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हेल्दी डाइट अच्छी नहीं अति

सेहत के लिए अच्छी समझी जाने वाली चीजों के सेवन में सावधानी बरतना जरूरी है। जरूरत से ज्यादा सेहतमंद भोजन की चाह आपके खानपान में पौष्टिक तत्वों का संतुलन बिगाड़ सकती है। रिच डाइट के नाम पर भोजन में...

हेल्दी डाइट अच्छी नहीं अति
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 02 Oct 2015 01:05 AM
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सेहत के लिए अच्छी समझी जाने वाली चीजों के सेवन में सावधानी बरतना जरूरी है। जरूरत से ज्यादा सेहतमंद भोजन की चाह आपके खानपान में पौष्टिक तत्वों का संतुलन बिगाड़ सकती है। रिच डाइट के नाम पर भोजन में फाइबर, प्रोटीन, मिनरल, विटामिन आदि तत्वों की मात्रा सीमा से अधिक बढ़ाना फायदे की जगह नुकसान पहुंचा सकता है, बता रही हैं वंदना अग्रवाल 

वकुल को फल खाने का बहुत शौक था। खासकर वह सेब और पपीता जब तब खाता रहता था। जब भी भूख लगती, रेफ्रिजरेटर से फल निकाल कर खा लेता। ज्यादा भूख लगने पर उसका सलाद बना लेता। उसका यह ख्याल था कि फल तो फाइबर और विटामिन से भरपूर होते हैं। फल से सेहत को कोई नुकसान नहीं। तभी अचानक एक दिन वह बीमार पड़ गया। पेट में भयंकर दर्द रहने लगा। उसे गैस, अपच की भी शिकायत रहने लगी। काफी इलाज हुआ। तब जाकर उसनेडॉक्टर के सुझाव पर अपना खान-पान बदला। डॉक्टर ने बताया कि एक ही तरह के खान-पान की वजह से वकुल के शरीर में कई अन्य आवश्यक तत्वों की कमी हो गई थी। 

यह सही है कि फल विटामिन और मिनरल से भरपूर होते हैं, पर एक की अधिकता शरीर में दूसरे तत्वों की कमी कर देती है। पपीता पाचन के लिए बेहतर होता  है, लेकिन इसका ज्यादा इस्तेमाल कई समस्याएं भी पैदा करता है। सेब में उच्च मात्रा में फाइबर व आयरन होता है, पर शरीर को सिर्फ फाइबर की जरूरत नहीं होती, उसे ठोस भी चाहिए। साथ ही बहुत अधिक फाइबर लेने पर टॉक्सिन के साथ-साथ शरीर के लिए उपयोगी पोषक तत्व भी बाहर निकल जाते हैं। पेट संबंधी दिक्कतें भी होती हैं।

दूसरी ओर वॉट्सएप पर आए एक मैसेज में पानी की खूबियां जानने के बाद मानसी ने खूब पानी पीना शुरू कर दिया। पर कुछ समय बाद उसने महसूस किया कि वह पहले से ज्यादा बार पेशाब जा रही है और उसे थकान भी अधिक रहने लगी है। मानसी और वकुल के उदाहरण बताते हैं कि जरूरत से ज्यादा कुछ भी खाना-पीना शरीर को नुकसान ही पहुंचाता है, फिर भले ही वह पोषक तत्व ही क्यों न हो। पोषक तत्व भी एक आदर्श मात्रा में शरीर में पहुंचने पर ही फायदेमंद रहते हैं।  

प्रोटीन
प्रोटीन मांसपेशियों के निर्माण और मरम्मत के लिए जरूरी है। बढ़ते बच्चों के लिए इसकी अधिकता बेहद जरूरी है। पर उम्र बढ़ने के साथ-साथ प्रोटीन को अधिक मात्रा में लेने से किडनी को भी अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ती है। लंबे समय तक उच्च प्रोटीन डाइट से हृदय और लिवर रोगों का खतरा बढ़ता है। कुछ खास तरह के प्रोटीन हड्डियों की सेहत पर भी असर डालते हैं। गठिया और किडनी की परेशानी से जूझ रहे लोगों को खास ध्यान रखने की जरूरत है। दालें, अंडा, दूध, सोयाबीन, मटर, चिकन, टूना, पनीर व मूंगफली प्रोटीन के अच्छे स्रोत हैं।  

