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कार्यस्थल पर विभिन्न संस्कृतियों से आए लोगों के कार्य का संचालन करते हुए आप खुद को कितना सामान्य महसूस करते हैं, इस बारे में कुछ प्रश्न आप खुद से पूछ सकते हैं। यदि आप इन प्रश्नों में से अधिकांश पर...

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लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 28 Oct 2014 09:38 PM
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कार्यस्थल पर विभिन्न संस्कृतियों से आए लोगों के कार्य का संचालन करते हुए आप खुद को कितना सामान्य महसूस करते हैं, इस बारे में कुछ प्रश्न आप खुद से पूछ सकते हैं। यदि आप इन प्रश्नों में से अधिकांश पर खरे उतरते हैं तो समझ लीजिए कि कार्यस्थल विविधता को बनाए रखने में आप सफल हैं।

- क्या अपने अनुमानों पर अमल करने से पूर्व आप उन पर गौर से सोचते हैं?
- आपके अनुसार किसी काम को सही तरीके से करने का एक ही रास्ता हो सकता है या कई? क्या यह विचार आप अपने स्टाफ तक पहुंचाते हैं?
- क्या अपने स्टाफ सदस्यों के साथ आपके संबंध सौहार्दपूर्ण हैं? क्या आप जानते हैं कि वह किस बात से प्रेरित होते हैं, उनके लक्ष्य क्या हैं और वह क्या चाहते हैं?
- क्या सांस्कृतिक तौर पर सुदूर क्षेत्र से आए किसी सदस्य को आप सामान्य रूप में नकारात्मक फीडबैक दे पाते हैं?
- नए सदस्य को काम पर रखते समय क्या आप उसे उसकी जिम्मेदारियों और अपेक्षाओं को स्पष्ट तौर पर बताने के साथ-साथ उसे विभाग के अलिखित नियमों से भी अवगत कराते हैं?
- क्या विभिन्न कार्य समूहों के बीच आप नीतियों, अभ्यास और कार्यविधियों की समीक्षा करते हैं? यदि वह कमजोर पड़ती हैं तो क्या उनमें परिवर्तन लाते हैं?
- क्या आप कार्य की गुणवत्ता में सुधार के लिए अपने स्टाफ की सलाह सुन कर उस पर अमल करते हैं?
- क्या किसी के द्वारा अप्रिय व्यवहार करने पर आप उसके खिलाफ तुरंत कार्रवाई
करते हैं?
- क्या लक्ष्य प्राप्ति के लिए आप सबके ऊपर एक समान भरोसा करते हैं?
- क्या कार्यस्थलों पर जाति, वर्ण, संप्रदाय और लिंग विभेद जैसी समस्याओं के बारे में आपको समुचित जानकारी है?
- क्या आप यह ध्यान रखते हैं कि सबको तरक्की करने के एक समान अवसर प्राप्त हों?

कंपनियों की जरूरत
विभिन्न संस्कृतियों से आने वाले व्यक्तियों को एक साथ रख कर काम लेने वाली कंपनियां उनकी उत्पादक क्षमता में बढ़ोतरी करने के लिए उन्हें सांस्कृतिक तौर पर संवेदनशील बनने के लिए प्रशिक्षण भी दे सकती हैं। किसी एक देश या संस्कृति को मद्देनजर रखते हुए, उसके सांस्कृतिक संदर्भों की जानकारी कर्मचारियों को उपलब्ध कराई जा सकती है। उन्हें यह बताया जा सकता है कि उस देश या संस्कृति से संबद्ध लोगों के साथ किन तरीकों से व्यापार किया जा सकता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने की इच्छा रखने वाली कंपनियों के लिए कल्चरल अवेयरनेस ट्रेनिंग का गहरा असर पड़ता है।

आदर-सत्कार के तरीके
अधिकांश लोग उस पुराने आदर्श नियम में यकीन रखते हैं: दूसरों के साथ वैसा ही बर्ताव करो, जैसा कि वे आपके साथ करते हैं। परंतु जब इस मुहावरे को हम आज के माहौल में आजमाते हुए देखते हैं तो एक प्रश्न स्वत: ही उठ खड़ा होता है : क्या हरेक व्यक्ति की आदर-सत्कार की परिभाषा एक ही होती है? क्या प्रात: गुड मॉर्निंग कहना, किसी को काम करते समय डिस्टर्ब ना करना या बात करते समय दूसरों की आंखों में देखना ही कुशल व्यवहार के नियम होते हैं?

दरअसल, यह प्रत्येक व्यक्ति पर निर्भर करता है। आदर-सत्कार से जुड़े हमारे मूल्य बेशक एक से होते हैं, परंतु इनका प्रदर्शन वैयक्तिक या सामूहिक तौर पर विभिन्न संस्कृतियों में बदल जाता है। तो हम यह कैसे जानें कि किसी व्यक्ति या समूह की जरूरत क्या है? इसके लिए पुराने सुनहरे नियम के स्थान पर रजत नियम का इस्तेमाल किया जा सकता है यानी दूसरों के साथ वैसा व्यवहार करो, जैसा कि वे चाहते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो ‘हमारा मार्ग ही श्रेष्ठ मार्ग है’ के स्थान पर ‘विभिन्न मार्गों को अपनाना ही श्रेष्ठ’ आज के कार्य माहौल में उचित रहेगा।

 

 

 

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