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आगे बढ़ने वालों के 7 उसूल

जरा खुद से पूछें कि क्या आप दूसरों को सपने देखने के लिए प्रेरित करते हैं? उनमें नया सीखने की रुचि पैदा कर पाते हैं? या फिर जीवन में आगे बढ़ने के लिए कुछ बड़ा करने की ललक पैदा करने की क्षमता है आपमें?...

आगे बढ़ने वालों के 7 उसूल
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 21 Dec 2014 10:18 PM
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जरा खुद से पूछें कि क्या आप दूसरों को सपने देखने के लिए प्रेरित करते हैं? उनमें नया सीखने की रुचि पैदा कर पाते हैं? या फिर जीवन में आगे बढ़ने के लिए कुछ बड़ा करने की ललक पैदा करने की क्षमता है आपमें? खुद को जानना चाहते हैं तो इन प्रश्नों को जरूर पूछें, क्योंकि लीडरशिप कोई पद या शीर्षक नहीं है, यह जीने का तरीका है।

अंतिम पलों में पहुंच चुके 2014 के हरेक पल को जांचते हुए मैं अपने भीतर आगे के लिए ऊर्जा एकत्रित करने का प्रयास कर रहा हूं। इन पलों में यह सोचना जरूरी होता है कि मुझे और मेरी टीम को आगे बढ़ने के लिए ऐसा क्या करना चाहिए, जिसकी आहटें दूर तक सुनाई दें। दुनिया में अगर कई लोग अपनी नेतृत्व क्षमता के लिए जाने जाते हैं, तो कई अन्य नितांत अनजाने स्थानों पर अचानक अपनी जोरदार मौजूदगी दर्ज कराते हैं। तभी हमें आज की दुनिया में भी अपने-अपने क्षेत्र के दिग्गज भरे पड़े दिखते हैं। लिहाजा, कुछ इसी लीक पर सोचते हुए मुझे बेहतरीन नेतृत्व क्षमता वाले लीडर्स के सात उसूल याद आए। जानें उनके बारे में...

मुख्य कामों पर फोकस
हममें से अधिकतर ने अपने जीवन को कई सारी जटिलताओं में  कैद कर लिया है। इस कारण हम सादगी में छिपी महानता को देख नहीं पाते।  किसी भी एक उस चीज को चुनें, जिसमें आप सर्वश्रेष्ठ हैं। उसके बाद अन्य सभी चीजों को मना कर दें। याद रखें, पिकासो ने कभी पियानो का अभ्यास नहीं किया और न बैकहम ने बही-खातों की पढ़ाई की।
सच कहता हूं, अगले 90 दिनों के लिए अपने ऊपर से तमाम कामों का बोझ उतार दें। केवल उस प्रोजेक्ट या कार्य पर फोकस करें, जो आपके जीवन में बड़ा बदलाव ला सकते हैं। ऐसा ही निजी जिंदगी में भी करें। आसान बनें। जरूरी बातों पर फोकस करें। 

काम को शिल्प की तरह देखें
अधिकतर व्यवसायी और वरिष्ठ अधिकारी औसत ढंग से कार्य कर रहे होते हैं। आप उनके ऑफिस  में जाएं तो जगह बिखरी पड़ी मिलेगी, लोग उदास और निराश दिखेंगे, खान-पान की सुविधाएं मध्यम दर्जे की होंगी और ऐसी ही अनेक बातें। शायद ही कोई हैरत करने वाली बात नजर आए। इनोवेशंस के नाम पर दिवाला निकालने वाली योजनाएं जरूर होंगी। दूसरी और कुछ कंपनियां ऐसी हैं, जो जीतने के लक्ष्य से नहीं, हारने से बचने के लिए खेल रही हैं।
क्या दोनों ही मामलों में संभावनाएं नहीं हैं? ऐसे ही बिंदुओं में महान लीडर्स अपने लिए अवसर तलाश लेते हैं। दूसरे क्या करते हैं, यह जानने से अधिक उस बात पर फोकस करें, जो आप करते हैं दूसरे नहीं। खुद को उस क्षेत्र में दक्ष बनाएं।  अपने काम को नौकरी की तरह नहीं, शिल्प की तरह देखें।

समय को संजोना
अब तक मैंने जिन सेलेब्रिटी व सीईओ के निजी सलाहकार के तौर पर काम किया है, उनमें से आज वे लोग याद आ रहे हैं, जो बेवजह की गॉसिपिंग में समय खराब नहीं करते। किसी रेस्तरां में खाने के लिए घंटों लाइन में खड़ा होना पसंद नहीं करते। जो हर बीत रहे पल का मूल्य समझते हैं। ये वे लोग हैं, जो शीघ्र निर्णय लेते हैं, कामों को दूसरों को सौंपते हैं। पर जो भी खुद करते हैं, वह सर्वश्रेष्ठ और पूरी दूरदर्शिता से करते हैं। याद रखें, समय अमूल्य धन है, इसे अपने सपनों को पूरा करने में लगाएं। 

संबंधों में यकीन
जितना बड़ा सपना होगा, टीम का महत्व उतना ही बढ़ जाएगा। महान लीडर्स यह बात बखूबी जानते हैं। आप भी अपनी टीम या आसपास के लोगों को विकसित करने के लिए समय निकालें। अच्छी टीम में निवेश करें। ऐसी संस्कृति बनाएं, जहां लोग हर सुबह अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए प्रेरित रहें।

निरंतर सुधार
माइक्रोसॉफ्ट ने जब पहला एम-डॉस वर्जन पेश किया तो उसमें 300 बग्स थे। वे उसमें तब तक सुधार करते रहे, जब तक वह प्रोडक्ट बेहरतीन नहीं बना। यही कहना चाहता हूं कि महानता तब आती है जब हम हर दिन छोटी-छोटी जीत पर फोकस करते हुए बढ़ते हैं। अपने जुनून को सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करते हैं। और एक  दिन आता है जब हम अपने क्षेत्र के बादशाह बन जाते हैं।

हार न मानें
बौद्धिकता या रचनात्मकता ही सफलता के लिए जरूरी नहीं है। सफलता इसमें है कि आप कितनी देर तक अपने लक्ष्यों को पूरा करने में टिके रहते हैं। यह हैरत व दुख की बात है कि कितनी आसानी से लोग एक हार का सामना करने पर उद्देश्यों से पीछे हट जाते हैं। लेकिन महान लोग दुखी होते हैं, पर उस खेल में बने रहते हैं। लक्ष्य के प्रति उनका विश्वास फीका नहीं पड़ता। 

प्रभावी आदतों के मालिक
सफल लोगों में मुझे जो आदतें दिखाई देती हैं...
- सुबह पैदल चलना। दिनभर के कामों की योजना बनाना।
- नया जानने व सीखने के लिए एक घंटा अलग रखना।
- 90 दिन में एक कॉन्फ्रेंस में शामिल होना।
- थोड़ी मात्रा में भोजन करना।
- परिवार के साथ महत्वपूर्ण दिनों पर समय बिताना।
- प्राकृतिक खूबसूरती वाले क्षेत्रों की सैर करना।
- सकारात्मक सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले लोगों के साथ जुड़ना।
- बहुत कम या बिल्कुल टीवी नहीं देखना।
www.robinsharma.com से साभार

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