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अच्छी नहीं हरदम खाने की लत

यदि आप बहुतायत में पौष्टिक चीजें खाते रहते हैं या फिर मिठाई, चटपटे स्नैक्स और फास्ट फूड को देख कर खुद पर काबू नहीं रख पाते तो दोनों ही स्थितियों में आप फूड एडिक्शन की ओर कदम बढ़ा रहे हैं, बता रही हैं...

अच्छी नहीं हरदम खाने की लत
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 12 Feb 2015 10:12 PM
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यदि आप बहुतायत में पौष्टिक चीजें खाते रहते हैं या फिर मिठाई, चटपटे स्नैक्स और फास्ट फूड को देख कर खुद पर काबू नहीं रख पाते तो दोनों ही स्थितियों में आप फूड एडिक्शन की ओर कदम बढ़ा रहे हैं, बता रही हैं सौदामिनी पांडेय

उच्च कैलरी व तेल-मसाले वाले व्यंजन निश्चित रूप से खाने में जायकेदार लगते हैं, लेकिन हर समय इन्हें खाते हुए सेहत के प्रति लापरवाही बरतना ठीक नहीं है। क्या खाने लायक कुछ भी सामने आ जाने पर आप उसे खाए बिना नहीं रह पाते? क्या पेट भरा होने के बाद भी कुछ न कुछ खाते रहते हैं? इस आदत पर किसी और से बात करते हुए संकोच महसूस करते हैं? यदि हां तो सतर्क हो जाएं, यह लक्षण फूड एडिक्शन यानी खाने की लत की ओर इशारा कर रहे हैं।

क्या है फूड एडिक्शन?
ड्रग्स या अल्कोहल की लत की तरह ही खाने की लत भी एक बायोकेमिकल स्थिति है, जिसमें कुछ खास तरह की खाने की चीजें मसलन मीठा या उच्च कैलरी वाली चीजों को खाने की इच्छा बार-बार होती है। खाने के दौरान व्यक्ति को अच्छा महसूस होता है, इसलिए पेट भरने या भूख से ज्यादा खाना खा लेने का एहसास नहीं होता। दरअसल खाने की ये चीजें शराब और ड्रग्स की तरह मस्तिष्क में डोपामाइन हार्मोन रिलीज करती हैं, जिससे व्यक्ति का मूड अच्छा हो जाता है। यही वजह है कि कई बार लोग केवल मूड अच्छा करने के लिए इन चीजों को बार-बार खाने लगते हैं।

कारण को जानें
खाने की लत मुख्य रूप से दो वजहों से होती है। पहली वजह है जीवनशैली। भारतीय जीवनशैली में मीठे का अधिक इस्तेमाल लोगों को मीठे का एडिक्ट बना देता है। यही बात नमकीन और मिर्च-मसालेदार खाने की चीजों पर भी लागू होती है। लोग इनका जितना अधिक सेवन करते हैं, उन्हें खाने की इच्छा उतनी ही प्रबल होती जाती है। दूसरी वजह भावनात्मक है। अक्सर अकेला और असुरक्षित महसूस करने या किसी भावनात्मक परेशानी से जूझने के दौरान लोग अच्छा महसूस करने के लिए खाने का सहारा लेते हैं। बच्चे भी असुरक्षा की भावना या परीक्षा की चिंता दूर करने के लिए फास्ट फूड आदि का सहारा लेते हैं।

प्रबल इच्छा कहीं कमी तो नहीं?
कई बार शरीर में कुछ तत्वों की कमी होने की वजह से कुछ खास चीजों को खाने की प्रबल इच्छा होती है। जैसे यदि शरीर को डेयरी प्रॉडक्ट्स की जरूरत महसूस हो रही है तो नमकीन खाने की इच्छा अधिक होगी। इसी तरह बी कॉम्प्लेक्स की कमी होने पर मीठा खाने का अधिक मन करता है। मिनरल और कैल्शियम की कमी होने पर शरीर में कै्रंप पड़ जाते हैं। ऐसी स्थिति में न्यूट्रिशनिस्ट की सलाह से डाइट में बदलाव करना जरूरी होता है।  

पोषक चीजों का एडिक्शन
फूड एडिक्शन अच्छा और बुरा दोनों तरह का हो सकता है, पर दोनों ही स्थितियों में नतीजा बुरा ही होता है। खान-पान संबंधी जागरुकता का नतीजा है कि लोग सेहतमंद खान-पान पर जरूरत से ज्यादा ध्यान देने लगे हैं। ऐसे में कुछ खास चीजों का सेवन अधिक करने के कारण कई बार शरीर के लिए जरूरी अन्य पोषक तत्वों की कमी हो जाती है, जो परेशानी का कारण बन जाता है।

विशेषज्ञ की राय
दिल्ली के गोल्ड जिम से जुड़ी वेलनेस एक्सपर्ट और न्यूट्रिशनिस्ट तपस्या मूंदड़ा बताती हैं कि फूड एडिक्शन के लक्षण नजर आने पर सबसे पहले व्यक्ति की काउंसलिंग की जाती है। जब तक पीड़ित व्यक्ति सहज होकर अपनी परेशानी के बारे में नहीं बताता, तब तक उसका लत से बाहर आना मुश्किल होता है। आमतौर पर इसे ठीक होने में एक से तीन महीने तक का समय लग सकता है। यदि आप भी कुछ ऐसा महसूस कर रहे हैं तो इन तरीकों को अपनाएं..

