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क्यों रहता है हाजमा सुस्त

हम क्या खाते हैं? कितना खाते हैं? कब खाते हैं? कैसे खाते हैं? खुश होकर खाते हैं या तनाव व हड़बड़ी में? इनके जवाब तय करते हैं कि हमारा हाजमा कैसा होगा। आधुनिक जीवनशैली व खान-पान की गलत आदतों के कारण...

क्यों रहता है हाजमा सुस्त
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 24 Jul 2016 05:23 PM
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हम क्या खाते हैं? कितना खाते हैं? कब खाते हैं? कैसे खाते हैं? खुश होकर खाते हैं या तनाव व हड़बड़ी में? इनके जवाब तय करते हैं कि हमारा हाजमा कैसा होगा। आधुनिक जीवनशैली व खान-पान की गलत आदतों के कारण 85% लोग पाचन संबंधी परेशानियों से जूझ रहे होते हैं। हाजमे से जुड़ी कुछ समस्याएं और उनके उपचार के बारे में बता रही हैं नीलम शुक्ला

रोजमर्रा में हम अकसर किसी न किसी पेट संबंधी परेशानी से जूझ रहे होते हैं। आप तब तक फिट नहीं हो सकते, जब तक आपकी पाचन शक्ति ठीक नहीं होती। भले ही आप कितने ही पौष्टिक आहार का सेवन कर लें, अगर पाचन तंत्र ठीक नहीं रहेगा तो इसका फायदा शरीर को नहीं मिलेगा। इसलिए लोग अकसर यह शिकायत करते हुए पाए जाते हैं कि खाते तो हैं, पर शरीर को लगता नहीं या कुछ खाते नहीं, फिर भी मोटे हो रहे हैं।

क्यों बिगड़ता है पाचन तंत्र
पाचन तंत्र हमारे शरीर का महत्वपूर्ण अंग है। यह भोजन को पचाता है और फिर पौष्टिक तत्वों और रसायनों को शरीर के अन्य हिस्सों तक पहुंचाता है। हर समय की हड़बड़ी,  समय-असमय खाना, मात्रा पर ध्यान न देना और रोजमर्रा का तनाव, ये सब हमारे पाचन तंत्र पर दबाव डालते हैं।    

हमारी भोजन नली, खाने को लाने-ले जाने के लिए बना महज एक खोखला पाइप नहीं है। इसके कई हिस्से होते हैं, जहां कई तरह की गैस्ट्रिक प्रक्रियाएं होती रहती हैं। कई तरह की कोशिकाएं बनती हैं, कई  रसायन, एंजाइम्स व हार्मोन बनते हैं, जिनसे पाचन तंत्र के अन्य भाग जुड़ते हैं। एक तरह से हमारा पाचन तंत्र एक जटिल तंत्र है, जिसमें कई बार छोटी-छोटी गड़बडि़यां भी स्थिति को गंभीर बना देती हैं। ज्यादा खाना, ढंग से न चबाना, पौष्टिक भोजन न करना या  फिर व्यायाम की कमी आपके पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

हाजमे से जुड़ी कुछ परेशानियां  
डायरिया: डायरिया होने के कई कारणों में प्रमुख है वायरस और बैक्टीरिया से होने वाला संक्रमण। अत्यधिक शराब पीना, दूषित भोजन व पानी या फिर तनाव की अधिकता डायरिया के कारण हो सकते हैं। शरीर में तेजी से पानी की कमी होना डायरिया की स्थिति कही जाती है।    

क्या करें: अगर लगातार पतले दस्त आते रहें तो डॉक्टर के पास जाना ही उचित रहेगा। दो से तीन दिन तक डायरिया रहता है तो इससे डीहाइड्रेशन हो जाता है और स्थिति  गंभीर हो जाती है। एंटी-डायरल दवाएं लें। सामान्य दस्त होने पर पानी व रसदार चीजें अधिक लें।

पेट फूलना:  खानपान और अनियमित दिनचर्या के कारण पेट में सूजन हो सकती है। इसका कारण कब्ज, गैस, फूड एलर्जी, अधिक शराब पीना, पेट की कोशिकाओं के विरुद्ध प्रतिरक्षा तंत्र द्वारा एंटीबॉडीज छोड़ने  से हुआ संक्रमण आदि कुछ भी हो सकता है।

