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पहली नौकरी और चुनौतियां

युवा वर्ग पहली नौकरी को लेकर उत्साहित तो रहता है, लेकिन उस नई दुनिया में तैयारी के बिना प्रवेश करने पर कई चुनौतियां एकाएक सामने आ खड़ी होती हैं। क्या होती हैं ये चुनौतियां और इनसे कैसे निपटें, जानिए...

पहली नौकरी और चुनौतियां
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 08 Jul 2014 10:25 PM
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युवा वर्ग पहली नौकरी को लेकर उत्साहित तो रहता है, लेकिन उस नई दुनिया में तैयारी के बिना प्रवेश करने पर कई चुनौतियां एकाएक सामने आ खड़ी होती हैं। क्या होती हैं ये चुनौतियां और इनसे कैसे निपटें, जानिए यहां।

आपका इंटरव्यू सफल रहा और आप अपनी पहली नौकरी ज्वाइन करने जा रहे हैं। पहली नौकरी है तो भले ही वह आपको पसंद हो या न हो, फिर भी वह स्पेशल है। शायद इससे भी ज्यादा, क्योंकि यह नौकरी आपको अपनी मेहनत के बूते मिली है। तो अब आपको कुछ नए संघर्षों से दो-चार होना पड़ेगा। एक पूरी नई दुनिया के दरवाजे आपके लिए खुलेंगे। कोई भी नया व्यक्ति इसके लिए तैयार नहीं होता। वह जो कुछ सीख कर आता है, व्यवहार में उससे बिल्कुल विपरीत अनुभव मिलते हैं। तो क्या आप तैयार हैं अपनी पहली पारी खेलने के लिए?
यदि आपका उत्तर ‘हां’ है तो भी ठीक है, और यदि आपका उत्तर है ‘नहीं’ तो भी कुछ गलत नहीं है। जरूरी यह है कि आपके व्यवहार में अति आत्मविश्वास की झलक न दिखे और न ही संकोची भाव झलके। याद रखें कि शुरू में कार्य से जुड़े तमाम पक्ष जरा भी आसान नहीं होंगे। आप गलतियां करेंगे और मदद की गुहार भी लगाएंगे। इसके लिए जरूरी है कि अपने सीनियर या सुपरवाइजर से मार्गदर्शन मांगा जाए। एक बार मदद या फीडबैक मिलने पर पहले उसे गौर से सुनें, ताकि पिछली गलतियां फिर से न दोहराई जाएं।

आचार-व्यवहार
पहली नौकरी की तलाश में हतोत्साहित हो जाना कोई हैरानी की बात नहीं। फिर भी नौकरी की तलाश अपने हुनर और ईमानदारी के आधार पर करें, न कि रक्षात्मक या उग्र रुख अपना कर। किसी भी तरह का नकारात्मक रुख आपकी नौकरी की तलाश को शुरू होने से पहले ही खत्म कर सकता है। इसके विपरीत इस बात पर जोर दें कि आप कंपनी के लिए क्या कर सकते हैं। एम्प्लॉयर्स भी ऐसे ही व्यक्तियों को नौकरी देना पसंद करते हैं, जिन्हें अपने ऊपर यकीन हो। ऐसे व्यक्ति, जो सकारात्मक तरीके से काम करना चाहते हों। यानी ‘गिलास आधा खाली है’ की बजाय ‘गिलास आधा भरा है’ का रुख अपनाएंगे तो अधिक लाभ होगा।

अनुभव
दरअसल, यह अनुभव ही है, जिसके कारण कोई भी कार्य अच्छे या बुरे की श्रेणी में जा पहुंचता है। अनेक युवाओं को अनुभवहीनता की समस्या से दो-चार होना पड़ता है। यह अड़चन अक्सर देखी जाती है। आप बिना अनुभव के जॉब कैसे प्राप्त करेंगे या जॉब के बिना अनुभव कैसे मिल सकता है? अपने जीवन में हम अक्सर ऐसे कार्यों या गतिविधियों से जुड़ते रहते हैं, जो सीधे तौर पर हमारे काम नहीं आते, परंतु फिर भी वह काम हमारे अनुभव में वृद्धि तो करते ही हैं। इसलिए अपने अनुभवों को कम न आंकें। अपने अनुभव और प्राप्त शिक्षा के बीच समन्वय स्थापित करने की कोशिश करें। ऐसा करने पर आप हैरान हो जाएंगे कि बतौर एक नवोदित कर्मचारी आप अपनी कंपनी के लिए क्या कुछ कर सकते हैं।

