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बायोस

बायोस यानी बी, आई, ओ और एस असल में कंप्यूटर को दिए जाने वाले निर्देशों का एक समूह है। यह बेसिक इनपुट और आउटपुट का संक्षिप्त रूप है। ये निर्देश कंप्यूटर में एक चिप में संरक्षित रहते  हैं। ये...

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लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 24 Jun 2010 09:32 PM
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बायोस यानी बी, आई, ओ और एस असल में कंप्यूटर को दिए जाने वाले निर्देशों का एक समूह है। यह बेसिक इनपुट और आउटपुट का संक्षिप्त रूप है। ये निर्देश कंप्यूटर में एक चिप में संरक्षित रहते  हैं। ये डिस्क को फेल होने से बचाने के उद्देश्य से तैयार किए जाते हैं। कंप्यूटर का सहजता से इस्तेमाल करने के लिए ये निर्देश जरूरी होते हैं।

बायोस का सबसे महत्वपूर्ण कार्य कंप्यूटर को ऑन (सेल्फ टेस्ट) करते समय निर्देश देना होता है। सेल्फ टेस्ट यह तय करता है कि कंप्यूटर के सभी पार्ट्स (हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर जैसे मेमोरी, की बोर्ड आदि) तकनीकी रूप से सही हैं और यह सहजता से काम करने की स्थिति में है। यदि सेल्फ टेस्ट में कोई गड़बड़ी पाई जाती है तो बायोस उसे ठीक करने के लिए कंप्यूटर को एक कोड देता है।

इस तरह के कोड आम तौर पर एक बीप के फार्म में होते हैं, जो हमें इस वक्त सुनाई देते हैं, जब हम कंप्यूटर को ऑन करते हैं। इसके साथ ही बॉयोस कंप्यूटर को यह बेसिक जानकारी भी देते हैं कि यह अपने कुछ जरूरी घटकों जैसे, ड्राइव्स और मेमोरी के साथ किस तरह इंट्रैक्ट करें। जब एक बार कंप्यूटर में बेसिक निर्देश लोड हो जाते हैं और सेल्फ टेस्ट  पूरा हो जाता है तो कंप्यूटर आगे की प्रक्रिया पूरी करता है जिसमें ऑपरेटिंग सिस्टम लोड करना शामिल है।

कंप्यूटर इस्तेमाल करने वाले अक्सर बायोस के द्वारा डेस्कटॉप पर कुछ विन्यास तैयार कर लेते हैं। जिससे कंप्यूटर ऑन करते समय  की बोर्ड की एक विशेष ‘की’ का इस्तेमाल कर काम चलाया जा सके और सिस्टम को किसी जटिलता का सामना न करना पड़े।

डेस्कटॉप का यह सेटअप ड्राइव्स के एक्सेस आर्डर को चेंज करने के साथ ही सिस्टम की जटिल डिवाइस को भी कंट्रोल करता है। बायोस के अलग-अलग प्रारूप में होते हैं। आजकल कई पर्सनल कंप्यूटर निर्माता बायोस के निर्देश लोड करने के लिए फ्लैश मेमोरी कार्ड का प्रयोग करते हैं। इसे समय-समय पर आप इसे अपडेट कर सकते हैं और ओरिजनल बायोस की मदद से समस्याओं को सुलझ सकते हैं।

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