क्या करें: अधिक तला-भुना, फास्ट फूड, डिब्बाबंद आहार खाने से बचें।  कोल्ड ड्रिंक्स या अन्य तरल पदार्थ भी पेट में सूजन का कारण हो सकते हैं। डॉक्टर से संपर्क करें। फल व सब्जियों का सेवन अधिक करें।

पेप्टिक अल्सर: पेप्टिक अल्सर पेट में या आंत की परतों में हुए घाव या छालों को कहते हैं। पेट में जलन और दर्द होना इसका आम लक्षण है। अधिकतर मामलों में पेट में छाले होने का कारण सूजन रोधी दवाएं, आनुवंशिकता, धूम्रपान व शराब का सेवन देखने को मिलते हैं।

क्या करें: तनाव और अधिक मसालेदार भोजन पेप्टिक अल्सर की स्थिति को और गंभीर बना सकते हैं। खानपान में सुधार करके इस पर काबू पाया जा सकता है। रेशायुक्त फल व सब्जियां, लीन मीट, पोल्ट्री उत्पाद, मछली, केले, साबुत अनाज खाएं और दूध व डेरी उत्पाद, उच्च वसायुक्त मांस, चाय और कॉफी, शराब व मसाले मुख्यत: मिर्च से परहेज करें। तनाव को नियंत्रित करें।

पेट में ऐंठन: पेट में ऐंठन या मरोड़ उठने के काफी साधारण कारण हो सकते  हैं  जैसे पीरियड्स (माहवारी),  वायरस और फूड पॉइजनिंग, खराब खाना, शौचालय से लौटने के बाद साबुन से हाथ ना धोना, पूरी तरह से पकाए बिना नॉन वेज खाना आदि।
क्या करें : साफ-सफाई का ध्यान रख कर आप पेट में उठने वाली मरोड़ या ऐंठन को काफी हद तक रोक सकते हैं। पेट में मरोड़ उठने के साथ आपको दस्त भी शुरू हो रहे हों और साथ में बुखार भी हो तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। लापरवाही से स्थिति गंभीर हो सकती है, इसलिए इसे हल्के में ना लें।

कब्ज: कब्ज एक आम समस्या है, जो भोजन की अनियमितता या कभी-कभी खाने की गलत आदतों के कारण होती है। कब्ज उस स्थिति को कहा जाएगा, जब सामान्य से कम बार शौच के लिए जाते हैं। तीन दिन में एक बार से कम शौच के लिए जाना भी कब्ज की स्थिति माना जाता है।

क्या करें: हरी सब्जियों और फलों जैसे पपीता, अंगूर, अमरूद, टमाटर, चुकंदर, अंजीर, पालक का रस या कच्चा पालक, किशमिश को पानी में भिगो कर खाने, रात को मुनक्का खाने से कब्ज दूर करने में मदद मिलती है। इसबगोल की भूसी को रात को सोने से पहले गर्म दूध में मिला कर या फिर पानी में घोल कर भी ले सकते हैं।

एसिड रीफ्लक्स: यह एक पुराना रोग है, जो पेट में अम्ल या पित्त के भोजन नली में पहुंचने के कारण होता है और उसकी दीवारों में जलन पैदा करता है। सीने में जलन इस रोग का संकेत हो सकता है। इसके लक्षणों में छाती में जलन के साथ होने वाला दर्द भी शामिल है, जो अकसर भोजन के बाद होता है व लेटने पर बढ़ जाता है।

क्या करें: जीवन शैली में परिवर्तन और बिना नुस्खे वाली दवाओं से राहत आमतौर पर अस्थायी होती है। कई बार आराम पाने के लिए चिकित्सक से उपचार और  प्रभावशाली दवाएं लेनी जरूरी होती हैं। भोजन चबा-चबा कर खाएं, ताकि वह अच्छी तरह से लार में मिल जाए।

पेट में हवा एकत्र होना: गैस निकलने के कई कारण हो सकते हैं। प्रमुख कारण है भोजन का सही तरीके से न पचना। इसके अलावा कम पौष्टिक खाना खाना और कुछ भी खा लेने की आदत भी पेट में गैस बनाती है।