क्या है सही मात्रा : प्रोटीन की मात्रा शरीर की सक्रियता व वर्क आउट पर निर्भर करती है। सामान्य तौर पर भोजन से मिलने वाली कुल कैलरी का कम से कम 10 प्रतिशत और अधिक से अधिक 30 प्रतिशत हिस्सा प्र्रोटीन से आना चाहिए। आहार विशेषज्ञ से राय लेना बेहतर रहता है।

चाय
तनाव कम करने और आलस दूर भगाने में चाय का कोई सानी नहीं, लेकिन इस पेय की लत लगने में देर नहीं लगती। इसलिए संभव है कि अगर आपको दिनभर में 2 कप चाय पीने की आदत है तो यह आदत खुद व खुद 6 कप में तब्दील हो जाए। दरअसल चाय में कैफीन होता है, जो पाचन शक्ति को कमजोर करने के साथ खीज, चिड़चिड़ेपन, अनिद्रा और मूड स्विंग के लिए जिम्मेदार होता है। सामान्य चाय के मुकाबले टीबैग वाली चाय ज्यादा नुकसान पहुंचाती है, इसलिए टीबैग वाली चाय को कुछ क्षण पानी में रखने के बाद तुरंत निकाल देना चाहिए। यदि आप मानते हैं कि ग्रीन टी तो कितनी भी पी जा सकती है तो भी ध्यान देने की जरूरत है। अधिक ग्रीन टी का सेवन शरीर में डिहाइड्रेशन कर सकता है।

क्या है सही मात्रा : दिन में 2 कप से ज्यादा चाय न पिएं। चाय के कप के साइज पर भी ध्यान दें। कप जितना बड़ा होगा, चाय उतनी ही ज्यादा पी जाएगी। इसलिए कप छोटा ही लें। ग्रीन टी भी दिनभर में चार कप से अधिक न लें। अगर आप चाय की दुकान आदि पर चाय पीते हैं तो थोड़ा और सतर्क हो जाएं, क्योंकि वहां बिकने वाली चाय के दो कप बार-बार उबलने के कारण छह कप चाय के बराबर साबित होते हैं।

विटामिन
बिना सलाह विटामिन सप्लिमेंट्स और फोर्टिफाइड फूड का सेवन करते हैं तो ध्यान दें। शरीर में अधिक विटामिन थकावट, चक्कर व आलस पैदा कर सकते हैं। जैसे अधिक विटामिन सी या जिंक, उल्टी, डायरिया और मरोड़ का कारण बन सकते हैं। सेलेनियम की अधिकता एसिडिटी और बाल गिरने का कारण बन सकती है। विटामिन डी की अधिकता से हृदय गति अनियमित होती है। लंबे समय तक विटामिन ए, डी, ई और के की अधिकता टॉक्सिन बढ़ा देती है। पर आमतौर पर उचित मात्रा में फल व सब्जियों का सेवन शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की पूर्ति कर देता है।

फाइबर
फल-सब्जियां फाइबर यानी रेशों से भरपूर होते हैं। इन्हें पर्याप्त मात्रा में खाने से कब्ज और गैस संबंधी परेशानियां कम होती हैं। कब्ज, अपच और मोटापे के शिकार लोगों को खासतौर पर फाइबर युक्त चीजें खाने की सलाह दी जाती है, लेकिन यह भी सच है कि  लंबे समय तक ऐसी अधिक चीजें खाना पेट में ऐंठन, अपच और एसिडिटी कर सकता है। डायरिया का खतरा भी बढ़ सकता है।

क्या है सही मात्रा : एक स्वस्थ व्यक्ति को हर रोज 25 से 35 ग्राम फाइबर यानी कोई भी 2 फल, दो कटोरी सब्जी और एक कटोरी सलाद खाना चाहिए। हर रोज बदल-बदल कर फल-सब्जियां खाना फायदेमंद रहता है।

