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मत सोचो, भगवान कहां है

कहीं पहुंचने की यात्रा उसी स्थान से शुरू होती है, जहां आप अभी खड़े हैं। उस स्थान से नहीं, जहां आप कभी गए नहीं या जो सिर्फ आपकी कल्पना में है। और आप कहां खड़े हैं, यह जानने के लिए आपको अपनी आंतरिक...

मत सोचो, भगवान कहां है
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 23 Feb 2015 09:40 PM
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कहीं पहुंचने की यात्रा उसी स्थान से शुरू होती है, जहां आप अभी खड़े हैं। उस स्थान से नहीं, जहां आप कभी गए नहीं या जो सिर्फ आपकी कल्पना में है। और आप कहां खड़े हैं, यह जानने के लिए आपको अपनी आंतरिक प्रवृत्ति से जुड़ना होगा। तभी आपके अंदर दिव्यता जगेगी।

अगर आपके अंदर विकास करने की गहरी लालसा है, अगर वह आपका लक्ष्य है तो सबसे पहले आपको साफ-साफ पता होना चाहिए कि आपके अनुभव में क्या है और क्या नहीं। जो आपके अनुभव में है, उसे आप जानते हैं। जो आपके अनुभव में नहीं है, आपको यह कहने की जरूरत नहीं कि उसका अस्तित्व नहीं है। बस इतना कहिए, ‘मैं नहीं जानता’। तभी आपका विकास होगा। जिसे आप नहीं जानते, और आप उसमें विश्वास करने लगे, तब आप सोचने लगेंगे कि आप सब कुछ जानते हैं।

आप ईश्वर को जानते हैं, आप जानते हैं कि वह कहां रहता है? आप उसका नाम जानते हैं, आप जानते हैं कि उसकी पत्नी कौन है? आप जानते हैं कि उसके बच्चे कितने हैं, आप उसका जन्मदिन जानते हैं, आप जानते हैं कि वह अपने जन्मदिन पर कौन सी मिठाई पसंद करता है? आप सब कुछ जानते हैं। आप स्वर्ग का पता भी जानते हैं, लेकिन आपको इसका कोई बोध नहीं है कि इस क्षण आपके भीतर क्या हो रहा है। दरअसल, यही सारी समस्या है।

देखिए, अगर आप मुझ पर विश्वास करते हैं तो आप खुद को बेवकूफ बना रहे हैं। बिना जाने आप केवल जानने का बहाना करेंगे। अगर आप मुझ पर अविश्वास करते हैं तो आप जानने की उस संभावना को नष्ट कर देंगे, जो आपके अनुभव में नहीं है।

अगर कोई ईश्वर के बारे में बात करता है तो वह बस बात ही रहेगी। या तो आप उसे मानेंगे या नहीं मानेंगे। दुनिया में कुछ लोग हैं, जो ईश्वर में विश्वास करते हैं और कुछ विश्वास नहीं करते। कुछ लोग हैं, जो स्वर्ग और नर्क में विश्वास करते हैं और कुछ विश्वास नहीं करते। ये लोग अलग-अलग नावों में नहीं हैं; ये लोग एक ही नाव में हैं। ये सभी उस बारे में बहस किए जा रहे हैं, जिसे वे बुनियादी तौर पर नहीं जानते। कहीं न कहीं उन्होंने यह गुण खो दिया है कि वे पूरी ईमानदारी से स्वीकार कर पाएं- ‘मैं नहीं जानता।’ अगर आप यह स्वीकार नहीं कर पाते तो आपने अपने जीवन में जानने की सभी संभावनाओं को नष्ट कर दिया है।
आजकल सभी लोग विश्वास करने वाले हो गए हैं। हालांकि आप ईश्वर में इतना विश्वास करते हैं, फिर भी आपका जीवन पूरा क्यों नहीं हो पाया? आपके अपने घर में एक या दो नहीं, कम से कम एक दर्जन भगवान होंगे। घर में एक दर्जन भगवान और मन में डर! क्या यह आपके लिए कोई मतलब रखता है? ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि आपका कोई जीवंत अनुभव नहीं है। यह केवल एक विश्वास है। चूंकि हमेशा से ऐसा कहा गया, इसलिए आपने विश्वास कर लिया। विश्वास करने से आपको सांत्वना मिलती है, लेकिन यह आपको किसी भी तरह से मुक्त नहीं कर पाया है और न ही किसी भी तरह से आपको मुक्त करेगा।
 
मैं आपसे यह सब इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि मैं ऐसी किसी भी चीज के बारे में बात नहीं करना चाहता, जो आपके अनुभव में नहीं है। मैं नहीं चाहता कि आप मुझ पर विश्वास करें और यह भी नहीं चाहता कि आप मुझ पर अविश्वास करें। अगर आप अपने जीवन में कहीं जाना चाहते हैं तो आपको अपनी यात्रा वहां से शुरू करनी होगी, जहां आप अभी हैं। इसलिए आपको सबसे पहले इस बात का एहसास करना होगा कि ‘मैं अभी कहां हूं?’ इसके बाद आपको यह देखना होगा कि ‘अगला कौन-सा संभावित कदम मैं उठा  सकता हूं?’

इस बारे में मत सोचिए कि ‘भगवान कहां है? क्या भगवान है या नहीं?’ इस तरह के विचार आपको केवल कल्पना की उड़ान में ले जाएंगे। इस कल्पना ने दुनिया को मुक्त नहीं किया। हमारे पास हर जगह भगवान ही भगवान हैं। मुझे पता नहीं कि भारत में कितने करोड़ भगवान हैं, लेकिन फिर भी लोग कितनी दयनीय हालत में रह रहे हैं। ये सभी भगवान किसी तरह से आपका उद्धार करने में सक्षम नहीं हैं।

यह बात भगवान की नहीं है। यह बस आपकी अपनी बेवकूफी है। मैं चाहता हूं कि आप इसे समझें, आपकी चाह कभी भी ईश्वर के लिए नहीं हुई। आपकी सारी इच्छाएं बस आराम के लिए, पैसे के लिए, ताकत के लिए, सुख के लिए हैं और आप सोचते हैं कि ईश्वर इन सभी चीजों को हासिल करने का जरिया है, वह आपकी सहायता करेगा। ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि आप अपनी आंतरिक प्रकृति से नहीं जुड़े हैं।

यह काम नहीं करेगा। ऐसा इसलिए है, क्योंकि आप आंतरिक अनुभव में जीने की बजाय विश्वास करने वाली एक व्यवस्था में जी रहे हैं और यह खतरनाक हो सकता है। मैं आपको ऐसा बना सकता हूं कि आप किसी भी चीज में विश्वास करने लगेंगे। जिस दिन से आप पैदा हुए, अगर उस दिन से मैं आपसे कहता रहूं कि मेरी यह       छोटी उंगली ईश्वर है तो जब भी मैं अपनी छोटी उंगली आपको दिखाऊंगा, आपके अंदर दिव्य-भावनाएं जाग जाएंगी।

 

 

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