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उत्साह और मुस्कराहट

एक दार्शनिक किसी काम से बाहर जा रहे थे। रास्ते में उन्होंने एक टैक्सी को रोका और उसे चलने को कहा। टैक्सी में बैठने के बाद दार्शनिक ने टैक्सी वाले का बुझा चेहरा देखा तो कहा, ‘क्यों भाई बीमार...

उत्साह और मुस्कराहट
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 22 Jul 2014 07:47 PM
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एक दार्शनिक किसी काम से बाहर जा रहे थे। रास्ते में उन्होंने एक टैक्सी को रोका और उसे चलने को कहा। टैक्सी में बैठने के बाद दार्शनिक ने टैक्सी वाले का बुझा चेहरा देखा तो कहा, ‘क्यों भाई बीमार हो?’ यह सुन कर टैक्सी वाला बोला, ‘सर, क्या आप डॉक्टर हैं?’ दार्शनिक ने जवाब दिया, ‘नहीं, दरअसल तुम्हारा चेहरा तुम्हें थका हुआ और बीमार बता रहा है।’  इस पर टैक्सी वाला ठंडी आह भरते हुए बोला, ‘जी, आजकल मेरी पीठ में दर्द रहता है।’ उम्र पूछने पर वह बोला, तीस वर्ष। यह सुन कर दार्शनिक ने कहा, ‘इतनी कम उम्र में पीठ दर्द! यह तो सिर्फ व्यायाम से ही ठीक हो सकता है।’ फिर वह बोला, ‘क्यों भाई, क्या आजकल धंधे में भी कड़की चल रही है?’ इस पर टैक्सी वाला बोला, ‘साहब, आपको कैसे पता? क्या आप कोई ज्योतिषी हैं, जो मेरे बारे में सब कुछ जानते हैं?’ दार्शनिक मुस्कुराते हुए बोला, ‘भैया, मैं ही क्या कोई भी ये बातें तुम्हें बता देगा।’

यह सुनकर टैक्सी ड्राइवर हैरानी से बोला, ‘सर, भला यह कैसे संभव है?’ उसकी बात पर दार्शनिक मुस्कराते हुए बोला,‘अरे जब तुम हर वक्त बुझे हुए और निस्तेज चेहरे से सवारियों का स्वागत करोगे तो भला कौन तुम्हारी टैक्सी में बैठना चाहेगा? इस तरह तुम्हारी आमदनी अपने आप ही कम हो जाएगी।’ यह सुनकर ड्राइवर बोला, ‘बस सर, आज आपने मुझे मेरी गलती का एहसास करा दिया।’

इसके बाद कई दिन बीत गए। तीन-चार वर्षों बाद एक दिन एक सज्जन ने उन दार्शनिक की पीठ पर हाथ रखते हुए मुस्कुरा कर कहा,‘सर कैसे हैं?’ दार्शनिक बोला, ‘ठीक हूं बेटा, पर मैंने तुम्हें पहचाना नहीं ।’ इस पर वह सज्जन बोले, ‘सर, मैं वही टैक्सी वाला हूं, जिसे आपने उत्साह एवं मुस्कुराहट का पाठ पढ़ाया था। आज आपकी शिक्षा के कारण ही मेरी बारह टैक्सियां किराए पर चल रही हैं और मेरा व्यवसाय फल-फूल रहा है । अब मैं भी हर उदासीन व्यक्ति को उत्साह एवं मुस्कुराते हुए काम करने की सलाह देता हूं।’ उसकी बात पर दार्शनिक बोला, ‘बेटा, यह सत्य है कि उत्साह से इंसान बहुत जल्दी कार्य पूरा कर सफलता अर्जित कर लेता है।’ वह सज्जन उनके पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लेकर वहां से चले गए।

कहानी बताती है कि यदि व्यक्ति कार्य को उदासीनता और बोझ समझ कर करता है तो वह अपने कार्य में प्रगति नहीं कर पाता। इसके विपरीत छोटे से कार्य में भी उत्साह और मुस्कराहट से काम करने में सफलता व्यक्ति के चरण चूमती है।
रे. सै.

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