पानी
बहुत अधिक पानी पीने को हाइपोनेट्रिमिया कहते हैं। जल्दी-जल्दी व एक साथ बहुत सारा पानी पीने से रक्त में अधिक सोडियम घुलने लगता है, फ्लूड रक्त से कोशिकाओं में जाने लगता है, जिससे उलझन, भ्रम, सूजन और सिरदर्द हो सकता है। बार-बार पेशाब जाना और उल्टी अधिक पानी पीने के लक्षण हैं। यह भी ध्यान रखें कि अन्य खाद्य पदार्थ भी पानी की पूर्ति करते हैं।

क्या है सही मात्रा : दिनभर में 8 से 10 गिलास पानी की जरूरत होती है। मौसम भी पानी पीने की क्षमता पर असर डालता है। इतना पानी अवश्य पिएं कि पेशाब का रंग पीला न हो पाए।

इन बातों का रखें ध्यान
-सोया में प्रोटीन अधिक होता है, जबकि कोलेस्ट्रॉल बिल्कुल भी नहीं होता। बावजूद इसके ज्यादा सोया खाने से सेहत को नुकसान पहुंच सकता है। विभिन्न शोधों के मुताबिक इसे ज्यादा खाने से महिलाओं के शरीर में एस्ट्रजन का स्तर प्रभावित हो सकता है, पुरुषों में भी इन्फर्टिलिटी का खतरा बढ़ सकता है। थाइरॉएड वालों को भी सोयाबीन की मात्रा का ध्यान रखना चाहिए।
-किसी भी एक फल या सब्जी को हर रोज ज्यादा मात्रा में खाना कई तरह की परेशानियां लाता है। जैसे जरूरी नहीं कि विटामिन ए के बेहतरीन स्रोत माने जाने वाले पपीते या गाजर का ज्यादा सेवन शरीर को फायदा ही पहुंचाए। दरअसल ये फल बीटा कैरोटीन से भरपूर होते हैं। शरीर का पाचनतंत्र इनमें मौजूद बीटा-कैरोटीन को विटामिन ए में तब्दील कर देता है, लेकिन शरीर अपनी जरूरत के मुताबिक ही विटामिन ए लेता है। बाकी बचा अतिरिक्त विटामिन ए सिस्टम में ही रह जाता है, जिसकी वजह से धीरे-धीरे हथेलियां और तलुए पीले पड़ने लगते हैं। इसे कैरोटेनेमिया कहते हैं। बीटा-कैरोटीन से भरपूर अन्य चीजें आलू, कुम्हड़ा, पालक और ब्रोकली अधिक खाने से भी कैरोटेनेमिया हो सकता है।
-ऑलिव ऑयल दिल की बीमारी के खतरे को कम करता है, पर इसे  जरूरत से ज्यादा हाइप देना सही नहीं। सभी तरह के तेलों का संतुलन जरूरी है। सरसों, सूरजमुखी, मूंगफली भी इस्तेमाल करते रहें। एक दिन में दो से तीन चम्मच जैतून का तेल काफी है। 
-विभिन्न शोधों के मुताबिक सूखे मेवों का जरूरत से ज्यादा सेवन पाचन क्रिया बिगाड़ सकता है। इससे एलर्जी भी हो सकती है, इसलिए सूखे मेवे खाते समय मात्रा पर ध्यान दें। एक स्वस्थ व्यक्ति के खानपान में सूखे मेवों की आदर्श मात्रा उसकी दिनचर्या पर निर्भर करती है। अधिक शारीरिक श्रम न करने वालों के लिए नियमित 10-12 दानों का सेवन पर्याप्त है। बादाम व किशमिश रात में भिगो कर सुबह खाना अच्छा रहता है। मेवे तल कर नमक लगा कर नहीं खाने चाहिए।
डाइटीशियन नेहा यादव और निधि पांडेय से बातचीत पर आधारित

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