योजना
कार्यस्थल पर नवोदितों को अपने स्तर पर एक निश्चित योजना भी बनानी चाहिए। इस योजना के कई आयाम हो सकते हैं। आपके पहनावे से लेकर बातचीत का लहजा तक इस योजना का हिस्सा हो सकता है। अपने पहले कार्यस्थल पर जरूरी है कि आप अपनी इमेज के प्रति सचेत रहें। प्रतिदिन आपका पहनावा साफ-सुथरा और दफ्तरी माहौल के अनुसार औपचारिक होना चाहिए। साथ ही, कंपनी की कार्यशैली और अपने काम में रुचि दिखाएं, पर इसका मतलब यह नहीं कि अति उत्साह दिखाते हुए एकाधिक काम हाथ में ले लें। अनुभव के साथ-साथ ऐसी जिम्मेदारियां निभाने का मौका भी आपको भविष्य में मिलेगा।

यह समझना भी बहुत जरूरी है कि आपका काम तभी ठीक से पूरा होता है, जब आप एक सुलझी मन:स्थिति से उसे करते हैं। इसलिए व्यवस्थित रहना बहुत जरूरी है। किसी भी नए कर्मचारी में यह गुण एम्प्लॉयर और सहकर्मियों को बेहद पसंद आते हैं और समय के साथ-साथ प्राकृतिक तौर पर उसकी ओर उनका रुझान बढ़ता जाता है। व्यवस्थित होने का एक अन्य और बहुत बड़ा लाभ यह भी होता है कि कर्मचारी काम को उसकी समय-सीमा के भीतर ही समाप्त कर देता है।

कदम-दर-कदम
जिस तरह जीवन में सभी लक्ष्य एक साथ पूरे नहीं किए जा सकते, वैसे ही कामकाज के दौरान भी एक-एक कदम ही बढ़ाना ठीक रहता है। नवोदित कार्यकर्ताओं के लिए तो यह मंत्र और भी कारगर होता है। एक समय में एक ही काम पर ध्यान दें। इस तरह से कार्यों को आप धीरे-धीरे, लेकिन उनकी पूर्णता में समझते जाएंगे। इसी के साथ  आपका आत्मविश्वास भी बढ़ता जाएगा और एक समय बाद आप अपने काम में सिद्धहस्त हो जाएंगे।

भेदभाव
नवोदितों को अक्सर भेदभाव का सामना करना पड़ता है। यह सच है कि अनुभव की कमी के कारण उन्हें अनुभवी सहकर्मियों की ओर देखना पड़ता है, परंतु जहां बात आती है बाहर जाकर कार्य संभालने की तो वह इस दिशा में अधिक कारगर साबित होते हैं। दरअसल अनुभवी कर्मचारी अपने परिवार की जिम्मेदारियों से बंधे होते हैं, जबकि युवा अपने करियर की शुरुआत को लेकर संघर्षरत होते हैं। मेहनत करने का दोनों का अपना-अपना स्तर और मकसद होता है, इसलिए नवोदित कर्मियों को चाहिए कि वह किसी भी हालत में अपनी मेहनत में कमी न आने दें।

डर के आगे जीत...
डर एक बड़ा कारण है आगे न बढ़ पाने का, परंतु डर का एक फायदा भी होता है; यह आपको सुरक्षित रखता है। यदि व्यक्ति को किसी चीज का डर न हो तो वह तमाम ऐसी हरकतें करेगा, जो पागलपन या कानून की जद से बाहर होती हैं। करियर में भी डर अक्सर लौट कर आता रहता है। करियर की शुरुआत हो या उसका मध्य, डर कभी भी अपने पांव पसार सकता है और उसका रूप कुछ भी हो सकता है। यदि आप भी ऐसे ही किसी दायरे में फंसे हैं तो आपको अपने करियर, जॉब, बॉस, अपनी कार्यक्षमता, कार्य विशेष या नौकरी के संभावी रुख पर खुद से सवाल पूछने चाहिए।

यह भी सोचें कि अपने करियर में आपको भविष्य में क्या नजर आ रहा है? उत्साह या नीरसता? खुशी या नाखुशी? क्या आप जानते हैं कि करियर की दिशा को सकारात्मक बनाने के लिए क्या करना होगा? यदि आपने अभी तक उस दिशा में प्रयास नहीं किया है तो क्यों? क्या आपको किसी का डर है? क्या आपने उस डर का आकलन किया है या अभी तक उससे नजरें चुरा रहे हैं?

यह प्रश्न खुद से पूछे जाने जरूरी होते हैं। यदि डर का ठीक से आकलन किया जाए तो उसके आधार पर आप आगे बढ़ सकते हैं। इससे आप आगे की योजनाएं भी बना सकते हैं। इससे आप किसी भी कार्य को जल्दबाजी में करने से बचते हैं, लेकिन डर को एक बहाने के तौर पर इस्तेमाल कर आगे न बढ़ना आपको ज्यादा बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए हो सके तो शुरुआत तभी करें, जब असफलता का डर ज्यादा हो।

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