’ फूड एडिक्शन के लिए मन पर काबू पाना जरूरी है। नियमित व्यायाम, योग क्रियाएं व प्राणायाम इसमें कारगर उपाय हैं। 
’ नींद अवश्य पूरी करें। ‘वाई एम आई सो एग्जॉस्टेड’ के लेखक मार्टिन बड का कहना है कि नींद पूरी न होने पर हम थके होते हैं, जिससे मीठा खाने की इच्छा बढ़ती है। पर्याप्त नींद लेना मीठा खाने की ललक को कम करता है।
’ भोजन में हरी सब्जियां, मूली, गाजर, खीरा आदि सलाद के रूप में लें। इनसे रक्त शर्करा नियंत्रित रहती है। हरी सब्जियों में भरपूर मैग्नीशियम होता है, जो तनाव को कम करता है। ज्यादातर के शरीर में इस तत्व की कमी पाई जाती है।
’ बार-बार खाने की ललक होना यह भी दर्शाता है कि शरीर में पोषक तत्वों की कमी है। संतुलित भोजन करें, बार-बार खाने की ललक खुद कम हो जाएगी। 
’ जरूरत महसूस होने पर काउंसलर, न्यूट्रिशनिस्ट और परिवार के सदस्यों की मदद लेने में संकोच न करें।

पूरी तरह मन न मसोसें
’ गोलगप्पे, चाट, छोले-भटूरे, ब्राउनीज आदि देखते ही मुंह में पानी आ जाता है। इन्हें देख खाने का मन करे तो पूरी तरह खुद को रोके नहीं। स्मार्ट तरीका अपनाएं। यदि वजन कम करना है तो पंद्रह दिन में एक बार इनमें से जो खाने का मन हो या पिज्जा, पास्ता, चिकन रोल, बर्गर, कटलेट आदि जो पसंद है, वे खाएं।
’ दस दिन में एक बार आइसक्रीम या मिठाई खाने में कोई हर्ज नहीं, पर मात्रा कम रखें।
’ तेज कदमों से चलें या दिन में दो बार आधे घंटे के लिए जॉगिंग करें। नियमित व्यायाम करते हैं तो कभी-कभार पार्टी आदि में खाने से नुकसान नहीं होगा।
’  मेवों से बने लड्डृ में कैलरी अधिक होती है, पर यह सेहत के लिए भी फायदेमंद है। 14 दिन में एक बार नाश्ते के साथ लड्डू खाएं। बार-बार न खाएं। भोजन से अलग बीच में खाने पर मीठे से मिलने वाली कैलरी वसा के रूप में जमा हो जाती है और पोषक तत्वों का शरीर को पूरा लाभ नहीं मिल पाता।
’ पनीर, मूंगफली, केला, चावल और आलू का सेवन मोटा नहीं करता, पर इनमें कैलरी ज्यादा होती है। डाइट में प्रोटीन, काबरेहाइड्रेट और फैट संतुलित मात्रा में रखें।
’ यदि आप हर रोज कोई एक चीज खाते हैं तो धीरे-धीरे अपनी डाइट से उसकी मात्रा कम करते जाएं।
’ खुद को दूसरे कामों में व्यस्त रखें।
’ यदि लगता है कि व्यक्ति अकेलेपन, बोरियत या अवसाद के कारण अनियंत्रित भोजन कर रहा है तो उसके आसपास के लोग उसे सहयोग दें। उसके साथ समय बिताएं। कहीं घूमने जाएं। पहेली सुलझाना, किताब पढ़ना, संगीत सुनना भी अच्छे विकल्प हैं।

क्या आप में हैं ये लक्षण?
’  हर पहर में ज्यादा भोजन करना।
’ भूख न लगने पर भी कुछ न कुछ खाते रहना।
’ खाने से जुड़ी गतिविधियों में समय बिताना, मसलन घर पर फास्टफूड तैयार करना या हर समय खाने की चीजों को खरीदने की इच्छा होना।
’ खाना उपलब्ध न होने पर ड्रग एडिक्ट्स की तरह व्यवहार करना। अवसाद का शिकार होने पर अनियंत्रित तरीके से खाना। देर रात में उठ कर भी खाने लगना।

कई रोगों का खतरा 
मोटापा:  खाने के लती भोजन की मात्रा पर नियंत्रण नहीं रख पाते और अधिक भोजन कर लेते हैं, जिससे मोटापे की आशंका बढ़ जाती है।
जीवनशैली में गड़बड़ी: प्रोसेस्ड और फास्ट फूड का अधिक सेवन जीवनशैली की गड़बड़ी से जुड़ा है। इनमें नमक, चीनी और वसा अधिक होती है, जिससे मधुमेह, हाइपरटेंशन और हृदय रोगों की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे लोगों का सामाजिक दायरा भी कम होता जाता है।

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