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जरूरी हैं सीमाएं

मेगन डी. केमिया, लेखिका करियर व क्रिएटिव स्ट्रेटेजिस्ट हैं। प्रोफेशनल जीवन को आध्यात्मिक नियमों से जोड़कर पेश करना उनका प्रिय विषय है। सीमाएं! क्या होती हैं सीमाएं? यह एक ऐसा सवाल है, जो अकसर मुझसे...

जरूरी हैं सीमाएं
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 22 Mar 2015 07:56 PM
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मेगन डी. केमिया, लेखिका करियर व क्रिएटिव स्ट्रेटेजिस्ट हैं। प्रोफेशनल जीवन को आध्यात्मिक नियमों से जोड़कर पेश करना उनका प्रिय विषय है।
सीमाएं! क्या होती हैं सीमाएं? यह एक ऐसा सवाल है, जो अकसर मुझसे पूछा जाता है। यह कोई हैरान कर देने वाला सवाल नहीं है। या क्या वाकई ऐसा है? अपने काम, दोस्तों, व्यायाम, पढ़ाई, बच्चों (अगर बच्चे नहीं हैं तो एक ऐसा ब्वॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड हो सकती है, जो किसी बड़े बच्चे की तरह हो), परिवार, घर, कार, शॉपिंग और शरीर की सामान्य देखभाल जैसी चीजों के बीच किसके पास समय है कि वह सीमाओं का निर्धारण कर सके, उनका पालन कर सके।

यह सिर्फ एक मुद्दा है। हमें समय निकालने की जरूरत है। वैसे भी सही स्थान पर प्रभावी सीमाएं हमारे लिए समय पैदा करती हैं, हमारी ऊर्जा व क्षमता के प्रबंधन में इजाफा करती हैं। हमें शांति के साथ सफलता के मार्ग की ओर अग्रसर करती हैं, न कि अस्त-व्यस्तता की स्थिति पैदा करती हैं। मुझे लगता है कि ये सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से हैं, जिन्हें हम स्वयं के लिए कर सकते हैं, ताकि हम स्वस्थ, संतुलित और सफल बन सकें। अगर हम अपनी सीमाओं के प्रबंधन में अच्छे नहीं हैं तो इन सब चीजों को हासिल कर पाना बहुत कठिन है।

हकीकत यह है कि अपनी सीमाओं को जानना, स्वयं को सम्मान देने की प्रक्रिया का अहम हिस्सा है। यह आपको इस बात का सामथ्र्य देता है कि आप दूसरों को यह बता पाएं कि क्या आपके लिए ठीक है और क्या नहीं। उदाहरण के लिए निजी रिश्तों की बात करें तो हमारी सीमाएं यह स्पष्ट करेंगी कि रिश्ते में हमारी जरूरतें क्या हैं और कौन-सी बातें स्वीकार्य या अस्वीकार्य हैं। और खुद के संदर्भ में बात करें तो यह बहुत अहम है, ताकि हमारे काम, सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन में मानदंड हों, जिससे हम अपने करियर, परिवार और स्वास्थ्य व सुख का प्रबंधन कर सकें। जब आप अपनी सीमाओं को तय नहीं करते और उनका सम्मान नहीं करते, तब अनिवार्य रूप से यह जता रहे होते हैं कि दूसरे लोगों की जरूरतें आपकी जरूरतों से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं।

आपको पता है कि ‘नहीं’ कहना चाहिए और आप फिर भी ‘हां’ कहते रहते हैं। और आप जितना ज्यादा ऐसा करेंगे, सीमाएं उतनी ही हाथ से छूटती जाएंगी। आपकी जरूरतें उतनी ही प्रभावित होंगी। कई बार यह अपरिहार्य हो जाता है, जब आपको ‘नहीं’ की जगह ‘हां’ कहना पड़ता है, पर बार-बार ऐसा होने से समस्याएं बढ़ने लगती हैं। हम इस बात को लेकर अनिश्चित हो सकते हैं कि सीमाएं कैसी होती हैं। इस बात पर चिंतित हो सकते हैं कि लोग उन्हें स्वीकार नहीं करेंगे या उसे अमल में कैसे ला पाएंगे। फिर सवाल यह उठता है कि आप कितनी शिद्दत से ये चाहते हैं कि आप क्या करना चाहते हैं। हमारे मन में बचपन से ही यह बात बिठा दी जाती है कि लोगों को खुश रखना चाहिए। इसलिए दिमाग को ‘मैं पहले’ की ओर मोड़ना मुश्किल साबित होने लगता है। लेकिन इसे किया जा सकता है।

अपनी सीमाओं को जानना
सबसे पहले यह समझें कि आपकी सीमाएं कैसी होनी चाहिए। यह आपकी जरूरतों के बारे में हैं, सबको खुश रखने से नहीं। आपका जीवन कैसे ज्यादा प्रभावी होगा, यह उस बारे में है। उन क्षेत्रों की पहचान करें, जहां खुद को नियंत्रित करने की जरूरतहै।

अपनी सीमाओं को निर्धारित करना
सीमाओं की पहचान करने के बाद उन्हें प्रभावशाली तरीके से उन प्रमुख लोगों को बताना महत्वपूर्ण है, जो इनसे प्रभावित हो सकते हैं। जैसे, अगर सप्ताह में दो बार शाम के चार बजे ऑफिस से निकलने का फैसला किया है, पर इसे बॉस को नहीं बताया तो मुश्किल हो सकती है।

अपनी सीमाओं का सही प्रबंधन
सीमाओं को लागू कर पाना एक बिल्कुल ही अलग कहानी है। और इसके बारे में प्रमाणित सत्य यही है कि केवल आप ही वह शख्स हैं, जो इनका प्रबंधन कर सकते हैं। समय-समय पर आपकी सीमाएं आपके हाथ से थोड़ी-बहुत छूट सकती हैं। इसमें कोई बुराई नहीं है, लेकिन बार-बार ऐसा होने से ये बेमायने हो जाएंगी। सीमाओं को नियंत्रण में रखना जरूरी है। और आप ही वह शख्स हैं, जो यह कर सकते हैं।

याद रखें तीन बातें

-  अपनी पेशेवर व निजी जिंदगी पर नजर डालें। समझें कि कहां सीमाओं की जरूरत है। आप नहीं समझ पा रहे कि शुरुआत कहां से करनी है तो उन परिस्थितियों के बारे में सोचें,  जहां आपको लगता है कि आपको समझौता करना पड़ा, चिढ़ व क्रोध महसूस हुआ या खुद को असहज पाया हो। यह इस बात का अच्छा संकेत है कि वहां आपकी सीमाओं का उल्लंघन हुआ होगा।
- एक बार क्षेत्रों की पहचान हो जाने के बाद अपनी सीमाओं का निर्धारण करें। आसपास के लोगों को यह स्पष्ट कर दें कि आप क्या करेंगे और क्या नहीं। 

- अब सीमाओं पर अमल लाने की चुनौती है। यह जरूरी है, अगर आप ऐसे व्यक्ति बनना चाहते हैं, जिसका सम्मान दूसरे व आप खुद भी करें।
स्रोत:  www.megandallacamina.com

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