पत्ति होती है और मूत्र मार्ग का संक्रमण होने की आशंका बड़ जाती है।  ज्यादा चाय व कॉफी पीना सिरदर्द, सीने में जलन व बेचैनी उत्पन्न करता है। दिनभर में चार छोटे कप से अधिक कॉफी न पिएं। चाय व कॉफी की जगह हर्बल व ग्रीन टी भी लें।

सीधा बैठें

वरिष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. यश गुलाटी के अनुसार ‘अधिकतर लोग कंप्यूटर के सामने घंटों झुके हुए बैठे रहते हैं। फर्नीचर मानव शरीर के अनुरूप नहीं होता, जो गर्दन, कंधे और बाजुओं के ऊपरी हिस्से की मांसपेशियों, टेंडन्स और नसों को नुकसान पहुंचाता है। लंबे समय बाद यह कारपल टनेल सिंड्रोम व जोड़ों के आसपास दर्द का कारण बन जाता है।’ हल यही है कि फर्नीचर शरीर की जरूरत के अनुरूप हो। अगर ऐसा संभव नहीं है तो पॉस्चर पर ध्यान दें।  फिटनेस एक्सपर्ट जैकब कहते हैं,‘कुर्सी पर बैठते समय पैर जमीन पर टच होने चाहिए।  पंजा जमीन पर सीधा रखें व घुटना 90 डिग्री के कोण पर मुड़ना चाहिए।  पेट सामान्य रखें। कमर सीधी,  गर्दन ऊंची और कंधे थोड़ा पीछे रखें। सही पॉस्चर कई तरह के दर्द  से बचा सकता है।’ 

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