क्या करें: बार-बार होने वाली गैस की समस्या से निबटने के लिए रहन-सहन में बदलाव करना जरूरी है। नियमित रूप से शौच के लिए जाना और स्वस्थ आहार आदतें गैस से बचाते हैं।

आयुर्वेद में भी है अच्छा इलाज
आयुर्वेद में पाचन तंत्र को अग्नि कहा जाता है। शरीर से विषैले तत्वों की सफाई के लिए खाने में अदरक, हल्दी, लहसुन और मिर्च का इस्तेमाल करने पर जोर दिया जाता है। आयुर्वेद में तीन दिनों में पाचन क्रिया को फिर से ठीक करने की प्रक्रिया भी मौजूद है। इसके साथ ही...
'    अगर आप 24 घंटे के अंदर ही पाचन को सुधारना चाहते हैं तो कच्चा पपीता खाएं। इसमें विटामिन सी प्रचुरता में होता है।
'    भोजन पचाने में परेशानी हो रही हो तो गर्म पानी पिएं।
'    नाशपाती पेट के लिए अच्छा फल है, जिसे आप सप्ताह में एक बार खा सकते हैं। केला आंतों के लिए फायदेमंद रहता है।
'    हरड़ पेट की एसिडिटी व सीने की जलन को ठीक रखती है। नींबू और शहद में अदरक का रस मिला कर पीना भी राहत देता है।
'    अश्वगंधा पेट के लिए काफी फायदेमंद होती है।
'    चन्दन लेप व मिट्टी चिकित्सा भी पेट के रोगों में लाभ करती है।   

बातें जो रखती हैं हाजमे को ठीक
'    रोजाना दो से तीन तरह के फल खाएं। केला और पपीता जैसे फल सुबह खाली पेट खाना अच्छा रहता है। इन दोनों में फाइबर और सोडियम प्रचुर मात्रा में होते हैं, शरीर को ऊर्जा देते हैं। फल भोजन से पहले खाएं।  
'    हर दिन समय पर नाश्ता, दोपहर का भोजन व रात का खाना लें।  
'    भोजन को चबा कर खाएं। एक टुकड़े को कम से कम 15 से 20 बार चबाना चाहिए।  जल्दबाजी में भोजन करने से अपच होता है।
'    फाइबर से भरपूर आहार जैसे साबुत अनाज, सब्जियां, फलियां और फल पाचन तंत्र को स्वस्थ रखते हैं। फाइबर के कुछ बेहतरीन स्रोत गेहूं की भूसी, दलिया, पालक,  ब्रोकली जई, नट, बीज और फलियां भी हैं।
'    विटामिन सी युक्त चीजें जैसे ब्रोकली,  टमाटर, किवी, स्ट्रॉबेरी आदि खाएं। विटामिन सी हाई यूरिक एसिड को कम करने में सहायक होता है और यूरिक एसिड को पेशाब के रास्ते निकलने में भी मदद करता है।
'    कम वसा वाले दही के रूप में प्रोबायोटिक्स का चुनाव करें। इससे प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में मदद मिलती है।
'    भोजन बनाने में जैतून के तेल का इस्तेमाल करें। इसमें विटामिन ई भरपूर मात्रा में होता है और पेट के कई रोगों से छुटकारा मिलता है।
'    पानी खूब पिएं। इससे यूरिक एसिड पेशाब के रास्ते बाहर निकल जाता है। गुनगुना पानी पाचन शक्ति को मजबूत बनाता है।  
'    पेट की कई समस्याओं का कारण अधिक तनाव का होना है। तनाव को दूर करने के लिए नियमित योग और ध्यान करें।
'    धूम्रपान, अधिक कैफीनयुक्त चीजें और शराब का सेवन पाचन तंत्र के काम में बाधा उत्पन्न करते हैं। पेट में गड़बड़ी रहने लगती है। यह आदतें पेट के अल्सर और सीने में जलन रहने का मुख्य कारण हैं।

हमारे विशेषज्ञ: डॉ. हरी नारायण मेनन, आयुर्वेद विशेषज्ञ, वैदिक ग्राम, नोएडा
डॉ. नरेंद्र कुमार शर्मा, रोहताश अस्पताल, नोएडा
डॉ. अलका सक्सेना, पूर्व निदेशक, चरकपालिका अस्पताल, दिल्ली

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